निजामुद्दीन के मरकज में अभी तक 441 लोगों में कोरोना के लक्षण! पांच हजार लोगों में से लगभग 1830 की ढूँढ! 34 मरकजी उत्तराखंड में अभी तक चिन्हित!

(मनोज इष्टवाल)

यह जो अब सामने आ रहा है यकीनन बेहद खौफनाक है! जहाँ पहले निजामुद्दीन की मरकज पर पहले 1400 लोगों के ठहरने की बात थी अब वह आंकडा 24 मार्च तक 1746 पहुँच गया है और इन्हीं में 441 अभी तक कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए, जबकि अभी कईयों की जांच बाकी है!

यहाँ आपत्ति मुझे उन तमाम नेताओं पत्रकारों व सामाजिक संस्थाओं के समाजसेवियों से है जिन्हें अब भी पुलिस की कार्यवाही पर प्रश्नचिह्न लगाने में जरा सा भी संकोच नहीं है! उन्हें यह जानकारी भी होनी चाहिए कि ये मरकज आखिर बला क्या है!

आपको बता दें कि हर बर्ष दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के पास स्थित मरकज में देश-विदेश से मुस्लिम समाज की तबलीगी जमात के लोग यहाँ हजारों की संख्या में सदका करने आते हैं! इस बर्ष भी कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लॉकडाउन की घोषणा से पहले यहाँ पांच हजार से अधिक लोग थे लेकिन लॉकडाउन के बाद मस्जिद व पुलिस के आंकड़ों के अनुसार 21 मार्च को 1746 लोग यहाँ मौजूद थे।

मामला तब प्रकाश में आया जब तमिलनाडु के 64 साल के बुजुर्ग को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाना पड़ा था, जहां रविवार को उनकी मौत हो गई।  मौत की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए मरकज में जांच की। यहां एक-एक कमरे में 8-10 लोग ठहरे थे। इनमें से कई को हल्की खांसी और जुकाम की शिकायत भी थी। इतनी तादाद में संदिग्ध मिलने पर प्रशासन ने डीटीसी की बसें लगाकर लोगों को अस्पतालों में पहुंचाना शुरू किया।

यह खबर लगते ही इस पूरे इलाके को सील कर दिया गया! इलाका सील होने पर कई राजनैतिक पार्टियों, नेताओं व सामाजिक संस्थाओं/ संगठनों व समाजसेवियों का फिर से कैकई विलाप शुरू हो गया, क्योंकि इनकी फितरत में सिर्फ एक ही आदमी इन्हें बेहद खलता है और वह आदमी हैं देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी!

जब पूरे देश में जगह-जगह मरकज में शामिल हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों का मरना शुरू हुआ तो इनकी जुबान भी खामोश होने लगी! वे सुर भी धीमे पड़ने लगे जो कहते थे कि यह तो अल्लाह-ताला की भेजी हुई बिमारी है, इसलिए इस बिमारी का उन पर कोई असर नहीं होगा लेकिन वर्तमान आंकड़े सबसे उलट हैं क्योंकि वर्तमान में मरने वाले 90 फीसद मुस्लिम समुदाय के ही लोग हैं व 92 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग ही कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं! कल तक जिस देश में कोरोना संक्रमित जनमानस सैकड़ों में था वह रातों-रात लगभग डेढ़ हजार की संख्या पार कर गया! इस डेढ़ हजार में अभी तक मरकज में शामिल हुए 441 मुस्लिम कोरोना संक्रमित पाए गए हैं जबकि अभी कई सौ की जांच होनी बाकी हैं!

ज्ञात होकि 24 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद भी दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया 1746 से ज्यादा लोग ठहरे हुए थे, रविवार से इन्हें यहां से निकाला जा रहा है ! डीटीसी की बसों के जरिए 32-32 लोगों को अलग-अलग हॉस्पिटल पहुंचाया गया, इनमें 216 विदेशी और 1530 लोग भारतीय थे। विदेश से आने वाले लोगों में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गीस्तान से आए लोग शामिल थे। वहीं 1530 लोगों में भारत के अलग-अलग राज्यों से आए हुए लोग हैं। अभी भी यहां 100 से 200 लोग मौजूद हैं, जिन्हें 32-32 की खेप में बसों के जरिए हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। प्रशासन, एनडीएमसी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बस में बैठाए जाने से पहले ही लोगों की स्क्रिनिंग की जा रही है। ऐसे में एक बस को रवाना करने में 40 से 45 मिनट लग रहे हैं। 

वहीँ अब मस्जिद प्रशासन अपनी गलती से पल्ला झाड रहा है! प्रशासन का कहना है कि उन्होंने किसी तरह के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है।

देश गृह मंत्देरालय, पुलिस प्शरशासन, राजस्व, स्वास्थ्य विभाग के लिए सिरदर्दी बने इन मरकजियों की खोजबीन शुरू हो गयी है! अलग-अलग राज्यों ने तब्लीगी जमात में गए लोगों को चिह्नित करना शुरू कर दिया है। पिछले दिनों यहां से करीब 800 लोग बाहर जा चुके हैं। हर राज्यों की पुलिस इन्हें ढूंढ़ रही है। वर्तमान तक मिले आंकड़ों के अनुसार असम में 216, अंडमान में 21, बिहार में 86, हरियाणा में 22, हिमाचल में 15, हैदराबाद में 55, कर्नाटका में 45, केरल में 15, महाराष्ट्र में 109, मेघालय में 5, मध्यप्रदेश में 107, ओड़िसा में 15, पंजाब में 9, राजस्थान में 19, रांची में 46, तमिलनाडु में सबसे अधिक 501, उत्तराखंड में 34, उत्तर प्रदेश में 156, पश्चिम बंगाल में 73 व 281 अन्तर्राष्ट्रीय तबलीगी जमात के लोग चिन्हित किये गए हैं।

यहाँ अभी भी प्रश्न यह उठता है कि अगर जनता कर्फ्यू से पूर्व यहाँ 5000 से अधिक तबलीगी जमात के लोग थे तब उनका पता कैसे ढूँढा जाएगा? क्या ये खुद सामने आयेंगे या फिर इनके परिजन इन्हें समाने लायेंगे? और अगर ऐसा नहीं हुआ तो न सिर्फ कोरोना का आंकडा देश में दिनों-दिन बढेगा बल्कि उन्हें चिन्हित करने के लिए कहीं कर्फ्यू सीमा विस्तार पर गृह मंत्रालय व पीएमओ दुबारा विचार कर उसे और न बढ़ा दें! ऐसे में गरीब के लिए और दुविधा हो सकती है!

फिलहाल जहाँ दुनिया के सारे वैश्विक देश व हेल्थ केयर में टॉप फाइव में स्थान रखने वाले देशो में कोरोना के कहर से लाखों लोग मर गए हैं या संक्रमित हैं वहां अगर यही बारी हेल्थ केयर के रूप में विश्व में 112 स्थान पर खड़े भारत में तबाही मचनी शुरू हुई तो यह सम्भलना मुश्किल हो जाएगा! अनुरोध है कि हम ऐसे समय में बेवजह की बयानबाजी न करें ! सरकारी जानकारियों को आत्मीयता से सुन सब्र से उसका पालन करेंगे तो यह लड़ाई जीती जा सकती है!

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