"धाद" संस्था ने इस बार बाल-रचनात्मकता को लगाईं धाद!

देहरादून 15 अप्रैल 2018 (हि. डिस्कवर)
 
उत्तराखंड के लोक समाज, लोक संस्कृति को चरम पर पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत सांस्कृतिक संस्था ‘धाद’ ने  आयोजित ‘फूलदेई माह’ का समापन बच्चों की रचनात्मक कार्यशाला के साथ किया । कार्यशाला का आयोजन शिक्षांकुर ग्लोबल स्कूल, हरिद्वार बाईपास मार्ग, देहरादून में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा० जयंत नवानी रहे। अतिथियों का स्वागत बच्चों द्वारा फूलदार पौधों के गमले भेंट कर किया गया। धाद सामाजिक क्षेत्र में लगातार ऐसे प्रयास करती आ रही है ताकि उत्तराखंड की लोक संस्कृति व लोक समाज में ब्याप्त वह तमाम ताना बाना जीवित रहे जो कालान्तर से चलता आ रहा है!

इस अवसर पर कथाकार मुकेश नौटियाल,   कवि अशोक मिश्र और चित्रकार दीपक कन्नोजिया ने बच्चों को रचनात्मकता के सूत्र बताए। उन्होंने बच्चों को कहानी, कविता लेखन एवं चित्रकला की बारीकियां समझाई। इन तीनों विषय-विशेषज्ञों द्वारा चयनित एक-एक कविता, कहानी और चित्र (क्रमशः प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर) के रचनाकार छात्र-छात्राओं को धाद की ओर से पुरस्कृत किया गया। सभी चयनित प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। शिक्षांकुर स्कूल प्रबंधन द्वारा कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सभी बच्चों को 100 रुपये प्रतिछात्र विशेष फूलदेई भेंट भी प्रदान की गई।
 
ग्लोबल स्कूल के चेयर पर्सन सच्चिदानंद जोशी ने ‘फूलदेई पर्व’ के समापन पर आयोजित कार्यशाला में कहा कि समाज की कुरीतियों से लड़ने के  लिए बच्चों का रचनात्मक होना जरूरी है उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को सृजन के द्वारा अपनी संस्कृति से जोड़ने की धाद की यह पहल अत्यंत सराहनीय है यह वास्तव में उत्तराखंड के नौनिहालों को अपनी जड़ों से जोडने का अभियान है।

आयोजन का परिचय देते हुए धाद शैक्षिक एकांश की ओर से मनीषा ममगाईं ने फूलदेई माह का परिचय देते हुए कहा की परम्परागत रूप से ‘घर की देहली’ पर फूल डालने के इस पर्व को धाद ने बाल-रचनात्मकता से जोड़कर एक नया अर्थ देने की कोशिश की है। इसके अंतर्गत जनपद देहरादून और पौड़ी के 50 विद्यालयों के 1000 छात्र- छात्राओं ने कहानी, कविता तथा चित्रांकन प्रतियोगिता में भाग लिया। 50 विद्यालयों से चयनित 150 सर्वश्रेष्ठ रचनाओं को कार्यशाला में प्रदर्शित किया गया। इसके एवज में धाद ने उनकी प्रतिभा निखारने के लिए विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के साथ आज की कायर्शाला रखी है। साथ ही उनकी कक्षाओं को बेहतर बनाने के लिए एक कोना कक्षा का सामाजिक सहकार आभियान भी प्रारम्भ किया जा रहा है।

कथा कार्यशाला में कथाकार मुकेश नौटियाल ने बच्चों को अपनी कहानी सुनाई और उनसे भी प्रतियोगिता के दौरान लिखी कहानियां सुनी। कथा-सत्र के दौरान प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने कहानीकार मुकेश नौटियाल से उनकी रचना प्रक्रिया पर भी सवाल पूछे।

अजीम प्रेमजी फाउंण्डेशन के अशोक मिश्र ने कविता सत्र को सम्बोधित किया। उन्होंने बच्चों द्वारा लिखी गई कविताओं का स-स्वर पाठ किया और बाल कवियों को अच्छी कविताएं लिखने के गुर बताए।
चित्रांकन प्रतियोगिता में शामिल प्रतिभागियों को रेखाचित्र विशेषज्ञ दीपक कनौजिया ने सम्बोधित करते हुए बच्चों द्वारा बनाए गये चित्रों को कल्पनाओं की अभूतपूर्व उड़ान बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डा जयंत नवानी ने कहा कि हिमालय की विरासत को सहेजने के लिए फूलदेई जैसे लोक पर्वों से नई पीढ़ी को परिचित कराना जरूरी है। धाद के संस्थापक लोकेश नवानी ने कहा की उत्तराखंड प्रकृति केन्द्रित उत्सवों की भूमि है। हरेला, घी-संग्रांद और फूलदेई हमारी सांस्कृतिक विरासत संजोये हैं। हमे इन्हें नए सन्दर्भों के साथ जीवन में लौटाने का प्रयास करना होगा।
इस कार्यक्रम में सबसे ज्यादा अगर कुछ सुखद देखने को मिला तो वह बहुत अंतराल बाद धाद के संरक्षक लोकेश नवानी की उपस्थिति रही! वे सिर्फ उपस्थित ही नहीं रहे बल्कि उन्होंने मंच भी साझा किया और फुलदेई पर अपने शब्द भी साझा किये! ज्ञात हो कि लोकेश नवानी पहले ऐसे ब्यक्ति हैं जिन्होंने शुरूआती दौर में बेहद कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद भी धाद को अपने कंधे पर लादे रखा!
कार्यक्रम का संचालन नीलम बिष्ट ने किया. इस अवसर पर धाद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डी सी नौटियाल, शिक्षान्कुर ग्लोबल स्कूल के प्रबंधक हरीश जोशी, अमित चमोली ,शैक्षिक एकांश के सचिव प्रभाकर देवरानी, मीनाक्षी जुयाल,   पूनम भटनागर, शशि शर्मा,  राजेश्वरी नेगी, मुन्नी पाठक, ,सरस्वती मल्ल, खेमकरण क्षेत्री, शिव कुमार तोमर,नरेश रतूड़ी, ज्योति जोशी, मनोरमा नेगी, अनिता नौटियाल, हेमलता बिष्ट, रजनीश अग्रवाल, प्रमोद रावत, विजया सकलानी, धाद के सचिव तन्मय ममगाईं, विजय जुयाल, शोभा रतूड़ी, कल्पना बहुगुणा, मंजू काला, सुधांशू चौधरी, रेनू जोशी, मोनिका डबराल,  सुनील भट्ट,  प्रमोद पांडे,  सविता जोशी,  अनुव्रत नवानी और राजकीय प्राथमिक विद्यालय कल्जीखाल के शिक्षक मनोधर नैनवाल शामिल रहे।

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