फीचर फिल्म लिटिल बेबी देहरादून की आवोहवा पर केन्द्रित! दीवाली तक हो जायेगी रिलीज..!

फीचर फिल्म लिटिल बेबी देहरादून की आवोहवा पर केन्द्रित! दीवाली तक हो जायेगी रिलीज..!
(मनोज इष्टवाल)
यह शुभ संकेत कहा जा सकता है कि अब मुंबई फिल्म इंडस्ट्री का रुझान उत्तराखंड की ओर होने लगा है! विगत दो तीन सालों में यहाँ दर्जन भर से अधिक फिल्म मेकर्स आकर उत्तराखंड की वादियों घाटियों को कैद कर देश व दुनिया के सामने रखने में कामयाब हुए हैं! ऐसी ही लगभग ढाई करोड़ की लागत से बन रही हिंदी फीचर फिल्म “ लिटिल बेबी” की शूटिंग विगत 20 दिनों से देहरादून व उसके आस पास की लोकेशन में हो रही है! आज नंदा की चौकी के पास ढावे का एक शॉट फिल्माया गया!
(फ़िल्म निर्मात्री रिंकू सिंह, निर्देशक शेखर एस झा के साथ)
फिल्म का निर्देशन कर रहे शेखर एस झा ने बताया कि यों तो विगत 30 बर्षों से उनका देहरादून या उत्तराखंड में आना जाना लगा रहा लेकिन पिछले दो तीन सालों में वह यहाँ यह दूसरी फिल्म शूट कर रहे हैं. इससे पूर्व वे नाना पाटेकर व माही गिल के अभिनय से सजी फिल्म “वेडिंग अन्वर्सरी” को उत्तराखंड में फिल्मा चुके हैं जो एक औसत दर्जे की फिल्म होने के बाद भी अच्छा कारोबार करने में सफल रही!

फिल्म निर्देशक शेखर एस झा ने बताया कि फिल्म की पटकथा मुख्यतः उन्होंने वर्तमान पीढ़ी आये बच्चों व माँ बाप के बीच संवाद की कमी पर लिखी है! संवाद की कमी के कारण किस तरह एक बच्ची किशोरावस्था में ही जमाने की हवा के साथ बहकने लगती है! वह कालेज में पढ़ाई के दौरान गलत राह पर चलने लगती है ऐसे में माँ बाप किस तरह बेटी का भविष्य सँवारे यह इस फिल्म का मुख्य लक्ष्य है! यह फिल्म वर्तमान समाज में आये इस पैनिक परिवर्तन को समझने समझाने का एक जरिया बन सकती है ऐसी उनकी सोच है! शेखर झा बताते हैं कि उत्तराखंड फिल्म मेकिंग के हिसाब से देश का सबसे खूबसूरत हिस्सा! यहाँ की हवा में ऐसी खुशबु है जो देश के किसी हिस्से अन्य में नहीं मिलती! उन्होंने बताया कि उनकी पूरी फिल्म यूनिट 70-75 लोगों की है जिसमें 65 के आस-पास कलाकार उत्तराखंड मूल के है! यह उनके निर्देशन में चौथी फिल्म है इससे पूर्व वे “एक दस्तक”, प्रेममई व वेडिंग अन्वर्सरी फिल्म डायरेक्ट कर चुके हैं!

(अभिनेता प्रियांशू चटर्जी व अभिनेत्रि गुलनाज)
उनके साथ छायांकन का निर्देशन पक्ष देख रहे अनिकेत खंडागड़े बताते हैं कि शेखर एस झा के साथ वे क्षितिज नामक एक फीचर फिल्म की शूटिंग में उत्तराखंड आ चुके हैं जिसमें चोबता, हर्सिल, बदरीनाथ, औली की वादियाँ फिल्माई गयी हैं लेकिन दुर्भाग्य से वह फिल्म अभी डब्बा बंद है!

फिल्म की निर्माता रिंकी सिंह इस फिल्म के साथ फिल्म इंडस्ट्री में कदम रख रही हैं! मुख्यतः बिहार की रहने वाली रिंकी सिंह वर्तमान में मुंबई में रहती हैं! उनका कहना है कि यह फिल्म उनके आगे के फिल्म जगत के कैरियर की दिशा और दशा तय करेगी! उन्होंने उत्तराखंड की लोक मानस व कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहाँ का आम जन बेहद सरल व कलाकार बेहद सरल व अच्छी समझ के हैं जिस से उन्हें फिल्म प्रोडक्शन सम्बन्धी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड रहा है! यह उनका दूसरा समय है जब वह देहरादून आई है ! वे बताती हैं कि सिर्फ मुख्य भूमिका के कलाकारों के अलावा बाकी सारे कलाकार उत्तराखंड मूल के हैं जिनका ऑडिशन यहीं देहरादून में लिया गया था जिसमें 130 के लगभग कलाकारों ने भाग लिया था!

(सुप्रसिद्ध एडिटर असीम सिंहा के साथ)
90 से ज्यादा फिल्मों का सम्पादन कर चुके असीम सिन्हा इस यूनिट के साथ आये हुए हैं जो बेहद रोचक है क्योंकि असीम सिन्हा ने अपने कैरियर की शुरुआत श्याम बेनेगल की फिल्म “मम्मो” से शुरू की और उसके बाद लगातार असीम सिन्हा श्याम बैनेगल की पहली चॉइस रहे हैं उन्होंने श्याम बेनेगल की दर्जनों फिल्मों का सम्पादन किया! असीम सिन्हा का मानना है कि उत्तराखंड की प्राकृतिक बिषमता में वादियों, घाटियों, हिमालयी पहाड़ियों, हरियाली, गंगा जमुना संस्कृति व मैदानी भू-भाग का अजब-गजब का मिश्रण है! उन्हें आश्चर्य होता है कि आज तक फिल्म इंडस्ट्री के लोग यहाँ क्यों नहीं आये! उन्होंने सरकारी तंत्र से अनुरोध किया है कि यहाँ फिल्म नीति में फ्लेक्सिबिलिटी लायें ताकि यहाँ फिल्म इंडस्ट्री का ब्यापक कारोबार फैले यहाँ के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हों व फिल्मों के माध्यम से उत्तराखंड की खूबसूरत वादियाँ देश- दुनिया के समक्ष हों जिसे लोग देखें और यहाँ आकर महसूस करें ताकि यहाँ का पर्यटन रोजगार बढ़ पाए!

(निर्देशक शेखर एस झा व एडिटर असीम सिन्हा)
असीम सिन्हा कहते हैं कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि हाल ही में यहाँ के मुख्यमंत्री द्वारा फिल्मों की लोकेशन शूट पर टैक्स माफ़ कर जो साहसिक कदम उठाया है वह स्वागत योग्य है क्योंकि यह जरुरी भी था! अब फिल्म मेकर्स में यहाँ की लोकेशन के प्रति रुझान बढेगा और स्वाभाविक तौर पर लोग यहाँ दौड़े चले आयेंगे! उनका मानना है कि आंचलिक भाषा में बनने वाली फिल्मों के लिए सरकार जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सब्सिडी दे ताकि ग्लोबलाईजेशन को केश किया जा सके! यहाँ आंचलिक भाषाओं में कम बजट पर ब्ब्ने वाली फिल्मों पर उनकी राय है कि यहाँ बहुत अच्छी कथा कहानियां, पटकथाएं मौजूद हैं लेकिन छोटा राज्य होने के कारण यहाँ लोग पैंसा खर्च करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं! अगर अच्छे बजट के साथ यहाँ आंचलिक फिल्म बनाई जाय तो इस ग्लोबलाईजेशन के युग में वह सात समंदर पार भी देखी जा सकती है!
ज्ञात हो कि असीम सिन्हा श्याम बेनेगल, कुंदन शाह, केतन मेहता, तिग्मांशु धूलिया, संजय चहल, पंकज पराशर, ए.के. वीर, कल्पना लाजमी,सागर सरहदी, सुधांशु शेखर झा सहित दर्जनों निर्माता निर्देशकों की फिल्मों का सम्पादन कर चुके हैं जिनमें 90 प्रतिशत फिल्मों ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड अर्जित किये हैं! उनके सम्पादन में बनी पाकिस्तानी फिल्म “सावन” ऑस्कर के लिए भेजी गयी है! जबकि एक और पाकिस्तानी फिल्म रामचन्द्र पाकिस्तानी (महरीन जब्बार द्वारा निर्देशित) को कई पुरस्कार मिल चुके हैं! हाल ही में फ़्रांसिसी फिल्म “आंसर” के सफल सम्पादन के लिए उन्हें फ़्रांस में नाईस फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया है!

निर्देशक शेखर एस झा, निर्मात्री रिंकू सिंह, अभिनेता प्रियांशू चटर्जी।
लिटल बेबी नामक इस फिल्म में मुख्य भूमिका एक 16 बर्षीय लड़की गुलनाज सिगनपोरिया व “तुम बिन” फिल्म में नायक की भूमिका से अपने हिंदी फिल्मों का कैरियर शुरू करने वाले प्रियांशु चट्टर्जी निभा रहे हैं! अभिनेत्री के साथ को-आर्टिस्ट की भूमिका में देहरादून के आदित्य जुयाल पहली बार रंगीन परदे पर अपनी किस्मत आज मा रहे हैं!
बहरहाल फिल्म निर्मात्री रिंकू सिंह, निर्देशक शेखर एस झा, छायांकन निर्देशक अनिकेत खंडागड़े,एडिटर असीम सिन्हा, सिनेमाफोटोग्राफर व पूरी फिल्म यूनिट उत्तराखंड के सामाजिक परिवेश व यहाँ के सरल समाज से बेहद प्रभावित हैं व उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह फिल्म दीवाली में रिलीज होने के बाद अच्छा कारोबार करेगी!

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