बद्रीनाथ की ओर कदम बढ़ाकर तो देखें, वो होगा जो विश्व भर में आजतक नहीं हुआ- स्वामी दर्शन भारती!

देहरादून 16 नवम्बर 2017 (हि. डिस्कवर)
(मनोज इष्टवाल)
देवबंद के दारुम उलूम निसवा के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ़ द्वारा बद्रीनाथ धाम पर विवाद पैदा करते हुए जहाँ उसे बद्रीनाथ को मुस्लिमों का धाम बताते हुए उसे बदरुद्दीन शाह से जोड़कर नया विवाद पैदा करते हुए कहा है कि वे इस मांग को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के आगे उठाएंगे व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि बद्रीनाथ को फ़ौरन मुसलमानों के हवाले कर दे! मौलाना अब्दुल लतीफ़ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो मुसलमान मार्च करेंगे व बद्रीनाथ को अपने कब्जे में ले लेंगे!

(मौलाना अब्दुल लतीफ़)
यह विवादास्पद बयान मौलाना ने एक टीवी चैनल को अपने साक्षात्कार में देते हुए कहा कि उत्तराखंड में इस्लामिकरण  के विरुद्ध अगर कोई मुखर हुआ तो वे जान लें कि इतिहास में यह धाम बदरुद्दीन शाह का है और नाथ लिख देने से वह कोई हिन्दुओं का धाम नहीं बन जाता!

(स्वामी दर्शन भारती)
उत्तराखंड में इस्लामीकरण के विरुद्ध झंडा बुलंद करने वाले स्वामी दर्शन भारती ने मौलाना के इस बयान के बाद कहा है कि ऐसे लोग एक कदम बद्रीनाथ तो क्या उत्तराखंड की धरती की तरफ बढ़ा कर तो देंगे, ऐसा कुछ होगा जो विश्व में आज तक नहीं हुआ! उन्होंने कहा कि अभी तक सिर्फ गीदड़ों को गीदड़ ही मिलें हैं उत्तराखंड हिन्दुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है और अगर इस ओर किसी ने आँख उठाने का भी साहस किया तो यहाँ के शेर इन गीदड़ों को बता देंगे कि जब धर्म पर बात आती है तब देवभूमि अपनी आन बान शान पर न्योछावर होने के लिए हमेशा तैयार है!
उन्होने कहा कि ऐसे मौलाना पहले अपना इतिहास तो बता दें जिन्हें ये पता तक नहीं कि इस्लाम धर्म का उदय 12वीं सदी के बाद हुआ. 12वीं सदी में यह धर्म हिन्दुस्तान में आया जबकि बद्रीश भगवान की पौराणिकता सतयुग से चली आ रही है. भला ऐसे मौलाना क्या इतिहास और क्या धर्म जानते होंगे. उन्होंने चेतावनी देते हुए पुन: दोहराया कि अगर इन मुट्ठी भर लोगों ने उत्तराखंड में इस्लामीकरण के बीज बोने की जरा सी भी हिमाकत की तो वह होगा जो आजतक विश्व में नहीं हुआ. उन्होंने कहा ये इस्लाम धर्म में वे जहर हैं जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए इस्लाम धर्म को आतंकियों , जेहादियों को बेच दिया. ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने साम्प्रदायिकता की गन्दी राजनीति में हिन्दुस्तान के हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई, हम आपस में भाई-भाई! की परम्परा को तार-तार कर दिया है!
वहीं राष्ट्रीय सनातन सभा की उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष निम्मी कुकरेती ने देवबंद के मौलाना अब्दुल लतीफ़ के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया वक्त करते हुए कहा कि मौलाना पहले हिन्दू धर्म के उस आदिकाल को पढ़ लें जहाँ इस्लाम पैदा भी नहीं हुआ. निम्मी कुकरेती ने मौलाना के बयान को हैरानी भरा बताते हुए कहा कि क्या सचमुच इस्लाम मौलाना ऐसे ही बन जाते हैं! जिस ब्यक्ति को यही पता नहीं कि बद्रीनाथ कौन हैं और बदरुद्दीन कौन? वह भला इस्लाम का धर्मगुरु कहलाने लायक कैसे हो सकता है! उन्होंने कहा ये वे काफिर टाइप के लोग हैं जो चंद सिक्कों में अपना ईमान आतंकी व आईएसआईएस वालों के पास गिरबी रखें हुए हैं और एक हिन्दू राष्ट्र को ऐसे धमका रहे हैं जैसे इनके बाप की जागीर हो!
बहरहाल बद्रीनाथ धाम को विवाद में लाने वाले मौलाना लतीफ़ का यह वक्तब्य कैसे आया यह आश्चर्यचकित कर देने वाला है क्योंकि इस वक्तब्य के पीछे उनके मंशा साफ़ नहीं हो पाई है. या तो यह उनकी वह खीज है जो स्वामी दर्शन भारती, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद्, दुर्गावाहिनी इत्यादि हिन्दू संगठनों द्वारा विगत कुछ महीनों में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में की गयी वह कार्यवाही है जिसमें कई मुस्लिम अनैतिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए!
ज्ञात हो कि बद्रीनाथ की आरती को जरुर कर्णप्रयाग निवासी किसी बदरुद्दीन नामक व्यक्ति से जोड़ा जाता है जो रामलीला में हारमोनियम बजाया करते थे व पूर्व में किसी मालगुजार ने “पवनमंद सुगंध शीतल …नामक बद्रीनाथ की आरती उनसे कम्पोज करवाई थी. तब से यह जाना जाने लगा कि यह आरती बदरुद्दीन ने खुद लिखी है लेकिन इसके पुष्ट प्रमाण सामने आने के बाद ज्ञात हुआ कि बदरुद्दीन ने सिर्फ इसे कम्पोज कर इसकी धुन बनाई थी. कहा जाता है कि बदरुद्दीन व उसका परिवार पूर्व में हिन्दू ही थे. अब जबकि मौलाना अब्दुल लतीफ़ ने यह विवाद बढा दिया है तब ऐसे में स्वामी दर्शन भारती क्या इस्लामिकरण के विरुद्ध आगे भी योंही मुखर रहेंगे यह देखना बाकी है.

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