पशुपालन विभाग एवं उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम प्रोजेक्ट ग्राम्या -2 के कन्वर्जेंस से सर्वप्रथम 200 गायों में से हुई 112 संतति उत्पन्न। श्रीमती सतेश्वरी देवी की बछिया को मिला प्रथम पुरस्कार।

पौड़ी गढ़वाल 23 दिसम्बर 2019 (हि. डिस्कवर)।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पशुओं की नस्ल सुधार हेतु लंबे समय से किए जा रहे प्रयासों के बावजूद वांछित सफलता न मिल पाने , विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एवं हाल ही में लॉन्च हुए फीमेल सोर्टेड सेक्स सीमन के उपयोग का डेमोंसट्रेशन करने हेतु जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड एकेश्वर एवं पोखड़ा में पशुपालन विभाग एवं उत्तराखंड विकेंद्रीकृत जलागम प्रोजेक्ट ग्राम्या -2 के कन्वर्जेंस से सर्वप्रथम 200 गायों में जीपीजी प्रोटोकॉल हार्मोन उत्प्रेरित विधि से पशुओं को हीट में लाकर स्थानीय न्यून उत्पादक बद्री एवं नॉनडिस्क्रिप्ट गायों में नस्ल सुधार हेतु पायलट प्रोजेक्ट लगाया गया।

पायलट प्रोजेक्ट में 200 गायों में से 112 संतति उत्पन्न हुई जिसकी सफलता को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा दोनों विभागों को वृहद स्तर पर गायों में फीमेल शॉर्टेड सेक्स सिमन उपयोग करते हुए क्लस्टर बनाने के निर्देश दिए गए
दोनों विभागों द्वारा कन्वर्जेंस के माध्यम से विकासखंड पोखड़ा एवं एकेश्वर में दो हजार गायों में सामूहिक कृत्रिम गर्भाधान प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है जिसमें कि वर्तमान तक 1462 में कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है एवं कार्य प्रगति पर है।

गर्भित किए गए पशुओं में वर्तमान तक 1140 पशुओं का गर्भ परीक्षण किया जा चुका है जिसमें से 502 लगभग 44% पशु गाभिन पाए गए हैं।

वर्तमान तक 140 बछिया एवं 4 बछड़े उत्पन्न हो चुके हैं जो भविष्य पशुपालकों की आय में प्रतिमाह 5000 से 6000 रूपये की आय अर्जित करने में सहयोगी होगा । उक्त प्रोजेक्ट में उत्पन्न मादा संतति की एक वृहद स्तर पर प्रदर्शनी 13 दिसंबर 2019 को ग्राम चौबट्टाखाल विकासखंड पोखड़ा में प्रस्तावित की गई है ।

जिला योजना के माध्यम से जनपद पौड़ी गढ़वाल के अन्य विकास खंडों में सेक्स शॉर्टेड सीमन के डेमोंसट्रेशन हेतु गत वर्ष 700 एवं वित्तीय वर्ष 2019 में 2500 गायों में सामूहिक कृत्रिम गर्भधान हेतु रुपए 40 लाख का प्रावधान किया गया है
जनपद में चलाए जा रहे प्रोजेक्ट में उत्पन्न हो रही उच्च नस्ल की बछिया के रखरखाव हेतु भी प्रोजेक्ट के माध्यम से डिवर्मिंग मिनरल मिक्सचर दाना एवं फीड एडिटिव की व्यवस्था भी की जा रही है।

सरकार द्वारा पशुपालकों की आय दोगुना करने हेतु एवं पलायन की मार झेल रहे पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर डेयरी व्यवसाय को अधिक लाभप्रद बनाने हेतु किए गए प्रयासों से सफलता की कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए जनपद पौड़ी गढ़वाल उन्नत डेयरी व्यवसाय की तरफ अग्रसर है

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