बीटल्स फेस्टिवल के लिए मुस्कराए क्षत्रपों के चेहरे! हरक व महाराज की यह जुगलबंदी लाएगी चौरासी कुटिया में बहार..!
(मनोज इष्टवाल)
शायद इन चेहरों को एक साथ मुस्कराते देख जहाँ दोनों बाहुबलियों के प्रशंसकों को ख़ुशी और शुकून मिला होगा वहीँ राजनीति के अखाड़े में जाने पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर कितने राजनेताओं के सीने में सांप लौटे होंगे! यकीन मानिए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के बीच की तल्खियां यूँ तो बहुत पुरानी कही जाती हैं लेकिन भाजपा में आने के बाद और मंत्री पदों पर आसीन होने के बाद आये दिन अखबारी पन्नो में इन दोनों क्षत्रपों की तल्खियों की ख़बरें आम होती थी. विधान सभा भवन के आमने सामने के कमरों के बीच में गैलरी मानों दोनों ही बाहुबलियों के लिए लक्ष्मण रेखा हो. लेकिन जब बीटल्स की बात आई और एक साथ यूँ खड़े ये मुस्कराते नजर आये तो सचमुच लगा कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के ये दोनों ही प्रतिभावान राजनेता उन उखडती सरकारी साँसों को दूरस्थ कर ही देंगे जो जनता के बीच सन्देश देने में अब तक नाकाफी कहे जा रहे हैं!
यकीनन यह पल इन दोनों चेहरों के लिए भले ही राजनीति के अंतर्गत कोई कूटनीति हो लेकिन यह सर्वथा सच है कि जिस दिन इन दोनों चेहरों ने साथ-साथ मिलकर राज्य के लिए सोचना शुरू कर दिया तो पहाड़ दुबारा बसने लगेगा क्योंकि दोनों की सोचों में विजन साफ़ साफ़ दिखाई देता है, और यह सब करने के लिए सिर्फ इन दो चेहरों के चाहने से कुछ नहीं होने वाला..! क्योंकि सरकार की इच्छा शक्ति क्या है यह उन नौकरशाहों पर निर्भर करता है जो वर्तमान में प्रदेश को हांक रहे हैं. काश…इन्हें खुलकर इनके विभागों की जिम्मेदारी दी जाती तब एक साल के अंदर रिजल्ट आपके समुख दिखाई देते. लेकिन यह भाजपा की कार्यप्रणाली है जिसमें आरएसएस का अनुशासनात्मक डंडा, जो परदे के पीछे से अचानक आकर चाचा चौधरी बन जाता है! अमित शाह की कूटनीति, मोदी की घूरती आँखें व लचर-कचर वर्तमान का तंत्र कहीं न कहीं विकास में आड़े आ रहा है.
(फोटो- विकीपीडिया , बीटल्स फेस्टिवल 1968)
जहाँ तक सूत्रों का कहना है उसके अनुसार यह भी सत्य है कि एक आला अधिकारी परदे के पीछे सीधे अपने नागपुर कनेक्शन में सिर्फ और सिर्फ उन्ही नेताओं को टार्गेट करने में जुटा रहता है जिनसे उसे डर भी है और नफरत भी..! क्योंकि कुछ ही ऐसे नेता प्रदेश के पास हैं जिन्हें चापलूसी नहीं आती या फिर किसी विकास की फाइल को चलाने के लिए वे चौथे पांचवें माले पर कसरत कम करते हैं!
बहरहाल बीटल्स फेस्टिवल ने इन दो क्षेत्रपों के चेहरे पर जो मुस्कान बिखेरी है यकीनन वह कईयों के पेट खराब करने के लिए काफी है. बहरहाल राजाजी नेशनल पार्क के गोहरी रेंज की चौरासी कुटिया में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय बीटल्स फेस्टिवल में दुनिया भर के हजारों हजार लोग संगीत प्रेमी जुटने वाले हैं जो वहां धमाल करते नजर आयेंगे!
अंतर्राष्ट्रीय रॉक-पॉप लेजेंड बीटल्स ग्रुप के भारत आने की 50वीं वर्षगांठ पर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का आयोजन करने के लिए पर्यटन और वन विभाग साथ आ गए हैं. प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और वन मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत ने बताया कि फरवरी 2018 में बीटल्स फेस्टिवल का आयोजन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा. इस आयोजन में देश-विदेश के कलाकारों को आमंत्रित किया जायेगा.
ज्ञात हो कि सन 1968 में बीटल्स आध्यात्म की तलाश में उत्तराखण्ड आए थे और ऋषिकेश के महर्षि महेश योगी आश्रम में उन्होंने योग-ध्यान की दीक्षा ली थी. इसके बाद महर्षि योगी के आश्रम 84 कुटिया ही नहीं पूरा ऋषिकेश को आध्यात्म नगरी के रूप में दुनिया में जाना जाने लगा था.
आपको बता दें कि 800 बर्ग किमी. रेंज में फैले राजाजी नेशनल पार्क ऋषिकेश से सटे गोहरी माफ़ी रेंज में स्थित चौरासी कुटी में इस आयोजन की दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को बेसब्री से इन्तजार रहता है. राजा जी नेशनल पार्क में वर्तमान में 500 से अधिक हाथी, 250 से अधिक बाघ व 400 से अधिक पक्षियों की प्रजाति हैं. वहीँ अकेले गोहरी माफ़ी रेंज में दर्जनों हाथी, कोबरा, काले भालू, हिरन, जडाऊ, मोर सहित बीसियों प्रजाति के जंगली जानवर पाए जाते हैं. जिन्हें देखने के लिए विश्व भर के पर्यटक यहाँ आया करते थे! जिसे किन्हीं कारणों से वाइल्ड लाइफ हेतु बंद कर दिया गया था. लेकिन विगत दिसम्बर 2015 में इसे पुन: पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है. अब यहाँ विश्व भर के पर्यटक हर साल आते हैं.
बीटल्स फेस्टिवल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुन: दर्ज करने के लिए जिस तरह पर्यटन व वन विभाग ने मिलकर काम करने की पुरजोर कोशिश की है उस से यह साफ़ हो गया है कि आगामी माह फरबरी में गोहरी माफ़ी रेंज की चौरासी कुटिया में अंतर्राष्ट्रीय साजों और साजिंदों की धुनें व विश्व प्रसिद्ध स्वर लहरियां गुंजायमान होंगी! देर से ही सही लेकिन सतपाल महाराज और डॉ. हरक सिंह रावत की यह जुगलबंदी एक ऐसा गुल जरुर खिलाएगी जो क्षेत्र के विकास की एक कसक मिटाने का काम करेगी और कईयों के दिलों में कसक पैदा करेगी!