बंशीधर भगत बने उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष।

देहरादून 16 जनवरी 2020 (हि.डिस्कवर)

प्रदेश भाजपा में विगत कुछ दिनों से हलचलें तेज थी। पहली हलचल मुखिया को लेकर व दूसरी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे को लेकर। इन चेहरों में डॉ. धन सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी, बिशन सिंह चुफाल व बंशीधर भगत के नाम शामिल थे।

दौड़ में धन सिंह सबसे आगे थे तब लग रहा था कि गढ़वाल कुमाऊँ का समीकरण साधने के लिए हमेशा पार्टी एक जगह से पार्टी अध्यक्ष तो दूसरी जगह से मुख्यमंत्री बनाती आई है। अब जब कुमाऊं से पार्टी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हो चुकी है तब सभी समीकरण साफ हो गए हैं क्योंकि पूर्व में यह सोचा जा रहा था कि डॉ धन सिंह रावत अगर पार्टी अध्यक्ष बने तब मुख्यमंत्री बदला जाना भी तय है।

बंशीधर भगत के अध्यक्ष बनाये जाने के बाद जहां ब्राह्मण राजपूत के समीकरण को साधने की कोशिश की गई है वहीं ऐन अध्यक्ष के चुनाव से पूर्व ही मुख्यमंत्री द्वारा बड़ा दांव खेलकर लगभग 20 लोगों को राज्यमंत्री के दर्जे में शामिल करवाकर अपनी वगत का पुनः आभास करवा दिया है। दबे स्वरों में बात भी होती रही है कि ठाकुर ब्राह्मणवाद खुलकर हावी हुआ है लेकिन इससे पार्टी की सेहत पर जो भी फर्क पड़ा हो पड़ता रहे, नेताओं ने इसकी क़तई चिंता नहीं की। इन दर्जाधारियों के दायित्वों ने साबित कर दिया कि त्रिवेंद्र जैसा चाहेंगे वैसा करेंगे।

सूत्रों की मानें तो संघ के सह कार्यवाहक कृष्ण गोपाल का मुख्यमंत्री को आशीर्वाद प्राप्त है इसलिए उन्हें इतनी जल्दी कोई सोचकर भी पदच्युत नहीं कर सकता भले ही पार्टी 2022 के चुनाव में जो भी परिणाम सामने लाये। त्रिवेंद्र रावत भी अभी तक हर चुनावी परीक्षा में अबल निकले हैं। त्रिस्तरीय चुनाव में अपने को साबित कर उन्होंने विरोधियों का मुंह बंद किया हुआ है।

बहरहाल भाजपा के वरिष्ठ नेता व संघ परिवार से जुड़े बंशीधर भगत को सर्वमान्य प्रदेश अध्यक्ष घोषित कर राजनीतिक हलकों की सभी हलचलों को विराम मिल गया है।

ज्ञात हो कि बंशीधर भगत अब तक छह बार विधायक बन चुके हैं । अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत उन्होंने 1975 में जनसंघ से जुड़कर की जिसका उन्हें भरपूूूर लाभ भी मिला। वैसे बताया जाता है कि इससे पूर्व उन्होंने किसान संघर्ष समिति बनाकर राजनीति में प्रवेश किया। राम जन्म भूमि आंदोलन में वह 23 दिन अल्मोड़ा जेल में रहे। साल 1989 में उन्होंने नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के जिला अध्यक्ष का पद संभाला।साल 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक बने। फिर 1993 व 1996 में तीसरी बार नैनीताल के विधायक बने। इस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य एंव रसद राज्यमंत्री, पर्वतीय विकास मंत्री, वन राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला।

वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद वह उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री रहे। वर्ष 2007 में हल्द्वानी विधानसभा वह चौथी बार विधायक बने। उत्तराखंड सरकार में उन्हें वन और परिवहन मंत्री बनाया गया। इसके बाद 2012 में परिसिमन कालाढूंगी विधानसभा से उन्होंने फिर विजय प्राप्त की। फिर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में छठीं जीत दर्ज की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *