नंदा राज जात मार्ग की वो जौंळ मंगरी..! रणकासुर का वध कर जहाँ माँ नंदा ने बुझाई थी प्यास!
नंदा राज जात मार्ग की वो जौंळ मंगरी..! रणकासुर का वध कर जहाँ माँ नंदा ने बुझाई थी प्यास!
(मनोज इष्टवाल)
(गैरोली पातल के पास माँ नंदा की जौंळ मंगरी फोटो-मनोज इष्टवाल)
नंदा राज-जात मार्ग में जब आप वाण गाँव से हिमालयी क्षेत्र का सफर शुरू करते हैं तब बेदनी बुग्याल से लगभग एक किमी. पहले गैरोली पातल में रुकते हैं. जहाँ बन विभाग का बिश्राम गृह है. यहाँ आपको चाय की दूकान भी अक्सर मिल जाती है.
नील गंगा से जब आप गैरोली पाताल की खड़ी चढ़ाई चढ़ते है तब थकान मिटाने के लिए एक ऐसा स्थान गैरोली पातल से लगभग 300 मीटर या 400 मीटर पहले आता है जहाँ खुद-ब-खुद आपके कदम ठहर जाते हैं क्योंकि इस स्थान की मनमोहकता आपको ऐसा करने के लिए विवश कर देती है.. यहाँ पर आपको शुद्ध हवा का लुत्फ़ लेने को भी मिलता है. यही एक जौंल मंगरी है (पानी का धारा/पनघट) ! बांज,बुरांस, मोरू, खर्सू, रागा, देवदार, सुरई, रिंगाल आदि वृक्षों से आच्छादित घनघोर जंगल की लगभग 7किमी. (वाण गाँव से) की विकट चढाई चढने के पश्चात आप इस स्थान तक पहुँचते है जिसे नंदा राज जात में माँ नंदा अपना तेहरवाँ पडाव बनाती है.
कहा जाता है कि वाण गॉव की सरहद रणकधार में रणका सुर का संहार करने के पश्चात माँ नंदा गुस्से में यहाँ तक आ पहुंची और जब गुस्सा उतरा तो उन्हे प्यास लगने लगी ..उन्होंने अपने भाई लाटू से इस सम्बन्ध में इच्छा ब्यक्त की तब लाटू ने अपने त्रिशूल को जमीन पर गाड़ा और वहां से पानी की दो धाराएं फूट पड़ी. माँ नन्दा ने यहाँ असुर संहार के बाद स्नान किया और गैरोली पातळ के लिए आगे बढ़ गई.
आज भी यहाँ वह पानी का धारा मौजूद हैं. लेकिन अब एक ही धारा रह गई क्योकि दूसरी को चोर चुरा कर देवाल के आस-पास कहीं ले गए हैं.
इस धारा के बारे में अभी तक बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि यह मुख्य मार्ग से ज़रा सा हटकर है. यह रहस्यमयी धारा आज भी नंदा राज जात के दौरान मेरे सफर की उन ताज़ी यादों में शामिल है क्योंकि इस धारा के पास मिले मुझे वह बुजुर्ग दुबारा नहीं दिखे जिन्होंने मेरी प्यास बुझाने के लिए न सिर्फ यह धारा मुझे दिखाया था बल्कि मेरे द्वारा फोटो खींचने के बाबजूद भी यह जलधारा तो अपने स्थान में है ही लेकिन वे बुजुर्ग फोटो में कहीं नहीं दिखाई दिए जिनके साथ मैंने इस धारा (जौंळ मंगरी) की फोटो ली थी. इसीलिए कहते हैं हिमालयी क्षेत्र रहस्यमयी शक्तियों का निवास स्थल है अत: जब भी आप उच्च हिमालयी क्षेत्र में कदम रखे तब यहाँ के सभी नियम सयम का अवश्य पालन करें!