फिल्म पदमावत के प्रदर्शन को लेकर एक दिन नजरबंद रही दुर्गावाहिनी की गढ़वाल संयोजिका भावना शर्मा!

फिल्म पदमावत के प्रदर्शन को लेकर एक दिन नजरबंद रही दुर्गावाहिनी की गढ़वाल संयोजिका भावना शर्मा!
(मनोज इष्टवाल)
कभी – कभी तो जाने क्यों लगता है कि विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी या फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व को मुखौटा बनाकर उन राजनीतिज्ञ दलों की पैरवी कर रहे हैं जो सक्रिय राजनीति में इन्हीं के मुद्दों को भुनाकर आगे लाकर धर्म परपंच की राजनीतिक गोटियों का इस्तेमाल कर अपना वोट बैंक बढाते हैं! लेकिन फिर यह लगने लगता है कि अगर ऐसा है तो फिर इन सभी हिन्दूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की इस तरह धर-पकड़ उन्हीं के फोरमुले को कैश करने वाली राजनीतिक पार्टी के राजकाज में क्यों?

सभी जानते हैं कि वर्तमान में केंद्र और ज्यादातर प्रदेश में भाजपा सरकार है और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही हिंदुत्व की खुलकर राजनीति पूरे देश में होने लगी! फिल्म पदमावत के प्रदर्शन को लेकर करणी सेना ने देश ब्यापी बबाल काटा और इसी बबाल में हिंदुत्व पर आँच आने की बात सुनकर ही हिंदुवादी संगठन एकाकार हो गए और जमकर पद्मावत के विरोध में धरना प्रदर्शन व राष्ट्रब्यापी तोड़फोड़ होनी भी शुरु हुई! कई गिरफ्तारियां भी हुई!
ऐसे में भला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शांत कैसे रहता! यों भी सम्पूर्ण उत्तराखंड में 9 पहाड़ी जिलों में हिंदुत्व पूरे परचम पर है और तीन मैदानी जिलों में छुटपुट छोड़ हिंदुत्व प्रबल माना जाता रहा है! ऐसे में जब करणी सेना के माध्यम से देशब्यापी संदेश आया कि रानी पद्मावती को मुस्लिम राजा के सामने इतिहास से छेडछाड़ कर गलत तरीके से पेश किया गया है तब देहरादून के हिन्दूवादी विचारधारा के हरिकृष्ण किमोठी ने आत्मदाह की चेतावनी दे डाली जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया!

ऐसे में विश्व हिन्दू परिषद की दुर्गावाहिनी की फायरब्रांड नेता भावना शर्मा भला कहा चुप बैठने वाली थी उन्होंने भी सोशल साईट पर लिखा कि फिल्म पदमावत को रिलीज होने नहीं देंगे! वह जौहर करेंगी! उनके आत्मदाह की चेतावनी के बाद प्रदेश का एलआईयु व खुफिया तंत्र सतर्क हो गया!
बहुत ही तरीके से पुलिस की एक टीम उनके आवास तक पहुँचने में कामयाब हुई और ऐन पद्मावत फिल्म के रिलीज होने वाले दिन उन्हें थाना प्रेम नगर में बेहद शालीन तरीके से ले गई! जहाँ महिला एसपी ने उन्हें नजरबन्द के लिए एक टीम नयागाँव थाने के लिए रवाना की! इस दौरान भावना ने विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकर्ताओं को फोन से इसकी सूचना दे दे थी लेकिन सूचना देते ही उनका फोन छीन लिया गया और उन्हें प्रेम नगर थाने से शिफ्ट कर दिया गया! उनके निकलते ही थाने में बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद्, दुर्गावाहिनी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा शुरू हो गया! वे अभी के अभी भावना शर्मा को छोड़ देने की मांग करने लगे!
पुलिस के समझाने पर की वह सुरक्षित हैं और उन्हें सब मुहैय्या करवाया जा रहा है सिर्फ ऐतिहात के तौर पर उन्हें सुरक्षित जगह रखा गया है! कार्यकर्ता मानने को राजी हुए लेकिन थाने में डटे रहे ! कुछ कार्यकर्ता इस दौरान मुख्यमंत्री कार्यलय भी गए आखिर भारी दबाब व कई घंटों की मशक्कत के बाद भावना शर्मा को छोड़ दिया गया! लेकिन आश्चर्य कि इतनी बड़ी खबर को किसी भी संगठन या न्यूज़ पेपर ने प्राथमिकता नहीं दी!
भावना शर्मा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अब यह सब अतीत बन गया है लेकिन हाँ ..मैंने जौहर की बात कही थी लेकिन जब यह सुन लिया था कि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हिन्दू मातृशक्ति की लाज पर आँच आती है तब मैंने इसे सोशल साईट पर ही पोस्ट लिखकर निर्णय टाल दिया था! फिर भी पुलिस ने उन्हें दिन भर नजरबंद किये रखा! उन्होंने कहा कि इस से यह फायदा तो हुआ कि उनके मोहल्ले के सभी लोगों का उन्हें भरपूर प्यार मिला! भावना कहती हैं कि हिंदुत्व के हितों की लड़ाई में वे जान की परवाह नहीं करती लेकिन कहीं न कहीं कभी कभी यह कशिश चुभती है कि आखिर हम संगठित होकर आवाज तो बुलंद कर लेते हैं फिर भी अपने हाशिये पर क्यों रहते हैं!
उनका इशारा किस ओर था यह मैं कह नहीं सकता लेकिन यह भी सच है कि भावना शर्मा की नजरबंदी की खबर न संगठन ने प्राथमिकता से उठाई और न न्यूज़ पेपर्स तक ही इसकी जानकारी गयी. सिर्फ एक अखबार ने इतना अवश्य लिखा कि हिंदूवादी महिला नेता भावना शर्मा को पुलिस ने थाने में बैठाए रखा! पुलिस ने क़ानून व्यवस्था को जिस तरीके से बनाए रखा वह यकीनन काबिलेतारीफ है ! बहरहाल भावना की भले ही यह खबर न छपी हो लेकिन भावना हिन्दू समाज में दुर्गावाहिनी की एक फायर ब्रांड कार्यकर्ता के रूप में पहचानी जाती है!

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