पंचेश्वर बाँध सहित दर्जनभर परियोजनाओं पर नेपाल व भारत में सहमति!
नई दिल्ली (हि.डिस्कवर)
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी की मुलाक़ात!
- चीन के लिए यह वार्ता असहज करने वाली !
भारत नेपाल के दरकते रिश्तों में पुन: गर्माहट आई है जो दोनों ही देशों के पूर्व से चले आ रहे सम्बन्धों को और अधिक प्रगाढ़ता देने के लिए बेहद माकूल समय में शुरुआत दे गए हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्वीपक्षीय बातचीत में आपसी आपसी रिश्तों में तनाव का कारण बन रहे हर मुद्दे पर गहन मंथन हुआ है और उनका जल्दी ही हल निकालने में सहमति भी बनी है.
ज्ञात हो कि विगत दो बर्षों से भारत नेपाल सम्बन्धों को चीन ही नहीं बल्कि दोंनों देशों के आंतरिक राजनीतिज्ञ हालात भी हवा देते रहे हैं जिस से रोटी-बेटी के सम्बन्धों के इन देशों में रिश्तों पर कई बार कडुवाहट देखी गयी है लेकिन नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा से दोनों देशों ने उन हर सम्बन्धों पर एक दूसरे को विश्वास में लिया है जो दूरियां बना रहे थे.
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भारत को विश्वास दिलाया है कि वह अपनी जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे! वहीँ भारत ने भी उदार दिल दिखाते हुए नेपाल की उस हर वजह को जानने की कोशिश की है जिस से नेपाल चीन की ओर आकृष्ट हो रहा था, और उस पर हर कदम गम्भीरता से उठाने का निर्णय लेते हुए हल मसले को सौहार्दपूर्ण तरीके से निबटाने की बात की है साथ ही उसकी हर सम्भव भरपाई का भी आश्वासन दिया है.
यह द्वीपक्षीय वार्ता चीन की उस घेराबंदी को विफल करने में सफल हुई जिसे वह मेकमोहन लाइन के बाहर रचकर भारत पर हर सम्भव दबाब बनाने की कोशिश कर रहा था. नेपाल भी यह समझ चुका है कि अगर उसने चीन का साथ दिया तो उसका भी हश्र तिब्बत जैसा ही होगा इसलिए उसने अंतर्राष्ट्रीय हालातों का जायजा लेकर भारत के पक्ष में मजबूती से खड़े होकर यह जताने की हर सम्भव प्रयास किया है कि भारत नेपाल के आपसी सम्बन्धों को कोई तीसरा देश डिगा नहीं सकता!
इस द्विपक्षीय वार्ता में भारत ने नेपाल में ढांचागत विकास से जुडी 10 नई परियोजनाओं को शुरू करने के प्रस्ताव पर गंभीरता से आश्वासन दिए है. ज्ञात हो कि ये सारे प्रस्ताव इसी माह की शुरुआत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नेपाल सरकार से मांगे थे. इसमें अन्तर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट निर्माण से लेकर रेलपरियोजनाओं के विस्तार की रूपरेखा शामिल हैं. भारत ने दरियादिली के साथ भारत नेपाल सीमा पर काली नदी में बनने वाले पंचेश्वर बाँध की 5000 मेघावाट क्षमता की पंचेश्वर विद्युत परियोजना, एक तकनीकी संस्थान व एक श्वसन रोग चिकित्सा केंद्र, डबल सड़क योजना को चार लेन में तब्दील करना, मोतिहारी अमलेकगंज एलपीजी पाइपलाइन का विस्तार, दो मौजूदा रेल नेटवर्कों का विस्तार व तीन नए रेल नेटवर्क पर विचार, महाकाली नदी पर भारत व पश्चिमी नेपाल को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए कई पुलों का विस्तार, भारत-नेपाल सीमा पर बिशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण पर विचार, पनबिजली (अरुण थ्री) परियोजना सहित कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किये हैं!