नेपाल व भारत के महाकाली आँचल में और प्रगाढ़ होंगे दोनों देशों के व्यवसायिक व सामाजिक रिश्ते!

(उषा नेगी)
भारत भ्रमण के दौरान नेपाल के शिष्ट मंडल ने विगत शुक्रवार को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से भेंट की।वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत हुई जिनमें  भारत और नेपाल के बीच पर्यटन सम्बन्धी योजनायें , कैलाश मानसरोवर यात्रा ,होम -स्टे जैसे विषयों पर मुख्य रूप से बातें प्रमुख रही!  पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने नेपाल के शिष्टमंडल को विश्वास दिलाया कि नेपाल के स्टेट नम्बर -7 यानि धनगढ़ी से लेकर दार्चुला तक फैले सम्पूर्ण पश्चिमी नेपाल से  बड़ी संख्या मे इलाज को आने वाले नेपाली जनमानस  के लिए बेहतर उत्तराखंड में स्वास्थ्य के बेहतर  प्रबन्ध किये जायेंगे। बॉर्डर के दोनों छोरों पर होम -स्टे क्लस्टर विकसित करके पर्यटकों को  आमंत्रित किया जायेगा।

नेपाल के शिष्ट मंडल में  वहां के पर्यटन सचिव सुधीर कुमार कोइराला और पर्यटन एक्सपर्ट अनु कुमारी लामा  अगुवाई में शिष्ट मंडल ने यूटीडीबी के कांफ्रेस हाल में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से मुलाक़ात में बताया कि नेपाल के सेक्टर 7 क्षेत्र व भारत के उत्तराखंड का महाकाली आँचल में सदियों से रोटी बेटी के सम्बन्ध निरंतर चलते रहे हैं और हमेशा दोनों ही देशों ने एक दूसरे के लोक समाज को समझा है व उन्हें आदर दिया है।

नेपाल के पर्यटन सचिव ने कहा कि क्योंकि सेक्टर 7 में हमारा राष्ट्र का पश्चिमी हिस्सा भारत के करीब है व यहाँ से नेपाल की राजधानी काठमांडो बहुत दूर है जिससे इस क्षेत्र के विकास में जो प्रमुखता होनी चाहिए थी हो नहीं पा रही है इसलिए वे चाहते हैं कि हम अपने लोक संस्कृति के सम्बन्धों के साथ व्यवसायिक सम्बन्धों को भी और अधिक मजबूती प्रदान करें।

ज्ञात हो कि आज भी नेपाल के सेक्टर 7 के ज्यादात्तर लोग भारत बर्ष के विभिन्न सरकारी संस्थानों में नौकरी पर हैं और यहाँ के पेंशनधारी लोगों के खाते उत्तराखंड के बनवसा, लोहाघाट, पिथौरागढ़, जौलजीवी, व दार्चुला के बैंकों में हैं! नेपाल और भारत के रिश्तों में निकटता निकट भविष्य में चीन की नेपाल में बढती घुसपैठ और व्यवसायिक सम्बन्धों को देखते हुए भी बेहद जरुरी है।  एक ओर जहाँ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज नेपाल से संबंधों को बढ़ाने मे पर्यटन को महत्व दे रहे हैं ! वहीं दूसरी ओर पेट्रोलियम व प्राक्रतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने नेपाल यात्रा के दौरान वहां के वाणिज्य व उद्योग मंत्री मातृका प्रसाद यादव से बातचीत की।
भारत ने नेपाल को एल पी जी व प्राकृतिक गैस की दो अलग -अलग पाईप लाईन बिछाने का प्रस्ताव किया है।चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए भारत ने भी कमर कस ली है |पूर्व मे भी नेपाल और चीन के मध्य एल पी जी आपूर्ति को लेकर कई बार वार्ता भी हो चुकी है। वर्ष 2014 -2015 में मधेसी आन्दोलन के कारण भारत से एल पी जी गैस की आपूर्ति बंद हो गयी थी।चीन की तरफ से नेपाल को रेल व सड़क से जोड़ने का काम चल रहा है।ऐसे समय मे भारत नेपाल के साथ अपने रिश्तों को आगे बढ़ाने मे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है |नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली की पिछली यात्रा के दौरान भारत ने एक साथ तीन रेल परियोजनाओं से जुड़ने की घोषणा करके आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने की कोशिस की थी। नेपाल की सीमा चीन से जुडी होने के कारण भी भारत सरकार को इस दिशा मे ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने नेपाल के शिष्ट मंडल से हुई बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा कि नेपाल व उत्तराखण्ड के धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन सम्बन्धी विभिन्न मुद्दों को लेकर हमारी वार्ता में कई सकारात्मक पहलू सामने आए हैं। बैठक में काली व महाकाली आँचल से लगे स्टेट नम्बर 7 नेपाल व उत्तराखण्ड के कुमाऊँ के भूभाग में आपसी सम्बन्धों के साथ साथ पर्यटन सम्बन्धी व्यवसाय के बढ़ावे को लेकर भी चर्चा हुई। जिसमें काली नदी आर पार दोनों देशों को जोड़ने वाले पुल, रोटी बेटी के रिश्ते, लोक संस्कृति व धार्मिक व व्यवसायिक पर्यटन पर आपसी रजामंदी हुई है। उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह क्षेत्र दोनों ही देशों के लोकसंस्कृति व आपसी सामंजस्य के लिए अतुलनीय है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पंचेश्वर में बनने वाले बांध पर चर्चा करते हुए कहा कि इस बांध से दोनों क्षेत्र के लोगों ही नहीं बल्कि राष्ट्र को भी काफी फायदा होगा। नेपाली दल का प्रतिनिधित्व कर रहे वहां के पर्यटन सचिव सुधीर कुमार कोइराला ने कहा कि स्टेट नम्बर 7 का क्षेत्र गढ़वाल कुमाऊं की लोकसंस्कृति से आपसी जुड़ाव महसूस करता है। क्योंकि उत्तराखण्ड की दूरी स्टेट नम्बर 7 से बेहद नजदीक ही जबकि काठमांडू यहां से काफी दूर है इसलिए उत्तराखण्ड राज्य व हमारे राज्य दोनों को पर्यटन, सँस्कृति व धर्मस्व के साथ लोकसमाज के रोटी बेटी के सम्बन्धों को और मजबूती से लेकर चलना होगा ताकि हम एक दूसरे से रोजगार अर्जित कर अपने अपने देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।
बहरहाल अब गेंद केंद्रीय रक्षा मंत्री सुषमा स्वराज के पाले में है कि वह इस पर क्या ठोस निर्णय ले सकती है लेकिन यह तय है कि अगर महाकाली में व्यवसायिक स्तर पर पर्यटन व धर्म संस्कृति का आदान प्रदान होगा तब दोनों देशों की प्रगाढ़ता के साथ इन सीमांत क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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