धर्मानी/ क्वाटबोन!— रोंग्पा जनजाति(नीती-माणा घाटी) की ऐतिहासिक धरोहर।

धर्मानी/ क्वाटबोन!— रोंग्पा जनजाति(नीती-माणा घाटी) की ऐतिहासिक धरोहर।
(पत्रकार संजय चौहान)
यह चित्र सीमांत जनपद चमोली के नीती घाटी के कोषा गांव का है जो कि जनजाति बहुल गांव है। इस गांव में रोंग्पा जनजाति के लोग निवास करते है जिनकी अपनी एक अलग ही सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, परम्पराये, रीति-रिवाज एवं वेशभूषा है। यह चित्र नन्दा अष्टमी के दिन का है इस दिन लाटू देवता की पूजा की जाती है साथ ही गांव की महिलाऐ एवं पुरूष साथ मिलकर चांचड़ी और झुमेलो गाते है।

आज भी रोंग्पा जनजाति के लोग अपनी इस सांस्कृतिक विरासत को संजोये हुए है जो सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। जिस स्थान पर यह आयोजन किया जाता है उसे स्थानीय भाषा में धर्मानी कहा जाता है धर्मानी गांव का वह स्थान है जहां पर गांव के सामाजिक, धार्मिक एवं पंचायत आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। धर्मानी रोंग्पा जनजाति के सभी गाँवो में बना होता है यह रोंग्पा जनजाति के गाँवो की प्रमुख विशेषता भी है। हर सायं को गांव के बुजुर्ग लोग धर्मानी में बैठते है बातें करते है वही बच्चे धर्मानी में खेलते है यह एक प्रकार से गांव के लोगो का मिलन केंद्र भी है यह प्रक्रिया भी सदियों से चली आ रही है जो कि रोंग्पा जनजाति के लोगो की सामाजिक संबंधो को और प्रगाढ करती है आज भी रोंग्पा जनजाति के लोग अपनी इस सामाजिक विरासत को आगे बड़ा रहे है। और वहीँ दूसरी ओर इस चित्र में एक चार मंजिला भवन दिखाई दे रहा है उसका नाम क्वाटबोन है जो कि रोंग्पा जनजाति के स्थापत्य-संबंधी विरासत को दर्शाता है। बताया जाता कि यह भवन १८०० ई. के आस-पास जब गोरखाओं ने गढ़वाल पर आक्रमण किया था उस समय गांव की सात महिलाओ द्वारा सात दिन में बनाया गया है। क्वाटबोन में आठ कमरे एवं भू-तल का मुख्य द्वार बहुत ही मोटे लकड़ी का बना है गोरखा सेना से बचने के लिए गांव के लोग इस भवन के ऊपरी भाग में चले जाते थे और वहां से पत्थरबाजी करते थे।
साभार! — राजेंद्र सिंह, शोधार्थी।

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