नारी जीवन का यह कैसा रूप है "हाफ वीमेन"?

(मनोज इष्टवाल)

वसुंधरा एक ऐसा नाम जो पूरी पृथ्वी का आभास करवाता है। एक ऐसा भूमण्डल जिसके गर्भ में करोड़ों मानव,जानवर व प्रकृति पर्यावरण व प्रदूषण के कई रूप हैं। उन्ही सब का बोझ उठाती यह वसुंधरा इसीलिए भारत भूमि में भारत माँ के रूप में उसे संबोधन मिला।

ऐसी ही एक कहानी वसुंधरा नेगी द्वारा नाट्य पटकथा के रूप में लिखी गयी है जो समाज के एक कडुवे सच को समाज के सामने प्रश्न उठाने को मजबूर कर देती है। यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने अभी जिंदगी के 18 बसन्त भी ढंग से नहीं देखे थे कि परिस्थितियों व समय के क्रूर पंजों ने उसके आगे अपने मायके का घर परिवार, मान प्रतिष्ठा,दीदी के प्रति प्रेम और जाने क्या क्या ला खड़ा कर दिया।

वह कैसे फिर क्या बनी। जिंदगी के कितने सतरंगी सपनों का वायुमंडल व प्रदूषण झेलती यह कहानी आगे बढ़ी यह देखने के लिए हमें स्वयं ही इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हिन्दी नाटक ‘द हाफ वूमेन’ का मंचन आगामी 23 फरवरी को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में वसुंधरा आर्ट्स सेंटर द्वारा वसुंधरा नेगी द्वारा लिखित और निर्देशित हिन्दी नाटक ‘द हाफ वूमेन’ का मंचन शाम को 6.30 बजे पहुंचना होगा।

वसुंधरा नेगी

वसुंधरा नेगी बताती हैं कि इस कहानी की नायिका के साथ कुछ ऐसा ही होता है। वसुधा एक सुन्दर, सुशील हंसमुख चंचल और प्रेमी ह्रदय रखने वाली एक लड़की है जो अपना वर्तमान एक नादानी में जी रही है।

समय के साथ-साथ वसुधा को यह अहसास होने लगता है कि उसके जीवन में एक सूनापन है, खालीपन है,और अधूरापन है।

एक अधूरी औरत से एक सम्पूर्ण स्त्री होने की अपनी आकांक्षाओं को साकार करने की छटपटाहट को बड़े भावपूर्ण ढंग से इस नाटक में दिखाया गया है।

वसुंधरा नेगी इससे पहले वीरांगना तीलू रौतेली पर उसी के गांव गुराड के नंदा खेत में नाट्य मंचन कर चर्चित हुई हैं, जहां तीलू रौतेली ने अपने गुरु शिबू पोखरियाल से घुड़सवारी व तलवार बाजी सीखी थी। उम्मीद की जा रही है कि “हाफ वीमेन” भी उसी तरह की चर्चाओं में रहेगा।

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