पदमश्री सुधा वर्गीज हैं नारी गुंजन सरगम महिला बैंड की प्रेरणास्रोत! पटना में है इस बैंड का धमाका!

(उषा नेगी)
आज के सभ्य समाज में जहाँ हम नारियों को सम्मान देने की बात करते हैं हकीकत में देखा जाए तो वहाँ भी कहीं न कहीं पुरुष का स्वाभिमान मुँह बाये खड़ा हो जाता है |नारियां आज भी अपनी पहचान बनाने के लिए पुरुषों के मुकाबले कड़ी मेहनत कर रहीं हैं और अपनी कड़ी मेहनत तथा लगन से सफलता भी प्राप्त कर रहीं हैं |ऐसी ही एक मिथक को सार्थक किया है पटना की 10 दलित
महिलाओं की बैंड टीम ने ,जिन्होंने समाज में न केवल पुरुषों का विरोध सहा अपितु अपनों के तानों का भी सामना किया |

पटना के दानापुर के ढिबरा -मुबारकपुर गाँव की महादलित समुदाय की 10 महिलाओं ने बैंड -बजे के क्षेत्र में पुरुषों के एकाधिकार को ध्वस्त कर दिया और समाज में एक नई मिशाल कायम की |2014 में जब इन्होंने इस काम को अंजाम देने की ठानी तो लोगों ने न केवल विरोध किया बल्कि मजाक बनाते हुए ताने भी कसे कि ये अब बैंड भी बजायेंगी |लेकिन अंत में में उन्होंने बैंड बजा ही डाला और पुरुषों को यह दिखा दिया कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं होती हैं |
2014 की है जब ये महिलाएं और इनका परिवार मेहनत और मजदूरी करके अपना जीवनयापन किया करते थे |कड़ी मेहनत
के बाबजूद मुश्किल से रोटी का इंतजाम होता था |बच्चों की शिक्षा ,स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी आवश्यकताएं पूरी करना उनके बस की बात नहीं थी| ऐसे मुश्किल समय में सामाजिक कार्यकर्ती पदमश्री सुधा वर्गीज एक मसीहा बनकर सामने आयीं जिन्होंने यह सुझाव दिया की यदि ये महिलाएं बैंड पार्टी बना लें तो शादी -ब्याह के सीजन में अतिरिक्त कमाई कर सकती हैं| इन्होंने ही एक प्रशिक्षक का इंतजाम किया जिसने इन महिलाओं को बैंड पार्टी में बजाये जाने वाले विविध वाद्यों को बजाना सिखाया |अप्रैल 2015 में इन्होंने अपनी बैंड पार्टी का नाम दिया नारी गुंजन सरगम महिला बैंड |
इस प्रकार इन्होंने नया सफर शुरू किया |बैंड पार्टी से जुडी सावित्री ,पंचम ,लालती ,मानसी ,चित्ररेखा ,अनीता ,सोना ,विज्ञानवती,डोमनी और छठीया देवी कहती है कि जब वे बजा सीख रहे थे तो मर्द लोग मजाक बनाया करते थे कि बैंड -वैंड इधर नहीं चलेगा |यहाँ तक कि गाँव की बुजुर्ग महिलाओं ने भी ताने मरने में कोई कसर नहीं छोडी कि मर्दों का काम मर्दों को ही सुहाता है |उन्होंने अपने पतियों की अवहेलना का सामना भी किया कि ढोल पीटने से अगर घर भर जाता तो सभी ढोल पीट लेते |लेकिन आज वे बहुत खुश हैं कि जिन लोगों ने उनकी आलोचना की थी वे ही उनका सम्मान करने लगे हैं |टीम लीडर सविता कहती है कि बैंड से हमारी जिन्दगी ही बदल गयी है|हर सदस्या को हर माह 15 ,000 रूपये तक की आमदनी होने से परिवार में उनका सम्मान बढ़ गया है |वे कहतीं हैं कि जब भी वे फाइव स्टार होटल में बैंड बजाने जाते हैं तो लोग देखते ही रह जाते हैं |लोग उन्हें मोबाईल पर भी सम्पर्क करते हैं |इससे उन्हें अच्छा लगता है |पदमश्री सुधा वर्गीज का कहना है कि महिला बैंड पार्टी ने इस मिथक को तोडा है| इससे प्रेरित होकर सूबे के दूसरे हिस्से की महिलाएं भी बैंड पार्टी बनाने के लिए सम्पर्क कर रही हैं|उन्होंने कहा है कि उम्मीद से अधिक सफलता मिली है| दूसरी महिला बैंड पार्टी की बुनियाद पुनपुन प्रखंड में रखी जा रही है |

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