तो उमेश कुमार का गुरुघंटाल उत्तराखंड का वह अधिकारी ही बना उसके लिए काल! जिसकी शह पर होते थे स्टिंग!

तो उमेश कुमार का गुरुघंटाल उत्तराखंड का वह अधिकारी ही बना उसके लिए काल! जिसकी शह पर होते थे स्टिंग!

(मनोज इष्टवाल)
वाह रे पॉलिटिक्स …! तुम डाल-डाल तो वो पात-पात! तभी सोचूं कि वह हर मिनिस्टर की फाइल दबाए बैठा रहता है लेकिन कोई मंत्री चूं तक क्यों नहीं करता! उसकी करतूतों का ठीकरा मुखिया के सर फूटता है और सब जनता जनार्दन को एक ही जवाब दे देते हैं देखो भाई …ये देखो हमारे कार्यालय से तो इस दिन इस तारीख आपकी पत्रावली डिस्पेच हो गयी थी अब उपर उसे दबाकर बैठे हैं तो आप ही बताओ क्या करें! लेकिन जब समाचार प्लस चैनल के मालिक उमेश कुमार की गिरफ्तारी के बाद मृत्युंजय मिश्रा का नाम भी आया तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया! और सामने आई वह सपाट पिच जिसमें बाउंसर ही बाउंसर गेंदे फैंकते रहने वाले मीडिया, मंत्री और अधिकारियों की टीम उसे आउट नहीं कर सकी बल्कि उसकी जब मर्जी आई उसने जिसे चाहा बाउंडरी लाइन के बाहर भेज दिया! वह बंद मुंह से च्युंगम चबाता है या फिर गाय-भैंस की तरह जुगाली लेता है ! बहरहाल जो भी हो वह मस्त हाथी की भांति चलता है और अपने मन की करता है!

सूत्र बताते हैं कि इस अधिकारी ने उमेश कुमार एंड पार्टी से इतने मंत्री अधिकारियों के स्टिंग करवाकर अपनी गुप्त तिजौरी में रखे हैं कि किसी ने भी टेडी बात कही तो वह गुर्रा देता है कि करके देख..! तुझे मैं समाज के आगे नंगा कर दूंगा! अब बेचारा नंगा क्या नहायेगा और क्या धोएगा वाली बात है! यहाँ ज्यादात्तर तो हमाम के नंगे हैं ही ना ! यह सब पर गुर्राता रहा लेकिन जब उमेश ने इस पर गुर्राना शुरू कर दिया तो इसके एक और आका जो काली टोपी का भद्रजन है उसने सर पर खुजली करते हुए इसे कह ही दिया कि अब तू ही देख ले यार..! यह तो कल मेरा भी स्टिंग कर देगा! हो न हो उमेश ने कर भी रखा हो!
अब जब उमेश एंड पार्टी ने अति कर दी तो इस से सहन नहीं हुआ और इसने इन्हीं के एक मोहरे को मोहरा बनाकर बेगम बादशाह इक्के सब अपने कब्जे में कर इसके पल्ले सिर्फ गुलाम रहने दिया! आखिर वहीँ हुआ जिसका अंदेशा था! जीरो टोलरेंस सरकार के कानों खबर पड़ी कि यह उगाई के नाम पर स्टिंग कर हमें ब्लैकमेल कर रहा है तब उमेश की पूरी गोपनीयता के साथ रैकी की गयी! पूरे दो माह 19 दिन की मेहनत के बाद आखिर उमेश को उसी के गाजियाबाद आवास से ऐसे वक्त पर गिरफ्तार किया गया जब उसके कोई भी राजनीतिक सोर्स काम न कर सकें!
सचमुच सरकार का यह बड़ा कदम काबिले-तारीफ़ कहा जा सकता था क्योंकि इस से पूर्व भी भाजपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में उमेश की गिरफ्तारी के हर सम्भव प्रयास किये गए यहाँ तक कि उमेश जे कुमार के विरुद्ध रेड कार्नर नोटिस तक जारी हो गए थे! टीम उन्हें गिरफ्तार करने भी गयी लेकिन राजनीतिक रसूक और ऊँची पहुँच के चलते तब उमेश जे कुमार को गिरफ्तार नहीं किया जा सका! आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती एक न एक दिन ऐसा होना ही था !
अब जबकि उमेश जे कुमार के यहाँ से बड़ी मात्रा में नगदी, विदेशी करेंसी व स्टिंग के साजो-सामन के साथ विभिन्न किस्म की डिवाइश पकड़ी गयी हैं तब क्या उमेश जे कुमार अपनी जमानत कराने में सफल हो पायेगा या फिर उन्हें राजनीतिक काल कोठरी में बर्षों यूँहीं गुजारने पड़ेंगे! और यदि यह सच हुआ कि इस गिरफ्तारी के पीछे कहीं उसी के गुरुओं का हाथ है तब तय मानिए कि उमेश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और यदि ऐसा नहीं हुआ तब बाहर निकलकर उमेश चैन से बैठेगा ऐसा कह पाना भी संभव नहीं है!
बहरहाल इसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की काबिलियत से जोड़कर देखा जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने यकीनन ऐसे कई घोटालेबाजों व दलालों को सलाखों के पीछे डाल दिया है जो अपने धन-बाहुबल से अपने को अजेय मान रहे थे! इस से यह बात तो साफ़ होती है कि उन्हें इस बात की प्रवाह नहीं कि आगामी राजनीति उन्हें कहाँ ले जायेगी ! आज नहीं तो कल यह तय है कि उनके इस कदम की प्रशंसा पूरे प्रदेश में होगी!
 

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