दिव्या की लैब उगा रही है देहरादून में 6 करोड़ की कीड़ा-जड़ी..भारतबर्ष में यह पहला बड़ा चमत्कार!
देहरादून 12 जुलाई (हि. डिस्कवर)
कहावत है कि पूत के पाँव पालने से ही दिखाई देते हैं. पहले पूरे उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मशरूम लेडी/मशरूम गर्ल के रूप में प्रसिद्धी पाने वाली चमोली गढ़वाल की दिव्या रावत जिसे पूर्व उत्तराखंड सरकार द्वारा ब्रांड अम्बेसडर मशरूम बनाया गया है ने अपनी देहरादून स्थिति लेबोटरी में कीड़ा जड़ी का उत्पादन शुरू कर पूरे हिन्दुस्तान के वैज्ञानिकों को चौंका दिया है.
दिव्या रावत का दावा है कि उनकी यह लैबोटरी प्रति बर्ष 6 करोड़ से अधिक की कीड़ा-जड़ी का देहरादून में उत्पादन कर रही हैं. देहरादून के मथुरावाला स्थित उनकी लैबोटरी में अभी जो पौध कीड़ा जड़ी की हुई है वह लगभग 15 या 20 दिन के अंतराल में 5 सेमी.तक पहुँच जाएगी जबकि इसकी क्रोपिंग 7 सेमी.में शुरू हो जाती है.
दिव्या रावत ने बताया कि वह कीड़ा जड़ी के उत्पादन की तकनीक सीखने थाईलैंड गयी व पिछले दो माह में दिन रात एक करने के बाद वह सफलता के इस मुकाम को हासिल करने में कामयाब दिख रही हैं. उन्होंने बताया कि यह बेहद महंगा व बेहद रिस्की कार्य है. विभागीय जानकारी जुटाने से मालुम हुआ है कि हिन्दुस्तान में कोई भी वैज्ञानिक अभी तक इस तरह का रिस्क लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है.
यह आश्चर्यजनक है कि दिब्या अपने पहले ही अथक प्रयास में सफल हो गयी. उन्होंने इस लैब को लगाने में लाखों रुपये की मशीनें मंगवाई हैं. उनका कहना है बिना रिस्क लिए कोई भी काम आसान नहीं है. जब हम में रिस्क लेने की क्षमता होगी तभी हम कुछ नए आविष्कार कर सकते हैं. वे प्रफुल्लित हैं कि उनकी दिन रात की मेहनत साकार होती नजर आ रही है. इस उपलब्धि से अभी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग पचा नहीं पा रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड की बेटी ने दुबारा ऐसा कारनामा दिखाया है. हमें दिव्या रावत पर नाज है.
कीड़ा जड़ी कहलाने वाली इस वनस्पति को लगभग छः साल पहले डिबेर (रक्षा अनुसंधान संगठन).द्वारा लैब में कृत्रिम रूप से पैदा करने में सफलता प्राप्त कर ली है। उत्पादन लागत बहुत अधिक होने से उन्होंने इसे आगे नहीं बढ़ाया।
नई जानकारी के लिए शुक्रिया