प्रीतम भरतवाण का आवाहन-राम कृष्ण की धरती स्ये…घर-घर दयू जगै द्या।
देहरादून 4 अप्रैल 2020 (हि. डिस्कवर)
यह तो निखालिस रागिनी है। न रागिनी लोकगीत न परिहार रागिनी। इकतारा पर नाथ सम्प्रदाय द्वारा गाया जाने वाला कथात्मक/लोकगाथात्मक रागिनी गीत।

पद्मश्री लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने फिर गीत के माध्यम से उत्तराखण्ड के जनमानस से अपेक्षा की है कि हम सब 5 अप्रैल को 9 बजे अपने घरों के बाहर खड़े होकर दीप प्रज्वलित कर कोरोना जैसी महामारी को अपने प्रदेश व राम कृष्ण की धरती के इस देश से दूर भगाएं।
गीत का संदेश भी ठेठ गोरखपंथी नाथ सम्प्रदाय के उज्जैन के राजा भतृहरिनाथ व बंगाल की रानी के राजकुमार गोपी चंदनाथ की इकतारा पर गाये जाने वाले गीतों से मेल खाता हुआ है। लोकगाथा व कथात्मक शैली में जैसे रिद्धि को सुमिरो सिद्धि को सुमिरो के माध्यम से इन दोनों नाथों द्वारा देशकाल परिस्थिति के आधार पर जनजागरण किया गया था ठेठ वैसा ही कुछ जागर गायक प्रीतम भरतवाण का यह गीत भी है जो कोरोना से मुक्ति के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीप आवाहन को गांव-गांव घर-घर पहुंचा रहा है।
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