पंचाचूली की तलहटी में रवांल्टी संस्कृति की सुवास। 

(शशिमोहन रवांल्टा की कलम से)
सरस्वती वन्दना व स्वागतोत्सव के साथ आरम्भ हुआ रा.प्रा.वि.-मेलती, धारचूला का वार्षिकोत्सव अपार हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। माँ सरस्वती व भारती के स्तुतिगान के साथ आरम्भ हुआ विद्यालय का वार्षिक उत्सव कुमाऊँ तथा गढ़वाल मण्डलों की वैशिष्टय युक्त लोक संस्कृति से रंगा नज़र आया। विद्यालय के बाल कलाकारों द्वारा इस अवसर पर गढ़वाली, कुमाऊँनी की लोक संस्कृति के अतिरिक्त रवाँई के छोडे तथा ताँदी आधारित लोकगीतों की खासा धूम रही।

मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर विशुद्ध रूप से ग्रामीण अंचल में निवास करने वाले अपने नौनिहालों को गढवाल, कुमाऊँ, रवाँई, जौनपुर आदि विविध क्षेत्रों की सांस्कृतिक विशिष्टता को उदघाटित करते कार्यक्रमों के अतिरिक्त इस दौरान राजस्थान का घुमर, गुजरात का गरबा, हिमाचल की नाटी तथा नेपाल का परखा-परखा भी दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।

उल्लेखनीय है कि अति दुर्गम के इस विद्यालय में इस प्रकार के आयोजन की शुरुआत गतवर्ष से विद्यालय में तैनात शिक्षक दिनेश रावत द्वारा की गयी। विद्यालय में एक मात्र अकेला शिक्षक होने के बावजूद भी बच्चों के प्रति उनके समर्पण व प्रतिबद्धता में किसी प्रकार का कोई कमी नहीं दिखती।
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विद्यालय में आयोजित इस वर्ष का उत्सव उनके द्वारा क्षेत्र के बुजूर्गों को समर्पित किया गया था इसलिए कार्यक्रम की थीम ही “हमारे बुजूर्ग हमारी विरासत” रखी गयी थी। जिसमें क्षेत्र के तमाम् बुजुर्गजनों को विशेषरूप से आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम के अंत में वर्ष भर शैक्षिक तथा सह- शैक्षिक क्षेत्रों के उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित किया गया। जिनमें यशोदा, गीता, नवीन, भावना, रजनी, गोदावरी, कृष्णा, कुमकुम, दर्शन, दीपक, कविता तथा विद्यालय के पूर्व छात्र प्रियंका, पूजा, गौरव, नेहा, रोशनी, कविता, यशोदा व हेमवंती को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में संतोष कुमार, रूप सिंह, नैन सिंह, अरविंद सिंह, हिमांशु, नीरज, किशन, ललित, देवेन्द्र आदि का विशेष सहयोग रहा जबकि अन्य ग्रामवासियों द्वारा भी यथासम्भव सहयोग प्रदान किया गया।
इस पूरे कार्यक्रम का आयोजन व निर्देशन विद्यालय के एक मात्र शिक्षक दिनेश रावत द्वारा किया गया।

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