पुत्री के वात्सल्य से फूट पड़ीं जल की धाराएं, नाम पड़ा 'दहेज का पानी'।

पुत्री के वात्सल्य से फूट पड़ीं जल की धाराएं, नाम पड़ा ‘दहेज का पानी’।

(सचिदानन्द सेमवाल की कलम से)
देवभूमि उत्तराखण्ड में पहले लोग भी देवताओं की तरह ही सच्चे होते थे। आंख मूंदकर भी पिता कन्या को कहीं दे दे, पितृभक्त कन्याओं को सब मंजूर होता था। पिता भी अपनी पुत्री से पुत्र की अपेक्षा कई गुना अधिक स्नेह रखता है। यहाँ के पिता लोगों को अपनी पुत्री के ससुराल में रहते हुए उसके सुख-दुःख का ध्यान आजीवन रहता है।
अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर तहसील में एक गांव है- लद्युड़ा। प्राचीन समय में उस गाँव में वहाँ से कुछ दूर से एक वधू ब्वाह कर आयी। शादी के बाद पहली बार जब वह अपने मायके में आयी तो उसके पिता जी ने उससे पूछा, “लाड़ली, तुम्हें अपने ससुराल कोई परेशानी तो नहीं है?”

“पिता जी, मेरे ससुराल में सब कुछ ठीक है, लेकिन पानी की बड़ी समस्या है। मुझे खाने-पीने के लिए भी जल बहुत दूर से लाना पड़ता है। पानी के अभाव में वहाँ कृषि भी ढंग से नहीं होती। शेष कोई परेशानी नहीं है।”
पिता के करुणार्द्र दिल से आत्मा तक बात पहुंची। शब्द निकले “बेटी, जब तुम मेरे घर से ससुराल को चलोगी और जहाँ पहली बार पीछे मुड़ोगी, वहाँ पर जल का स्रोत निकल आयेगा।”
पुत्री जब ससुराल को चली तो पिता के वचन के अनुसार उसने रास्ते में तो कहीं पर भी अपने पीछे मुड़कर नहीं देखा लेकिन अपने गांव लद्यूड़ के निकट ही उसने अपने मायके की ओर देख लिया। उसके पितृ वचन मानो अर्जुन अथवा लक्ष्मण के अमोघ तीर बन चुके थे। वहाँ पर तत्काल जमीन से पानी के तीन धारे फूट पड़े, जिसको अभी तक ‘ दहेज का पानी’ कहते हैं। पानी भी इतना स्वादिष्ट कि मानो पानी में हल्की मिश्री मिलायी हो और उससे नहाने से आदमी को विद्युत ऊर्जा मिल गयी हो!
उस पानी से लद्युड़ के अगल बगल के दो गावों में अभी भी सिंचाई होती है।
आश्चर्य यह है कि उस पानी के स्रोत के ऊपर चीड़ का जंगल है जो कि सूखी जमीन में ही उगता है और वहाँ बांझ बुरांस जैसे रसीली जड़ वाले वृक्षों का नाम भी नहीं है। इस प्रकार के शुष्क पहाड़ से जल निकलना रहस्य ही है।
यह जानकारी उक्त गांव के एक व्यक्ति श्री राजेन्द्र सिंह नेगी जी से ‘ओए न्यूज’ के माध्यम से पता चली।
विशेष-यह मैंने जानकारी के आधार पर अपने शब्दों में लिखा। मेरे पास एक ऐसी ही पानी निकलने वाली सनसनीखेज घटना और है। कोई बात कन्फर्म करके किसी दिन लिखूंगा।

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