देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता-राष्ट्रपति

नई दिल्ली 25 जुलाई (हि.डिस्कवर)

भारत के 14वें महामहिम राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद  राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने पर हिमालयन डिस्कवर की हार्दिक शुभकामनाएं! पूर्व महामहिम प्रणव मुखर्जी द्वारा रामनाथ गोबिंद को पध्भार सौंपते ही उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा- “देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता ” है!
खच्चाखच भरे सभागार में आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जे एस खेहर द्वारा महामहिम रामनाथ कोविंद को देश के 14 वें राष्ट्रपति की शपथ दिलाई गयी. देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। मंगलवार (25 जुलाई) को संसद के केंद्रीय कक्ष में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने उन्हें पद की शपथ दिलायी। रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, न्यायमूर्ति जेएस खेहर इत्यादि को धन्यवाद कहा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वो संसद के सदस्य रहे हैं और सदन में मौजूद कई सदस्यों के साथ उन्होंने विचार विनिमय किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका जन्म और पालन-पोषण मिट्टी के घर में हुआ था। राष्ट्रपति ने कहा कि “हम सब एक हैं, एक रहेंगे।” राष्ट्रपति  ने कहा कि वैज्ञानिक और छोटे काम करने वाले भी राष्ट्रनिर्माता हैं। राष्ट्रपति ने डिजिटल इंडिया का जिक्र करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वो देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी के पदचिह्नों पर चलकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को भी याद किया.
कोविंद ने कहा, ‘मैं इस महान राष्ट्र के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं और उन्होंने मुझ पर जो विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने का मैं वचन देता हूं। मुझे इस बात का पूरा एहसास है कि मैं डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और मेरे पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी, जिन्हें हम स्नेह से ‘प्रणब दा’ कहते हैं, जैसी विभूतियों के पदचिह्नों पर चलने जा रहा हूं।’
उन्होंने  कहा, ‘हमारी स्वतंत्रता, महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी। बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया। हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने का काम किया। वे इस बात से संतुष्ट नहीं थे कि केवल राजनीतिक स्वतंत्रता ही काफी है। उनके लिए, हमारे करोड़ों लोगों की आथर्कि और सामाजिक स्वतंत्रता के लक्ष्य को पाना भी बहुत महत्त्वपूर्ण था।’
उन्होंने कहा, ‘अब स्वतंत्रता मिले 70 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। हम 21वीं सदी के दूसरे दशक में हैं, वो सदी, जिसके बारे में हम सभी को भरोसा है कि ये भारत की सदी होगी, भारत की उपलब्धियां ही इस सदी की दिशा और स्वरूप तय करेंगी। हमें एक ऐसे भारत का निमार्ण करना है जो आथर्कि नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करे। हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।’
 

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