दारमा घाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्र के 17 गांवों के समुदाय के सहयोग से 806 कट्टे पॉलिथीन एवं प्लास्टिक का कचरा किया इकठ्ठा!

पिथौरागढ़ 22 अक्टूबर 2018 (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड हिमालय के इतिहास में पहली बार पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती  दारमा घाटी के उच्च हिमालयी क्षेत्र के 17 गांवों के समुदाय के सहयोग से 806 कट्टे पॉलिथीन एवं प्लास्टिक का कचरा एकत्रित करके नीचे लाया गया।  पंचाचूली बेस कैंप से भी कचरा नीचे लाया गया। गूंज संस्था के क्लीन द हिमालया अभियान का असर दारमा घाटी  के गाँव में जीवंत रूप में दिखाई दिया। 6300 फिट से 13600 फिट तक कि ऊंचाई के बीच ठंड के दौरान अजैविक कचरा नीचे लाने का यह एक अनूठा अभियान इस हिमलाई क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है
इस वर्ष जून माह से उच्च हिमालयी क्षेत्र को अजैविक कचरे से मुक्त करने के लिए समुदाय आधारित क्लीन द हिमालया अभियान चलाने के लिए गूंज संस्था ने गाँव गाँव संपर्क  किया था। मुन्स्यारी व धारचूला के उच्च हिमलायी क्षेत्रों से लगे गांवों एवं बुग्यालों में भारी मात्रा में वर्षों से अजैविक कचरा बिखरा हुआ है। जिसे नीचे लाने की आवश्यकता थी। इस कचरे को जलाने से हिमलाई क्षेत्र का तापमान बढ़ रहा था, इससे हो रहे पर्यावरणीय नुकसान से हिमालय वासी अनभिज्ञ थे, इस अभियान ने हिमालय के इन गांवों में ग्रीष्म कालीन प्रवास में जाने वाले ग्रामीणों की आँखें भी खोल दी हैं। दारमा घाटी पंचाचूली दर्शन के लिए जानी जाती है गूंज संस्था के क्लीन द हिमालया अभियान के प्रथम चरण में तीजम, दर, बौंग्लींग, चल, सेला, नागलिंग, बालिंग, सौन, दुग्तु, दाँतू, ढाकर, तीदांग, मार्छा, सिपु, गो, फिलम, बौन में अजैविक कचरा ग्रामीणों ने स्वयं अपने आस पास, खेत खलियानों, बुगयालों से जमा किया। जिसमें सर्वाधिक कचरा दुग्तु वासियों द्वारा जमा किया गया।

गूंज संस्था के शैलेश खर्कवाल ने कहा की समुदाय आधारित इस अभियान की यह अनूठी पहल थी की गाँव वालों ने ही अपने क्षेत्र की सफाई का बीड़ा उठाया। आने वाले समय में लगातार इस समाज के साथ संपर्क स्थापित करते हुये इस अभियान को हिमालय वासियों की दिनचर्या का भाग बना देना हमारा उद्देश्य है। इसके लिए इन 17 गांवों में बैठक की गयी प्रत्येक गाँव में हिमालय रक्षक दल का गठन किया गया।
कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे सोच संस्था के अध्यक्ष समाज सेवी जगत मरतोलिया ने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्र को अगर बचाना है तो यहाँ कि जनता को साथ लेकर ही बचाया जा सकता है। इसके लिए गूंज संस्था के अभियान ने पहले चरण में यह प्रदर्शित कर दिया है कि कुछ भी असंभव नहीं है। अब इन गांवों में आम लोग अजैविक कचरे से होने वाले नुकसान पर गंभीरता से चर्चा करने लगे हैं। 1-2 वर्षों में इसका असर अन्य क्षेत्रों में भी दिखेगा।
कुमाऊँ मण्डल विकास निगम के निदेशक धिराज सिंह गरब्याल के अथक प्रयासों से दारमा घाटी के निगम संचालित होम स्टे से जुड़े समुदाय ने इस अभियान को धरातल में उतारने के लिए दिन रात एक किया। गूंज संस्था के चरण बोथियाल, माही सीपाल एवं खुशबू वर्मा भी इस अभियान में सामील रहे।
गूंज संस्था द्वारा उच्च हिमालयी क्षेत्र के इन आम जनों कि आदत बदलने के लिए प्रोत्साहन स्वरूप एक एक विंटर बूट भी वितरित किया गया। जिलाधिकारी सी रविशंकर एवं मुख्य विकास अधिकारी वंदना  द्वारा इस कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाई गयी तथा इस मूहीम को पूर्णतया सफल बनाने के लिए हर संभव मदद का भरोसा भी दिलाया गया।  उनके सहयोग से ही यह अजैविक कचरा धारचुला से पिथौरागढ़ रिसाइक्लिंग प्लांट तक लाया जा रहा है। इस अभियान के प्रथम चरण को सफल बनाने के लिए क्षेत्र के सामाजिक एवं व्यावसायिक  कुन्दन सिंह भण्डारी, नीरज हयांकी, बबलू ग्वाल, आमोद नग्नयाल, रूप सिंह सैलाल, गणेश दुगताल, नेत्र सिंह नेगी, ने विशेष सहयोग दिया।
 
 
 
 
 

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