निंद्रालीन केदार को जगाने का यह कैसा दुस्साहस! ये कौन वीआईपी हैं जो जायेंगे केदारनाथ और करेंगे पूजा!
निंद्रालीन केदार को जगाने का यह कैसा दुस्साहस! ये कौन वीआईपी हैं जो जायेंगे केदारनाथ और करेंगे पूजा!
(मनोज इष्टवाल)
2013 की केदार आपदा (भीषण त्रासदी और हजारो श्रधालुओं की मृत्यु) के घाव अभी भरे भी नहीं कि फिर वही कुछ हमारे वीवीआईपी व उनसे सम्बधित हमारे तथाकथित नेता व अधिकारी करने जा रहे हैं ! लगता है इन्होने या तो स्वयं को बाबा केदार जैसा मान लिया है या फिर ये हिन्दू धर्म की आस्था के साथ ऐसा खिलवाड़ करने जा रहे हैं जो विस्मित करने वाला होगा!
ज्ञात हो कि विगत नवम्बर माह में बाबा केदार के कपाट बंद हो गए हैं और बाबा केदार की डोली अपने 6 मास के प्रवास पर उखीमठ में इस दौरान विराजमान रहती है! बाबा केदार की डोली के साथ उसके पुजारी एवं सेवक भी केदारनाथ क्षेत्र से प्रस्थान कर अपने अपने गंतब्य को चले जाते हैं! वहीँ बाबा केदार शीतकाल के 6 माह निंद्रा अवस्था पर होते हैं! आश्चर्य की बात यह है कि हिलमेल नामक एक संस्था की गाइडलाइन्स पर लगभग देश 51 वीवीआईपी लोग आगामी 9 फरवरी को केदारनाथ पैदल ट्रेक करेंगे! जबकि केदारनाथ के कपाट बंद हो गए हैं और शास्त्र सम्मत यह क्षेत्र इस समय मानव चहलकदमी के लिए वर्जित माना जाता है! ऐसे में तो केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य भी रोक देने चाहिए ताकि हिन्दू धर्म के शास्त्रों की अवमानना न हो, जिस पर हिन्दू धर्म के करोड़ों आस्थावानों का विश्वास है!
ऐसे में देश के नामचीन लोगों को केदारनाथ ट्रेक करवाना कहाँ तक उचित है! देश के इन 51 वीवीआईपी में भास्कर खुल्वे प्रधानमन्त्री सचिव, राजेन्द्र सिंह डीजी कोस्टगार्ड, आलोक डिमरी (जॉइंट सेक्रेटरी विदेश मंत्रालय), प्रदीप सिंह खरोला (सीएमडी एयर इंडिया) भूपेन्द्र कैंथोला (डायरेक्टर एफटीआईआई पुणे), डी डी मिश्रा (डायरेक्टर एच आर ओएनजीसी), कर्नल अजय कोठियाल (प्रधानाचार्य निम), सुधीर मिश्रा (सीईओ ब्रह्मोस), प्रसून जोशी (चेयरमैन फिल्म बोर्ड), शौर्य डोभाल (डायरेक्टर इंडिया फाउंडेशन) , मधुर भंडारकर फिल्म निदेशक, शाहिद कपूर अभिनेता, श्रद्धा कपूर अभिनेत्री, जुबिन नौटियाल गायक व अभिनेता, उर्वशी रौतेला अभिनेत्री, श्री लद्दाखी सहित अपने-अपने क्षेत्र में देश की विभिन्न हस्तियाँ आगामी 9 फरवरी को केदारनाथ जायेंगे!
हिलमेल फाउंडेशन के पत्र से विधित होता है कि इसमें प्रशासनिक, इंजिनियर, भूगर्भवेता, वैज्ञानिक, पर्यावरणविद्ध सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े वीवीआईपी शिरकत कर पुनर्निर्माण की समीक्षा करेंगे ! यहाँ यह बात समझ नहीं आई कि शास्त्रों के विरुद्ध यहाँ शीतकालीन पर्यटन के लिए किस तरह व्यवसायिक पर्यटन को बढाने की बात की जा रही है! यह बात न धर्म सम्मत नजर आती है न शास्त्र सम्मत!
सबसे बड़ी बात तो यह कि इस टीम के लिए उत्तराखंड सरकार का कितना प्रशासनिक जामा वहां इकठ्ठा होगा व इस शाही खर्चे की मेजवानी किसके जिम्मे होगी! यह टीम केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा करेगी? अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इनके लिए पुन: कपाट खुलेंगे या ये बंद कपाटों के बाहर ही पूजा करेंगे! और अगर पूजा करेंगे तो इस समय यहाँ इनकी पूजा करने के लिए केदारनाथ के कौन से पुजारी आयेंगे ! क्या उन्हें शास्त्रों के अनुकूल इस समय केदारनाथ में पूजा करने की इजाजत है? यह भी बड़ा गंभीर प्रश्न उठता है!
इस टीम के लिए केदारनाथ में बड़ा खाना आयोजित कौन कर रहा है व कौन इसे वहां पहुंचकर बिषम परिस्थितियों में गर्म पाणी सप्लाई करेगा? क्या इनके लिए अलग से प्रशासनिक जामा वहां इकठ्ठा होगा क्योंकि हिलमेल फाउंडेशन के पत्र से विधित होता है कि यह टीम केदारनाथ में बॉन फायर करेगी! यहाँ प्रश्न यह है कि क्या इस काल में आदिदेव महादेव को जगाने के प्रयास यहाँ होंगे क्योंकि बॉन फायर बड़ा खाना इत्यादि यह ऐसे क्षेत्र में आयोजित किया जाने वाला है जो 6 माह के शीतकाल में आदिदेव का वर्जित क्षेत्र होता है! यहाँ समझने की बात यह है कि यह अधिकृत टीम क्या केंद्र सरकार या उत्तराखंड सरकार के बिशेष अनुरोध पर यहाँ पुनर्निर्माण की समीक्षा और भविष्य के निर्माण का मार्गदर्शन करेगी? जैसा कि हिलमेल फाउंडेशन के पत्र से विधित होता है ! बहरहाल केदारनाथ एक ओर जहाँ हिन्दुओं की आस्था का सबसे बड़ा धर्म स्थान है वहीँ इसी आस्था के चलते उत्तराखंड के लाखों लोगों की आजिविका भी इसी पर निर्भर करती है!
It’s unholy untraditional unconventional unethical nd the wishes I Hindus God forbid any further Calamity after Swami Saroopanand placed another shivling in K’edarnath jj