पर्वतीय किसानों के चेहरे पर आई रौनक पल भर में गायब! खूब बौराया सेब हुआ जमीदोज!
पर्वतीय किसानों के चेहरे पर आई रौनक पल भर में गायब! खूब बौराया सेब हुआ जमीदोज!
(मनोज इष्टवाल)
देहरादून 05 अप्रैल (हि. डिस्कवर)
इसे कहते हैं कुदरत की मार! कब पल में तोला पल में मासा हो जाए पाता नहीं लगता ! अब आप ही देखिये विगत माह मार्च में हुई बर्फ़बारी ने जहाँ उत्तराखंड के मुनस्यारी, उत्तरकाशी सहित विभिन्न सेब उत्पादक क्षेत्रों के किसानों के चेहरे में रौनक ला दी थी क्योंकि मार्च की बर्फ़ सेब के पुष्प प्रजनन से लेकर फल तक के लिए बेहद सुखद मानी जाती है और उस सुख का भोग करने वाले किसानों का हृदय गद्गद भी था क्योंकि हर डाल पर सेब के फूल लकदक थे. बस चंद दिनों का और इन्तजार था जब ये फूल फल की आकृति में किसानों की आमदनी का बड़ा माध्यम बनते.
उत्तरकाशी जिले के सांकरी , सिदरी, दूणी भितरी, जरमोला से लेकर आराकोट, बलावट मौन्ड़ा क्षेत्र हर बर्ष करोड़ों के सेब बेचता है लेकिन आज (बुधवार 05 अप्रैल 2017) को पड़े ओलों के साथ तेज हवा ने इस क्षेत्र के किसानों के चेहरे मुरझा गए.
सांकरी क्षेत्र के फते सिंह व सरदार सिंह का कहना है कि उनके ख्वाब मौसम ने पल में चकनाचूर कर दिए हैं. उनके बागीचों के लगभग 70 प्रतिशत फूल जो फल बनने ही वाले थे ओलों की मार से जमीदोज हो गये.
वहीँ दूसरी ओर मोरी क्षेत्र (बंगाण) के ग्राम प्रधान कुकरेडा चतर सिंह का कहना है कि इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी यह समझ पाना मुश्किल है क्योंकि उनके इलाके में तूफ़ान और ओलों ने जो तबाही मचाई है उस से सारी फसल चौपट हो गयी है. वे बताते है कि लगभग 40 प्रतिशत ही पेड़ों पर अब फूल या फल बचे हैं जो किसानों की आमदनी का एक छोटा सा हिस्सा बनेंगे.
फोटो- रतन सिंह असवाल