बेहद हैरतअंगेज…सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद नौटियाल सहित दो अन्य घर डोजर फेरकर मलवे में बदले। गौरीकोट खोली गांव की अनोखी घटना ने ग्रामीणों में दहशत फैलाई।
पौड़ी (गढ़वाल) 19 जुलाई 2019 (हि. डिस्कवर)
यह सचमुच बेहद चौंका देने वाली घटना है। एक व्यक्ति डोजर लाता है व उसके साथ दो अंग्रेजी बोलती महिलाएं आती हैं। वह गौरीकोट खोली (गिरिगांव) में प्रविष्ट होता है और शानदार आलीशान तीन मकानों को देखते ही देखते नेस्तानाबूत कर देता है। ग्रामीण जब तक कुछ समझ पाते मकान भरभराकर जमींदोज हो जाते हैं।

यह घटना गढ़वाल मुख्यालय के पौड़ी से लगी पट्टी इडवालस्यूँ के विकासखण्ड पौड़ी के एक ऐसे सुप्रसिद्ध साहित्यकार के आशियाने से जुड़ी है जिन्होंने गढवाळी हिंदी अंग्रेजी शब्दकोश रचकर ख्याति अर्जित की थी, साथ ही दर्जनों साहित्य लिखकर अपना नाम उच्च कोटि के साहित्यकारों में दर्ज करवाया। घटना अप्रैल माह में घटित होती ही जिसकी सूचना उनकी पुत्रवधु को तब पता चलती है जब वह जून माह में अपने गांव आती हैं। वह अपने आलीशान बंगले की जगह गारे मिट्टी का ढेर देखकर चकराकर गिर पड़ती हैं। यह किसने किया, क्यों किया..! कब किया जैसे सवालों के जबाबों के स्थान पर आस पास के ग्रामीणों के चेहरों पर दहशत के अलावा कोई और सटीक जबाब नहीं थे। विगत दिन जब इस बात की जानकारी मिली तब स्व. भगवती प्रसाद नौटियाल की पुत्री श्रीमती कुसुम नौटियाल ने कुछ इस तरह अपना दर्द बयां किया:-
आनन फानन जब इस बात की जानकारी सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्व. भगवती प्रसाद नौटियाल की पुत्री कुसुम नौटियाल (सम्पादिका वीरा पत्रिका) को देहरादून में पता चलती है तब सारे परिजन जो जहां थे गांव पहुंचकर देखते हैं तो सबकी आंखें बरस पड़ती हैं।

पहाड़ों की गोदी में बसा ये मेरे पिताजी स्व भगवती प्रसाद नौटियाल का पुश्तैनी घर था। 125 साल से भी पुराना। मेरे पिताजी का जन्म इसी घर में हुआ था। मेरा भी। उस समय के सबसे कुशल मिस्त्री पंचमू दिदा के हाथों से बना शानदार घर। एक माफिया की नजर पड़ी और जेसीबी के प्रहारों ने पांच पुश्तों की संस्कृति को निगल दिया। हमारे इस घर के साथ मेरे दो ताऊजी स्व जमुना प्रसाद नौटियाल और स्व देवीप्रसाद नौटियाल का भी विशाल तिबारीदार घर और एक और घर मटियामेट कर दिया। कुल मिलाकर तीन घरों का चीखता चिल्लाता मलबा पड़ा था हमारे सामने। उस मलबे में सब दबे हुए थे। हमसे पहले की चार पीढ़ियां। मेरी दादी दादाजी चाचाजी मेरे पिताजी मेरे ताऊजी ताई जी।उनका जीवन उनका इतिहास उनकी संस्कृति हम सब भाई बहनों का हंसता खिलखिलाता बचपन। हमारी नक्काशी दार गणेश खोली जिसका बेस कटवां पत्थरों का था। हमारी नीमदरी के तुन की लकड़ी के बने फूलदार खंबे। सब उस मलबे में दब गए। क्या क्या जो लिखूं। इस मलबे में कहीं हमारी कुलदेवी का दीया और पाथा भी होगा जिसे अनुष्ठानों के समय ढोल दमौ के साथ बाहर निकालते थे। मंडाण संपन्न होने के बाद उसे वापस ढोल दमौ के साथ हमारे घर में बने ताख में रख दिया जाता था। वो शताब्दियों पुराना दीया और पाथा भी तोड़ फोड़ दिया गया । मेरी भाभी ने मकानों के मलबे में ही जब देवी और पितरों के नाम का दीया जलाया आप कल्पना कर सकते हैं हमारे दिल में भी कितनी जेसीबी चली होंगी !!!!!
गत 15 जुलाई को हम पौड़ी के जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्बयाल से बंगले पर ही मिले। उन्होंने तुरंत एफ आई आर दर्ज कराने का आदेश दिया और एसडीएम योगेश जी से बात की। अगले दिन 16 जुलाई को सुबह 11 बजे थानाध्यक्ष पौड़ी लक्ष्मण सिंह कठैत जी के नेतृत्व में पुलिस बल गांव में था। पटवारी और कानूनगो भी। तफ्तीश की। चार बजे हम पौड़ी डाकबंगले में वापिस आए और तफ्तीश के बाद अज्ञात के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर दी गई । अगले दिन 17 जुलाई को पौड़ी के एसडीएम श्री योगेश जी ने मौके का निरीक्षण किया। उनके साथ तहसीलदार पटवारी सभी थे। हमारे घर पुराने थे लेकिन अपनी भव्यता के साथ खडे थे। हमारे घरों को जेसीबी से तोड़ना उत्तराखण्ड की अकेली और पहली ऐसी घटना है जिसमें भवन स्वामी की सहमति के बिना जेसीबी का प्रयोग करके भवन गिराए गये। जेसीबी चलाने के लिए परमिशन ली जाती है। तीनों घर धराशायी हो गये किसी ने इसकी सूचना तक नहीं दी। हमारे गांव के कुछ पढे लिखे नौटियाल बंधुओं को भी इसकी जानकारी रही होगी। उन्होंने भी इस षड्यंत्र की सूचना देने की जरुरत नही समझी । हमें तब पता चला जब 28 जून को मेरी भाभीजी अपना घर देखने के लिए गांव गईं तो घरों की जगह मलबा देख कर उन्हें चक्कर आ गया। तीनों घर धराशायी थे। उनके घर से लगे खेतों को सपाट कर दिया था जेसीबी के लिए रास्ता बनाने के लिए । हमारे परिवारों के लिए यह घटना किसी आपदा से कम नहीँ। काश ये घर किसी भूकंप में टूट गए होते तो हम तीनों परिवार उसे प्रकृति का प्रकोप मानकर अपना दुर्भाग्य मान लेते। लेकिन गहन षड्यंत्र करके हमारे पूर्वजों की निशानी को खत्म कर दिया गया। ये भू-माफिया की घुसपैठ नहीं तो और क्या है। मेरे पिताजी स्व भगवती प्रसाद नौटियाल की बरसी जो गत 28 अप्रैल को हुई थी उसके ठीक बाद ये घर धराशायी हो गए। हमें गांववालों ने बताया कि ये घर 3 या 4 मई के आसपास टूटे हैं। हमें बताया गया कि नवम्बर 2018 के आसपास एक हैलिकाप्टर भी घूमा था जो काफी नीचे तक आया। लोगों ने समझा शायद इमर्जेंसी लैंडिंग कर रहा है लेकिन कुछ देर में वह पौड़ी की तरफ मुड़ गया।. क्या वो किसी भू-माफिया का हैलिकाप्टर था? उसके बाद जनवरी 2019 माह से घरों के आसपास की झाड़ियां कटनी शुरू हुई। हमारे गांव के पास ही कुखडु गांव है वहां की महिलाओं ने बताया कि एक व्यक्ति के साथ दो महिलाएं भी थीं जो अंग्रेज़ी बोल रही थीं। हमारे तीनों घर गांव की सबसे अच्छी लोकेशन पर बहुत चौड़े खेत में बने हुए थे। वहां तक जेसीबी को पहुंचाने के लिए घरों के साथ लगे खेतों को भी सपाट कर दिया। बहुमूल्य पेड़ों को निर्ममता पूर्वक काट दिया। जेसीबी के लिए रास्ता बना और जिन घरों मे पूर्व में लोग नहीं संस्कृतियां रहती थी उन्हें मटियामेट कर दिया गया।
तो क्या गांव को बेचने की साजिश चल रही थी जो मेरे पिताजी की मृत्यु के बाद रची गई और हमारे तीनों घरो पर आक्रमण हुआ। उनके जीवित रहते किसी की ऐसी हिम्मत नहीं हो सकती थी। वे गांव के संरक्षक की तरह थे। यह पोस्ट जनहित में हैं। आप भी अपने गांवों को बचाएं।आसपास की किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत अधिकारियों के संज्ञान में लाएं। थोड़े से रूपयों के लिए किसी अनजान को जमीन न बेचें। हम जिलाधिकारी पौड़ी श्री धीरज सिह गर्बयाल, एएसपी श्री दिलीप सिंह कुंवर, एसडीएम श्री योगेश जी, थानाध्यक्ष पौड़ी श्री लक्ष्मणसिह कठैत जी और समस्त जिला व पुलिस प्रशासन को त्वरित संज्ञान लेने और कार्रवाई करने के लिए बहुत धन्यवाद देते हैं। अब अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। लेकिन मन में इन घरों में बिताए दिनों की असंख्य यादें हमें कचोटती रहेंगी। छाती पर तीनों मकानों के मलबे का बोझ हम सब भाई बहनों के साथ जीवनपर्यंत रहेगा और पीठ पर खंजर का घाव जो कभी भरेगा नहीं।
इस बेहद हैरतअंगेज घटना के बाद अब प्रश्न यह उठता है कि शहर तो शहर क्या अब माफिया तंत्र ने अपने पैर पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैला दिये हैं? क्या उनकी टेडी नजर अब उन खाली आवासों की ओर है जिनमें ग्रामीण सिर्फ चंद दिनों के लिए अपना बचपन अपना शुकुन तलाशने आते हैं? लेकिन इन सब बातों से भी बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर किसकी शह पर जेसीबी दनदनाती पौड़ी से गौरीकोट खोली तक पहुंची और कैसे उसने बेखौफ ऐसे आलीशान मकानों को नेस्तानाबूत कर डाला। पुलिस जांच में सम्भवतः कौन पकड़ में आएगा! आएगा भी कि नहीं यह देखने सोचने वाली बात है। इस घटना ने जहां एक ओर लोगों को विस्मय में डाल दिया है वहीं ग्रामीणों में डर व खौफ भी पैदा कर दिया है।
क्या पौड़ी गढ़वाल वाली इस घटना का पीडीऍफ़ आप मेरे मो नो पर सेंड कर सकते है जिससे की मई उन सभी लोगो को दिखा सकू जो अपनी घर कुड़ी छोड़कर प्रदेश के 100 गज पर बने माकन में रहकर घर की जमीन को भूल गए
आपकी इस लंबी-चौड़ी रिपोर्ट को पढ़ने के बाद भी यह समझ में नहीं आया कि आखिर मामला क्या है । क्या यह जमीन कब्जाने का मामला है ? क्या गांव में या गांव के आस-पास और कोई नहीं रहता है ? मकान मालिक के अलावा किसी अन्य अनजान आदमी द्वारा किसी गांव में एक नहीं तीन-तीन मकान तुड़वा देना कोई छोटी घटना नहीं है । इलाके के किसी व्यक्ति ने प्रशासन को या स्व. नौटियाल़ जी के किसी परिजन या रिश्तेदार को इसकी सूचना तक शायद नहीं दी । मामला रहस्यमय लगता है ।
सच कहा आपने! क्योंकि मामला अभी तक न घरवालों की समझ में आया न पुलिस की समझ में..! कुछ तो है भूत के गर्भ में !
Aaj jab sabke pas mobile phone hain to kisi ne buldozer walon ko roka kyo nahi? unko puchha kyon nahi? Kya gaon me koi bhi nahi rahta hai?