देवकी….उत्तराखंड की ऐसी एक माँ जिसने देश में महामारी देखी तो जीवन भर की जमा पूंजी देश के नाम कर दी । देवकी देवी ने 10 लाख का चेक भेजा प्रधानमंत्री राहत कोष में।
(मनोज इष्टवाल)
आजतक सिर्फ तीन देवकी ही मेरे जेहन में थी। एक कृष्ण भगवान की माता देवकी, दूसरी वीर वधु देवकी व तीसरी अपनी बमोली गांव की फूफू की लड़की मेरी बहन देवकी। इन में से नाम से तीनों को जानता हूँ लेकिन मिला सिर्फ अपनी दीदी देवकी से ही था। फिर ये देवकी कहाँ से आ गयी। कंस से कृष्ण की रक्षा करने वाली माता देवकी के बारे में धर्मग्रन्थों से लेकर कथा कहानियों में पढ़ा, वीर वधु देवकी को सुप्रसिद्ध लोकगायक जीत सिंह नेगी जी के नाट्य मंचन के माध्यम से सुना व उसके किरदार को देखा। हाल में गूंजती वह आवाज आज भी कानों में रुणाट पैदा करती महसूस होती है जब पार्श्व में शब्द उभरते हैं – “एक दिन जब जरा घाम छा धारमा, रुमक पोडणी छई सर्या संसार मा।” और तीसरी अपनी दीदी…मेरी माँ कहती थी देवकी सचमुच की देवकी छ।

अब चौथी देवकी अवतरित हुई हैं। पूरा नाम है श्रीमती देवकी भंडारी। हाल निवास गौचर जिला चमोली। पैतृक गांव विकास खण्ड ख़िरसु पौड़ी गढ़वाल। शादी से पूर्व कु. देवकी नेगी पुत्री अवतार सिंह नेगी।
दरअसल अवतार सिंह नेगी जी का जिक्र करना जरूरी था क्योंकि देवकी देवी में देश के संकटकाल के लिए कैसे मजबूती से खड़ा होना चाहिए ये पैतृक गुण उनके पिता की बदौलत ही आये जो आजाद हिंद फौज के सिपाही थे। देवकी श्रीमती देवकी भंडारी बनी व अपने पति हुकुम सिंह भंडारी के साथ चमोली जिले के गौचर में ही रहने लगी क्योंकि उनके पति यहीं रेशम विभाग में कार्यरत थे। 68 श्रीमती बर्षीय देवकी देवी पति के निधन (12 बर्ष पूर्व) के बाद देवकी देवी ने एकाकी भरा जीवन सामाजिक सेवा के लिए अर्पित कर दिया। यहीं गौचर में मकान बनाकर रहने लगी व अपने बच्चे न होने के बावजूद भी दूसरों के बच्चों को अंगीकार कर उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाया।
देवकी देवी लगातार समाचारों में विश्व के सभी विकसित व विकासशील देशों में फैली महामारी व मौतों के बारे सुनकर मन ही मन कसमसाहट महसूस करने लगी। उन्हें लगा कि यह महामारी मेरे देश में अगर फैल गयी तो जाने कितनी मौतें होंगी क्योंकि एक तो पहले ही विश्व भर में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है ऊपर से हमारे देश की स्वास्थ्य सेवाएं भी लचर हैं। अभी दो दिन पूर्व ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कोई भाषण सुना व पाया कि इस समय देश के हर नागरिक को देश की इस दशा में सहायता के लिए हाथ बंटाने जरूरी हैं।
आखिर मन पक्का किया व देवकी देवी क्षेत्रीय पार्षद अनिल नेगी के साथ गौचर स्थित सेंट्रल बैंक जा पहुंचीं व वहां जाकर बैंक मैनेजर से इच्छा जाहिर की कि वह अपनी समस्त जमापूंजी 10 लाख रुपये प्रधानमंत्री केयर फंड में दान देना चाहती है ताकि ये पैसे इस महामारी में देश के काम आ सकें।
यह खबर आग की तरह फैलती है। बैंक से लेकर पूरा गौचर श्रीमती देवकी देवी के स्वागत के लिए मचल उठता है, लेकिन कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए लॉक डाउन का अनुपालन भी जरुरी था। फिर भी कुछ जनप्रतिनिधि समाज सेवी व क्षेत्र के जाने माने लोग फूल मालाएं जुटाते हैं। शाल आती है व श्रीमती देवकी भंडारी का नागरिक अभिनन्दन कर उनके इस अनूठे कार्य की भूरी-भूरी प्रशन्सा करती है।
यह वह चौथी देवकी है जिसे अब मैं भी जानने लगा हूँ। एक द्वापर की माता देवकी व तीन मेरे युग की मेरे उत्तराखण्ड की माता देवकियाँ। सचमुच इस त्याग ने फिर से देवभूमि उत्तराखंड के मान-मनोबल में चार चांद लगा दिए। यहां इस माँ के आगे अरबों खरबोंपति इसलिए फीके लगते हैं क्योंकि उनके हाथ देने के लिए नहीं लेने के लिए आगे बढ़ते हैं। मुझे लगता है कि लॉक डाउन खुलने के बाद ऐसी मातृशक्ति का सिर्फ गौचर चमोली नहीं बल्कि प्रदेश सरकार द्वारा देहरादून में नागरिक सम्मान होना चाहिए ताकि इतिहास याद रखे कि देवकी देवी भी पिथौरागढ़ की जसुली देवी जैसी ही हुई।
श्रधेय नमन।
