देहरादून की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री का साक्ष्य जुटाने वाला दरोगा पौड़ी असवालस्यूं के भट्टीगाँव का!
देहरादून/पौड़ी 1 सितम्बर (हि. डिस्कवर)
अपनी पत्नी के 72 टुकड़े कर उसे डीप फ्रीजर में रखने वाले राजेश गुलाटी को आखिर 7 साल बाद सजा मिल ही गयी. उम्र कैद की सजा के साथ जुर्माने के तौर पर राजेश गुलाटी के 15 लाख भरने होंगे. अनुपमा हत्याकांड के इस प्रकरण ने पूरे देश को इस तरह के जघन्य मर्डर पर हिला दिया था. भला एक सोफ्टवेयर इंजिनियर स्टोन कतर से कैसे अपनी पत्नी के अंगों के 72 टुकड़े करके घर के हि डीप फ्रीजर में रख सकता है और अपने बच्चों कि यह विश्वास दिलाता रहता हो कि उनकी माँ झगडा करके अपने मायके चली गयी.
अनुपमा के गायब होने का प्रकरण तब सामने आया जब उसके घरवालों ने उसकी खोजबीन की. बहुत हाथपाँव मारने के पश्चात भी जब मर्डर सम्बन्धी क्लू पुलिस के हाथ नहीं लगा तब जाने क्यों तत्कालीन बिंदाल चौकी प्रभारी पी.डी. भट्ट को यह शक हुआ कि हो न हो अनुपमा के गम होने के तार उसके घर से ही जुड़े हों लेकिन ऊँची पहुँच और संभ्रांत नागरिक समझे जाने वाले राजेश गुलाटी के घर को खंगालने के लिए आदेश लेना भी टेडी खीर से कम नहीं हो रहा था. ऐसे में अपने शक को मजबूत समझने वाले बिंदाल चौकी प्रभारी पी.डी. भट्ट एक दिन जबरदस्ती घर में घुस ही गये! सारा घर तलाशने के बाद जब पुलिस टीम हताश होकर लौटने ही वाली थी कि जाने उन्हें क्या सूझा और उन्होंने डीप फ्रीजर खोल डाला जिसमें प्लास्टिक की पन्नियों में कुछ रखा हुआ था जैसे ही उन्होंने उसे जांचा तो उनके खुद होश उड़ गए. प्लास्टिक की पन्नियों में मानव अंग भरे पड़े थे.
(फाइल फोटो- पी.डी. भट्ट)
आखिर राजेश गुलाटी के कंधे झुक गए और उन्हें दिसम्बर 2010 को पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर लिया और इस जघन्य अपराध का जब खुलासा हुआ तो पूरा देश सन्न रह गया! भला एक इंसान दूसरे इंसान की इतनी दरिंदगी से कैसे अंग काट सकता है जबकि वह उसके दो बच्चों की माँ हो!
1992 में एक दूसरे के नजदीक आये राजेश और अनुपमा का लव अफेयर भी 7 साल हि चला और आखिरकार 1999 में वे वैवाहिक बन्धनों में बंध गए और फिर विदेश चले गए लेकिन वहां जाते ही आपसी अनबन होने के कारण अनुपमा वापस लौट आई पुन: राजेश के मनाने के बाद वह उसके साथ 2005 में विदेश चली गयी 2006 में अनुपमा ने सिद्धार्थ और सोनाक्षी को जन्म दिया लेकिन फिर सम्बन्धों में तनाव आने और अनुपमा से मारपीट करने के कारण 2008 में अनुपमा बच्चों के साथ फिर दिल्ली लौट आई.
(फाइल फोटो- पी.डी. भट्ट)
उनके सम्बन्धों में आ रही खटास के मध्यनजर आखिर घर वालों ने उन्हें देहरादून बसने की सलाह दी जहाँ जुलाई 2009 में आने के बाद वे किराए पर प्रकाश नगर रेसकोर्स क्षेत्र में रहने लगे. लेकिन फिर वही रोज की मार पिटाई से तंग आकर अनुपमा ने वीमेन सेल में गुहार लगाईं और 20 हजार मासिक खर्चे की मांग की. इस दौरान राजेश गुलाटी के किसी अपनी मित्राणी के साथ अन्तरंग सम्बन्धों और दूसरी शादी करने की भी खबर उठने लगी थी आखिर राजेश गुलाटी ने एक इंजिनियर की तरह दिमाग लगाक्र शातिराना मर्डर मिस्ट्री को अंजाम दिया और पुलिस कई दिनों तक केश के सुराग जुटाने में नाकाम रही!
आखिर पुलिस ने बखूबी काम को अंजाम दिया और पौड़ी गढ़वाल के विकास खंड कल्जीखाल पट्टी असवालस्यूं ग्राम भट्टीगाँव के मूल निवासी तकालीन बिंदाल चौकी प्रभारी डी.पी भट्ट ने यह केश सबसे पहले हळ करने के लिए साक्ष्य जुटाए व अंतिम समय तक इन सात बर्षों में पेशी दर पेशी अपने बयानों में मजबूती से खड़े रहे. इस केश को सोल्व करने के बाद डी.पी. भट्ट न सिर्फ विभाग में सुर्ख़ियों में रहे बल्कि जनता की नजर में भी हीरो बन गए. अब जबकि राजेश गुलाटी को ताउम्र कारावास की सजा हो गयी और अनुपमा के परिजनों को न्याय मिल गया ऐसे में इस पुलिस अधिकारी को भी आत्मीय शान्ति जरुर मिली होगी क्योंकि साथ साल तक पैरवी करना कोई मामूली बात नहीं है.
विकास खंड कल्जीखाल के असवालस्यूं पट्टी के भट्टीगाँव में जन्मे पी.डी. भट्ट के क्षेत्र में हि नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में उनकी दोषरहित जांच की खुलकर तारीफ़ हो रही है. ऐसे अफसर को हिमालयन डिस्कवर का सलूट !