पर्यटन के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर उत्तराखंड को दर्शाने की पहल में जुटे सतपाल महाराज!

पर्यटन के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर उत्तराखंड को दर्शाने की पहल में जुटे सतपाल महाराज!

राज्य निर्माण से लेकर अब तक के इन 17 बर्षों में अगर उत्तराखंड के अंतर्गत धार्मिक, साहसिक पर्यटन से आगे की बात किसी मंत्री द्वारा की गयी है तो वे हैं वर्तमान के पर्यटन संस्कृति धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ! सतपाल महाराज ने अपने विश्व ब्यापी पर्यटन विजन को जिस तरह से उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में स्थापित करने के लिए कदम बढाए हैं यकीनन अगर वे धरातल पर उतर गए तब उत्तराखंड पूरे देश का एक ऐसा प्रदेश होगा जहाँ बारहों महीने दुनिया भर का पर्यटक उमड़ा रहेगा और यह विश्व मानचित्र पर पर्यटन प्रदेश के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करने में सफल होगा. जहाँ एक ओर सतपाल महाराज का विजन पर्यटन के क्षेत्र में ब्यापक दृष्टिकोण रखता है वहीँ धर्म और संस्कृति के मामलों में भी उनका कोई सानी नहीं है! देहरादून स्थित हमारे वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का साक्षात्कार लिया जिसके अंश प्रस्तुत हैं:-
 

प्रश्न:- चुनाव जीतने के बाद से ही आप पर एक अलग तरह का दबाब दिखने को मिलता रहा है. वह चाहे राजनीतिक क्षेत्र का रहा हो या पूरे प्रदेश की जनआकांक्षाओं का, क्योंकि आपका जितना बढ़ा राजनीतिक कद है प्रदेश के जनमानस की आपसे उतनी ही ज्यादा अपेक्षाएं भी हैं?
उत्तर:- (मुस्कराते हुए) सबसे पहले तो मैं आपको ये बता दूँ कि राजनीति में अपने को साबित करने के लिए जो समय होता है उससे शायद मैं काफी आगे निकल गया हूँ और यही कारण भी है कि जन अपेक्षाएं अपेक्षाकृत मुझ पर पहले से ज्यादा बढ़ी हैं. लेकिन इतना अवश्य हुआ कि मैं विधान सभा चुनाव के बाद क्षेत्रीय जनता व प्रदेश के सम्पूर्ण जनमानस के बेहद करीब आया हूँ. जनता जो प्यार मुझे दे रही है मैं उसका हृदय से आदर करता हूँ और पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि उनकी हर आकांक्षा पर खरा उतर सकूँ!  मैं जनता की भावनाओं का आदर करता हूँ एवं पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि आने वाले समय में प्रदेश को विश्व के मानचित्र पर एक पर्यटन प्रदेश के रूप में साबित कर सकूँ!
प्रश्न:- क्या आपको नहीं लगता कि गैरसैं राजधानी का मामला रहा हो या फिर कर्णप्रयाग तक रेल लाइन की बात! केंद्र में रहकर आपके इन्हीं कार्यों के ईमानदारी से निष्पादन के बाद आप पर प्रदेश की राजनीति में और अधिक बोझ आ गया है?
उत्तर:- ये सच है कि केंद्र व प्रदेश की राजनीति में अंतर होता है. अभी प्रदेश की राजनीति के अध्ययन के लिए थोड़ा बहुत वक्त तो दीजिये! हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि केन्द्र व प्रदेश दोनों जगह इस समय भाजपा की सरकार है. देश के प्रधानमंत्री सरकार बनने से पूर्व हि अपने अभिभाषण में अपनी मंशा जता चुके हैं कि डबल इंजन की सरकार होने के बाद वह प्रदेश में विकास की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे. वे अपना कार्य भली भाँती पूरा कर रहे हैं. आये दिन मंत्रिमंडल को वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये दिशा निर्देश देना. मोदी फेस्ट को आप देख ही रहे हैं. वहीँ प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत भी बखूबी अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं. हम सभी पूरी ईमानदारी के साथ प्रदेश के विकास के लिए कार्य करने में जुटे हैं. जहाँ तक बोझ की बात है वह बोझ नहीं बल्कि जिम्मेदारियां हैं. सच कहें तो मुझे ख़ुशी होगी कि मैं धर्म पर्यटन के मामले में प्रदेश को कुछ ऐसा नयापन दे सकूँ ताकि हमारे वीरान होते गाँव, बंजर होते खेत खलिहानों फिर से खुशहाली के युग में पहुंचे! हर युवा को रोजगार मिले यही हमारा प्रयास भी है!
प्रश्न:- पलायन निरंतर एक अवधारणा रही है जिसे रोक पाना संभव नहीं है क्योंकि जिसके कदम भी एक बार शहर की ओर उठे वह लौटकर गाँव नहीं गया. क्या गाँव में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण ही पलायन होता रहा है. अगर ऐसा है तो हमारे पडोसी राज्य हिमाचल में गाँव आज भी खुशहाल क्यों हैं! वहां आज भी मंत्री विधायक अपने गाँव में रचे बसे हैं. क्या आपको नहीं लगता कि हमारे गाँवों से पलायन की वजह ही राजनीतिज्ञों के कारण है क्योंकि जो भी विधायक या मंत्री बना उसी ने गाँव छोड़ दिया?
उत्तर:- आपका प्रश्न ही गलत है इसे सुधार लीजिये क्योंकि मैं भी राजनीतिज्ञ हूँ और इसी प्रदेश का हूँ. गाँवों से होते अंधाधुंध पलायन ने मुझे हि नहीं मेरे पूरे परिवार को भी कचोटा. मुझे आज भी अपने घर-गाँव की माटी से उतना ही प्यार व लगाव है जितना बाल्यकाल में था. बल्कि अब और ज्यादा हो गया है क्योंकि आज मेरा अपने गाँव में मकान है और हम परिवार सहित नियमित रूप से गाँव आते जाते हैं. मेरी देखा-देखी में कई अन्य प्रतिष्ठित परिवारों ने भी उत्तराखंड के कई गाँवों में अपने आवास पुनर्जीवित किये हैं. सच मानिए तो गाँव हम सबकी ऊर्जा के स्रोत हैं. वहां आज भी पर्यावरणीय शुद्धता व लाड-प्यार है जो पल भर में सारी  थकान मिटा देता है. यह अलग बात है कि हर राजनीतिज्ञ को सामजिक कार्यों के कारण घर परिवार से दूर रहना पढता है लेकिन भाजपा के आज भी ज्यादातर विधायक अपने गाँवों में निवास करते हैं. शिक्षा स्वास्थ्य और पानी को अब तक हम पलायन की मुख्य वजह मानते रहे थे लेकिन यह निरंतरता रही है हर बाप या माँ अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सपने देखते हैं और उन्हें अधिकार भी है कि वे ऐसा करें, लेकिन हमारे पैर शहर की रुख करके वापस गाँव की ओर नहीं बढ़ते यही समस्या है! हमारा प्रयास है कि यहाँ की जवानी को नौकरी की जगह स्वरोज़गार की ओर ले जाया जाय ताकि वे नौकर न रहें बल्कि दूसरों को नौकरी दें. इसके लिए हमें बड़े स्तर पर अपने पर्वतीय प्रदेश के लिए कार्य-योजना बनाने की जरुरत है और सच मानिए हमारी सरकार इस पर तेजी से कार्य भी कर रही है!
प्रश्न:- प्रदेश का पर्यटन अभी तक तो सिर्फ और सिर्फ चार धाम यात्रा पर ही जुडा हुआ है. मेरे कहने का मतलब है कि उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन की ही आजतक हम रोटी सेंकते आये हैं. उस से जुड़े हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी (आंशिक), रुद्रप्रयाग व चमोली जिले ही अब लाभान्वित होते रहे हैं. बाकी जिलों में आंशिक पर्यटन ही दिखने को मिलता है जबकि हम पूरे प्रदेश के हर जिले को पर्यटन से जोड़ सकते थे?
उत्तर:- अब तक क्या होता रहा है और क्या नहीं ! ये बात छोड़िये क्योंकि अतीत के साथ चलना हमारी फितरत नहीं है. पर्यटन के लिए हम सिर्फ भाषणबाजी पर विश्वास नहीं करते. जहाँ तक मेरा सवाल है मैं अपनी इस देवभूमि पर धार्मिक, साहसिक, वेलनेस, रोपवे व फर्निकुलर निर्माण, ग्रामीण पर्यटन सहित तमाम उन बिन्दुओं पर कार्ययोजना बना चुके हैं जो आने वाले समय में पूरे प्रदेश को देशही नहीं बल्कि विश्व के पर्यटन के मानचित्र पर ला खड़ा करेगा. यहाँ 12 माह पर्यटक उमड़े रहेंगे और हर परिवार अपनी  क्षमताओं के आधार पर इस से कहीं न कहीं जुडा रहेगा. हम वैदिक इको टूरिज्म व गोल्फ कोर्ट अलग विकसित करेंगे! हमारा एको टूरिज्म इसलिए वैदिक इको टूरिज्म कहलायेगा क्योंकि हम उस प्रदेश के वासी हैं जहाँ अगर हमें किसी जड़ी बूटी को भी लेना होगा तो पहले धरती माँ का हाथ जोडकर अभिवादन करते हैं क्योंकि ये हमारी बेहद पुरातन और वैदिक परम्परा का हिस्सा रही है. गोल्फ कोर्ट यहाँ की ह्सीन वादियों के लिए वरदान साबित होंगे क्योंकि जापान जैसा विकसित देश गोल्फ के लिए हजारों हजार करोड़ रूपये खर्च करने के लिए तत्पर रहता है हमें अपने खूबसूरत बुग्याल इसके लिए चयनित करने होंगे.
प्रश्न:- क्या फिर भी यह चंद जिलों में ही जारी रहेगा या पूरे प्रदेश के जिलों के लिए कोई रोड-मैप आपका विभाग तैयार कर रहा है!
उत्तर:- अच्छा प्रश्न है! इस सम्बन्ध में मैंने प्रदेश  समस्त विधायकों से जानकारी मांगी है चाहे वह भाजपा का हो या कांग्रेस का! इस से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशों के आधार पर हम पूरी ईमानदारी से प्रदेश के हर नागरिक तक अपनी योजनाओं का लाभ पहुंचाएंगे ताकि हम अपनी समृद्धशाली लोक परम्पराओं का निर्वहन कर सकें. मैंने हर विधान सभा के विधायकों को पात्र लिखकर अपने क्षेत्र के पर्यटन स्थलों को चिन्हित करने कर उसकी जानकारी मांगी है ताकि हम प्रदेश ब्यापी पर्यटन की एक ऐसी कारगर कार्य-योजना बना सकें जो हमें निरंतर हो रहे पलायन से बचायेगा!
प्रश्न:- ऐसी किन योजनाओं को आप प्रदेश भर में लागू करने की फिराक में हैं जो यहाँ 12 माह पर्यटन से हमें जोड़े रखेगा व आर्थिकी में मदद देगा?
उत्तर: धार्मिक पर्यटन में हम चार धाम  के अलावा शाक्त, शैव, बैष्णव, गैराड गोलू, नागराजा व अन्य स्थलों को सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना को प्रस्तावित कर रहे हैं ताकि प्रदेश भर में हमारे धार्मिक अनुष्ठानों पर धर्मावलम्बी पहुँच पायें साथ हि साहसिक पर्यटन में हमारे पास असीम संभावनाएं हैं जिनमे एयर एडवेंचर स्पोर्ट्स, वाटर अड्वेंचर स्पोर्ट्स, माउंटेन एडवेंचर स्पोर्ट्स, विंटर अड्वेंचर स्पोर्ट्स, बंगी जम्पिंग, ज़िप लीनिंग/फ्लाइंग फॉक्स, ज़ोर्बिंग, ऑफरोडिंग आल टीरेन व्हीकल्स/बुग्गी, हाई रोप पार्क सहित दर्जनों साहसिक पर्यटन से जुडी गतिविधियाँ हैं.
आप जानते ही हैं कि शिवपुरी अंतर्राष्ट्रीय रिवर राफ्टिंग हब के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. गंगा नदी में कुल 262 रिवर राफ्टिंग फार्मों को 576 राफ्तों के संचालन की अनुमति हमारे द्वारा दी गयी है. इसके अलावा अन्य नदियों में 36 फर्मों को राफ्टिंग की अनुमति दी गयी है. विभाग द्वारा टिहरी साहसिक पर्यटन महोत्सव, गंगा क्याक फेस्टिवल, सेलिंग रिगाटा, ट्रेक ऑफ़ द इयर आदि का नियमित आयोजन किया जाता रहा है.इस बर्ष हमारे द्वारा नीति घाटी के द्रोणागिरी (चमोली) व उत्तरकाशी के हिमाचल से लगे बंगाण क्षेत्र के चाईशील/चांशल में ट्रेक ऑफ़ द इयर अभी हाल ही में शुरू किया गया.
प्रश्न:- फिर आप इसे ग्रामीणों तक भला कैसे जोड़ेंगे किस तरह यह गाँवों में रह रहे ग्रामीणों के लिए फायदेमंद होगा?
उत्तर:- जहाँ वेलनेस पर्यटन के माध्यम से हमने योगा, आयुर्वेद, पंचकर्म आदि को महत्तता दी है वहीँ रोपवे निर्माण श्री केदारनाथ धाम, यमुनोत्री धाम, कार्तिक स्वामी धाम, भैरव गढ़ी, पूर्णागिरी, सुरकुंडा, कुंजापुरी, हेमकुंड इत्यादि में हम इसे बहुत जल्दी ही निर्मित कर गाँव क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं. रही ग्रामीण पर्यटन की बात तो उत्तराखंड में उत्तराखंड ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना संचालित की जा रही है. इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में त्रिस्तरीय श्रेणियों व्यक्तिगत, एकल ग्राम तथा कलस्टर के रूप में विकसित कर रहे हैं. इसी योजना के तहत होम स्टे योजना स्थापित करने का लक्ष्य भी है. इस योजना को पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम से को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनाए जाने की योजना भी प्रस्तावित है. हम पंडित दीन दयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना के अंतर्गत पहले हि 60 बर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को चारधाम निशुल्क यात्रा भी करवा रहे हैं. हमें उम्मीद हि नहीं बल्कि पूरा विश्वास भी है कि आगामी समय में हम पर्यटन, तीर्थाटन, धर्म व लोक संस्कृति में पूरे देश दुनिया के लिए एक मिशाल के रूप में साबित होंगे.
 

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