नक्षत्रीय उपचार के अनोखे योगी हैं डॉ. मुखर्जी! ॐ का ध्यान लगाने में पैदा कर देते हैं भूकंपीय गतिविधि!
नक्षत्रीय उपचार के अनोखे योगी हैं डॉ. मुखर्जी! ॐ का ध्यान लगाने में पैदा कर देते हैं भूकंपीय गतिविधि!
(मनोज इष्टवाल)
(डॉ. बीके मुखर्जी)
- डॉ. मुखर्जी का कहना है कि शरीर जलाया जा सकता है आत्मा कभी नहीं मरती!
- आत्मा किसी बोतल में भले ही कैद की जा सकती है, किसी के शरीर से बाहर निकाली जा सकती है लेकिन मारी/जलाई नहीं जा सकती.
- अनोखी नक्षत्रीय योग साधना उपचार विधि से करते हैं इलाज
कद बमुश्किल 5 फिट के आस-पास फ्रेंचकट लेकिन लम्बी दाड़ी, सिर में लम्बे बाल लेकिन कैप से ढके हुए, मुंह में दबा हुआ पान और जब हंसते हैं तो गजब का अटटाहास गूंजता है! ये खूबी एक ऐसे शख्स की हैं जो कहने को तो ओएनजीसी से सेवानिवृत जिओ साइंटिस्ट हैं लेकिन खगोलविधा के ऐसे धनि कि उनका कोई तोड़ नहीं है. जब वे योगसाधना में बैठते हैं तो कमरे में रखी चारपाई व बर्तन हिलने लगते हैं. शारीरिक ऊर्जा इतनी संचारित होती है कि तडातड़ कमरे में जलने वाले बल्ब एक एक करके फूटने लगते हैं. नाम है डॉ. विद्युत कुमार मुखर्जी!
मुखर्जी साहब यूँ तो बंगाली हैं लेकिन परिवार देहरादून में आकर ही बस गया है. कॉसमॉस हीलिंग के ऐसे ज्ञाता कि आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर यह जान सकते हैं कि आपके शरीर में क्या परेशानी है या उसका उपचार किस तरह किया जा सकता है.
टैली पैथी के माध्यम से उपचार करने वाले डॉ. मुखर्जी के बारे में देहरादून डिस्कवर के सम्पादक दिनेश कंडवाल बताते हैं कि जब वो स्वयं ओएनजीसी में उन्हीं के साथ कार्य करते थे तब एक बार डॉ. मुखर्जी ने उनसे कहा कि मेरी एक फोटो खींच दो, मैंने उन्हें टालने के अंदाज में कहा कि आज नहीं कल खींच दूंगा क्योंकि आज मेरे कैमरे का रोल समाप्त हो गया है. तब वे तपाक से बोले कल देखना तुम्हारे कैमरे का लेंस चटक जाएगा और तुम्हारा कैमरा किसी काम का नहीं रहेगा.
उन्होंने आश्चर्यमिश्रित शब्दों में कहा कि डॉ. मुखर्जी के बारे में यह तो मुझे पता था कि वे योग साधना करते हैं लेकिन इतनी जानकारी नहीं थी कि वे ऐसे योगी पुरुष हैं. अगले दिन मैंने कैमरे पर रोल डाला और डॉ. मुखर्जी के यहाँ चल पड़ा. डॉ. मुखर्जी तब योग साधना में लिप्त थे फिर भी उन्होंने कहा जितनी मर्जी फोटो खींच लो एक फोटो नहीं आएगी और देखना तुम्हारा लेंस अवश्य चटकेगा. मैंने इसे हलके में लिया और पूरा रोल उनकी विभिन्न मुद्राओं में फोटो खींचने में खर्च कर दिया. वे हँसे और बोले – कल धुलवाने दे देना एक भी फोटो आएगा तो मेरा नाम बदल देना.
अभी इतनी बात ही हुई थी कि वे आदेश देते हुए बोले- कंडवाल थोड़ा इन्तजार कर आज मैं तुझे दिखाता हूँ कि योग और ध्यान आखिर होता क्या है. मैं थोड़ी देर ही बैठा था कि कमरे में टिमटिमा रहा बल्ब फूट गया. थोड़ी देर में घर के एक एक करके जलते सब बल्ब तडातड़ करके फूटने लगे. मेरी गर्दन पर लटके कैमरे से भी मुझे आवाज सुनाई दी तो देखा कैमरे का लेंस सचमुच चटक गया था.
यह बात वह अभी हमें बता ही रहे थे कि पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार डॉ. मुखर्जी अपनी बिटिया के साथ समय साक्ष्य प्रकाशन में आ पहुंचे. प्रथम दृष्टा उन्हें देखकर यह तो नहीं लगा कि हम इतने महान व्यक्तित्व से मिल रहे हैं लेकिन जब उनके अन्दर भरे ज्ञान के भण्डार को टटोला तो दंग रह गए.
डॉ. मुखर्जी से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि ओएनजीसी में सर्विस के दौरान ही उन्हें ऐसी दिव्य शक्तियां प्राप्त हुई जिन्हें वह बहुत अच्छे से महसूस कर सकते हैं. वे घंटों तक ध्यान योग मुद्रा में जाकर सिर्फ ॐ पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं और इस लोक से नक्षत्र लोक में जा पहुँचते हैं जहाँ से वह हर व्यक्ति का एक्सरे कर सकते हैं. चाहे वह ब्यक्ति सात समुन्द्र पार ही क्यों न हो. इस तरह की टैली-पैथी को वह खुद के लिए वरदान मानते हैं. उनका दावा है कि वे घर बैठे बैठे विश्व के किसी भी कोने के मकान जमीन इत्यादि जिसे लोग यह कहकर छोड़ देते हैं कि इसमें कोई आत्मा का वास है को शुद्ध कर सकते हैं व वहां से हमेशा हमेशा भूत-प्रेत आत्मा को भगा सकते हैं. उनका कहना है कि आत्मा कभी जलाई नहीं जा सकती भले ही शरीर जलाया जा सकता है क्योंकि आत्मा अमर है और यही कारण भी है कि बुरी या आच्ची आत्माएं एक शरीर से दुसरे के शरीर में बड़ी आसानी से प्रवेश कर जाती हैं.
अपनी नौकरी के दौरान वह बंगाल, त्रिपुरा, असम, राजस्थान, उत्तराखंड हिमाचल के फूट हिल्स इत्यादि स्थानों में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं. वे ओ एन जी सी के लिए लगभग 40 शोध पत्र लिख चुके हैं जिनमें ओएनजीसी बुलेटिन, इंडियन जनरल ऑफ़ पेट्रोलियम, मुख्य सम्पादक हिंदी हाउस जनरल “गोदावरी” सहित कई महत्वपूर्ण शोध पत्र जारी कर चुके हैं.
वर्तमान में डॉ. मुखर्जी अपनी एक दुर्लभ किताब के प्रकाशन के लिए तैयारी कर रहे हैं जिसका नाम है – वेल्थ ऑफ़ मेडिशनल प्लांट रिसोर्सेस एंड कनवरवेशन ! इस पुस्तक में लगभग 156 जड़ीबूटियों का जिक्र है जो आयुर्वेद के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण व विभिन्न रोगनिवारक हैं. इस पुस्तक में उन्होंने 1- मेडिशनल प्लांट अगेंस्ट डायबिटीज, 2- स्नेक बाईट ट्रीटमेंट, 3- इम्पोर्टेंट टिप्स, 4- होममेड आयुर्वेदिक फोर्मुलेशन 6- हर्बल रेमेडीज ऑफ़ डिसीज जैसे बिषयों से आयुर्वेद के विभिन्न सूत्रों का वर्णन किया है. वे विगत 6 बर्ष से “कॉसमॉस विगौर” नामक एनजीओ के माध्यम से गरीबों का मुफ्त में नक्षत्रीय व खगोल विद्या से उपचार कर रहे हैं. उनका मानना है कि कोई भी उपचार ऐसा नहीं है जो असाध्य हो फिर भी कहीं तो ऐसी अदृश्य शक्तियों का पुंज है जिससे फूटने वाली किरणों के प्रकाश से धरती में पलवित् होने वाली दुष्ट आत्माओं का बिनाश आराम से किया जा सकता है.