पैदल झूला पुल पर प्रसव ने उखेड़ी सिस्टम की बखिया!
त्यूनी/देहरादून 25 (हि. डिस्कवर)
कभी उत्तराखंड के लिए वरदान साबित हुई स्वास्थ्य विभाग की आपातकालीन सेवा 108 अब किसी अभिशाप की तरह आये दिन जिससे कहानियों में वर्णित हो रही है. वहीँ भगवान् कहे जाने वाले अस्पताल व उसके डॉक्टर कर्मचारी कितने असंवेदनशील हो गए हैं इसकी बानगी यह क्या कम है कि भरी दोपहरी एक माँ को टोंस नदी पर त्यूनी पैदल झूला पुल में बच्चे को जन्म देना पड़ा!
विगत दिवस दिन दोपहरी उत्तरकाशी क्षेत्र ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्र आराकोट बंगाण के इशाली थुनारा गाँव की महिला श्रीमती बबिता पत्नी धनेश किसी तरह प्रसव पीड़ा के चलते लिफ्ट लेकर त्यूनी सरकारी अस्पताल पहुंची. अस्पताल कर्मियों ने डॉक्टर न होने की बात कहकर उन्हें अन्यत्र अस्पताल ले जाने को कहा, जबकि बबिता प्रसव पीड़ा से इतनी व्याकुल थी कि कभी भी बच्चा जन सकती थी लेकिन अस्पताल प्रशासन के कर्मियों को उनकी इस पीड़ा से कोई वास्ता नहीं बल्कि उन्होंने बेहद निर्मम तरीके से उन्हें अन्य अस्पताल ले जाने की सलाह दी बल्कि आपातकालीन सेवा में तैनात 108 वाहन देने से भी इनकार कर दिया.
अस्पताल स्टाफ़ के मन पसीजता न देख परिजनों ने विवश होकर महिला को नया बाजार के मार्ग से रोहडू (हिमाचल) ले जाने का मन बनाया जिसके लिए उन्होंने वैकल्पिक पैदल रास्ता चुना. श्रीमती बबिता प्रसव पीड़ा से इतनी व्याकुल हुई कि दर्द से वह पैदल पुल पहुँचते ही पुल में ही पसर गयी !परिजनों की चीख पुकार सुनकर कुछ राहगीरों ने झूलापुल से लगे गुतियाखाटल गोरखा बस्ती की महिलाओं को सूचना दी. फिर क्या था आस-पास की दुकानों व बस्ती की महिलायें चुन्नियाँ चादर लेकर पुल की तरफ दौड़ी और चादर, चुन्नियों का घेरा बनाकर महिला को ढांढस बंधवाया ! दिन दोपहरी पुल के बीचों-बीच इस तरह बच्चे ने जन्म लिया और पूरा त्यूनी बाजार माँ व बेटे की कुशलता के लिए मन ही मन प्रार्थना करते दिखे.
इस प्रकरण के बाद क्षेत्रीय लोगों में काफी रोष ब्याप्त है व अस्पताल के कर्मियों को तो मानों सांप सूंघ गया हो. दूसरी ओर 108 के जनसंपर्क अधिकारी मोहन राणा का कहना है कि उनके पास गाडी के लिए त्यूनी से कोई काल प्राप्त नहीं हुई जिसका सीधा सा अर्थ है कि विभाग इस मामले में कितना लापरवाह रहा है.
स्वास्थ्य विभाग जिस तरह की संवेदनहीनता दिखा रहा है उसका उदाहरण विगत तीन दिन पूर्व रुद्रप्रयाग जिले में भी प्रसव पीड़ित महिलाओं को ऐसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ा. अफ़सोस तो यह है कि अभी तक इस पर किसी जनप्रतिनिधि द्वारा कोई टिप्पणी नहीं आई है वहीँ जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम चकराता बृजेश तिवारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा!
प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला के पारिवारिक जनों ने जहाँ गोरखा बस्ती की महिलाओं द्वारा तत्काल सहायता मुहैय्या करवाने में कृतज्ञता व्यक्त की है वहीँ राजकीय महाविद्यालय त्यूनी की छात्र संघ अध्यक्ष सोनिया, प्रधान जगत सिंह चौहान, नवयुवक मंगलदल के मनीष, जगत, तिलक इत्यादि ने भी हर संभव इस मामले में सहायता जुटाई. बहरहाल यह मामला भले ही जच्चा बच्चा स्वस्थ होने से हल्का पड़ गया हो लेकिन सिस्टम की बखिया उधेड़ने वाले इस प्रकरण ने यकीनन उत्तराखंड को शर्मसार कर दिया है.