पश्चिमी किला नेपाल के सर्वोच्च कमांडर सेनापति अमर सिंह थापा जिसे ज्यूँदो बाघ के नाम से पुकारा जाता था के अमरगढ़ी में..!

पश्चिमी किला नेपाल के सर्वोच्च कमांडर सेनापति अमर सिंह थापा जिसे ज्यूँदो बाघ के नाम से पुकारा जाता था के अमरगढ़ी में..!

(मनोज इष्टवाल)
सफर भले ही थकान भरा रहा लेकिन पर्यावरण प्रिय होने के कारण सुखद रहा. आखिर नेपाल के गोठलापानी से बैतड़ी फिर पाटन होकर बैतडी जिले से डडेलधुरा जिले में प्रवेश करने में शाम जो ढलने लगी थी. एक चौक पर तीब्र मोड़ लेते हुए हमारी गाडी जब मुड़ी तब एक मूर्ती पर लिखा दिखा “म वाघ को डमरू हूँ मलाई, सिनो खाने कुकुर नसम्झ” ! साथ ही लिखा था अमरगढ़ी !
(1-उग्रतारा मंदिर  2- असिग्राम मंदिर डडेलधुरा नेपाल)
बस इतना ही पढ़ा था कि हमारी गाडी चढ़ाई चढती हुई हुई उग्रतारा मंदिर जा पहुंची. मदिर के मुख्य द्वार से पहले एक लम्बा चौड़ा बुग्याल था जिसके बीच में एक उंचा ध्वज विराजमान था. मंदिर मुख्य द्वारा से लगभग 200 मीटर से अधिक दूरी पर पर बिशाल भव्यता के साथ अपनी समृधि की गाथा स्वयम कहता दिखाई दे रहा था.
पुजारियों से पता लगा कि यहाँ माँ सति की आँख गिरी थी . यह अनिष्ठ टालने वाली उग्र स्वरुप की माँ पार्वती के रूप में पूजी जाती है जहाँ हर बर्ष इस क्षेत्र का इशाल मेला लगता है. यह मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी मानी गयी है. और यह भी कहा जाता है कि इसी देवी के आशीर्वाद प्राप्त कर पश्चिमी किला के मुख्य कमांडर सेनापति अमर सिंह थापा ने कमादेश (कुमाऊं) व केदारभूमि गढ़वाल व हिमाचल तक नेपाल राज्य का सीमा बिस्तार किया था.
(पश्चिमी किला का मुख्य कमांडर अमर सिंह थापा उनकी प्रतिमा के पीछे अमरगढ़ी)
गढ़-कुमाऊँ के सबसे बड़े आक्रान्ता के नाम से प्रसिद्ध कमांडर अमर सिंह थापा की अमरगढ़ी यहाँ से भी दिखाई दी. फिर वे घाव ताजा हो गए जो इस सेनापति के सैनिकों ने गढ़-कुमाऊं को 1791 से लेकर 1815 तक लगातार दिए. लेकिन दूसरे शब्दों में युद्ध तो युद्ध है.
(उग्रतारा मंदिर व पांच पांडव मंदिर समूह डडेलधुरा नेपाल)
सेनापति अमर सिंह थापा बगाले थापा वंशज के माने जाते हैं जिन्हें आर्य क्षत्री समुदाय का खस भी कहा जाता है. दरअसल बगाले थापा व बगाल्या थापा नाम से दो वंश इसी क्षेत्र से पूरे विश्व में फैले हैं.ये बस्नेत, कुंवर, बिष्ट, काजी व पांडे परिवारों के समतुल्य माने जाते रहे हैं.
अपनी जाति की श्रेष्टता के लिए पांडे व थापा परिवारों में यहाँ कई बर्षों तक दुश्मनी रही. ये रणसैनी व निंगला सैनी जोकि युद्ध की देवियाँ मानी जाती हैं उनके भी उपासक रहे हैं. कहा जाता है कि इन्हीं के वंशज माथवर सिंह थापा नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे हैं. अमर सिंह थापा को ज्यूँदो बाघ की उपाधि के साथ इन्हें बड़ा काजी का सम्मान भी प्राप्त था.
डडेलधुरा जिले में अमरगढ़ी, उग्रतारा मंदिर, असिग्राम मंदिर, अजयमेरु कोट, व पांच पांडव मंदिर स्थापित हैं. फिलहाल हम वक्त की नाजुकता देखते हुए यहाँ से जिला डोटी के दिपायल शहर के लिए निकल पड़े जहाँ हमें रात्री बिश्राम करना था.

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