तैड़ी में सुरेश चंद्र व रमेश चंद्र रियाल की तिबारी में भवन काष्ठ कला ।

*ढांगू गढ़वाल , हिमालय  की तिबारियों पर काष्ठ अंकन कला -19

*उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  -32  

संकलन – भीष्म कुकरेती 

 जैसा कि तैड़ी की लोक कला अध्याय में कहा गया है कि गंगा तट व व्यासचट्टी निकटस्थ  तैड़ी ढांगू में  उर्बरक गाँवों में से एक महत्वपूर्ण गांव   है ।  तैड़ी गांव  से अभी तक दो  तिबारियों की सूचना मिल पायी है।  

कला दृष्टि से तैड़ी में सुरेश चंद्र -रमेश चंद्र रियाल की तिबारी की काष्ठ कला प्रशंसनीय है ।  मकान तिभित्या (तीन दीवाल का, याने एक कमरा आगे व एक कमरा पीछे ) है और तिबारी पहली मंजिल पर है व दो कमरों के बरामदे को दीवार  से नहीं ढकागया  है अपितु तिबारी निर्माण हुआ है (काष्ठ कार्य ) . 

जैसे कि आम तिबारियों में होता है बल तिबारी में चार काष्ठ स्तम्भ हैं व ये चार काष्ठ स्तम्भ तीन  मोरी , खोळी /द्वार बनाते हैं।  तैड़ी में सुरेश चंद्र , रमेश चंद्र की तिबारी की विशेषता है कि स्तम्भ गोल नहीं अपितु  चौकोर (आयताकार )  हैं और यही आयताकार स्तम्भ कला तैड़ी में ही  अन्य तिबारी चक्रधर रियाल की तिबारी में भी पायी गयी है। 

किनारे के दो स्तम्भ डी दीवार से कलयुक्त कड़ी से जुड़े हैं। दीवाल -स्तम्भ जोड़ु  कड़ी में बेल बूटे (वानस्पतिक बेल नुमा ) कला उभर कर आयी है। 

  प्रत्येक स्तम्भ पाषाण के उप छज्जे पर टिके हैं आधार भी पाषाण के हैं।  स्तम्भों के काष्ठ आधार कुंभी (घट या तुमुड़ नुमा ) नुमा नहीं हैं ।  चौकोर स्तम्भ में चरों ओर वानस्पतिक कला /अलंकार (natural motifs ) निर्मित हुयी है।  स्तम्भ जब ऊपर शीर्ष पट्टी से मिलते हैं तो एक डेढ़ फ़ीट नीचे से स्तम्भ से मेहराब/arch /अर्धमंडल /तोरण  की पट्टी शुरू होती है. दोस तम्भो के मध्य  तोरण trefoil शैली में है। तोरण के बगल की पट्टियों  के किनारे चक्राकार फूल हैं याने कुल छः /6 चक्राकार फूल हैं। पुष्प  केंद्र में गणेश प्रतीक उतना उभरा नहीं है जितना अन्य तिबारियों में पाया गया है।  फूल के चारों ओर नयनाभिरामी वानस्पतिक चित्रकारी  (floral motif ) .   मेहराब। तोरण के शीर्ष पट्टिका/ यानी जो स्तम्भ शीर्ष की भी पट्टिका है  में भी वानस्पतिक चित्रकारी है।  

 छत काष्ठ पट्टिका  पर तिकी है व काष्ठ पट्टिका काष्ठ दासों (टोड़ी ) पर टिकी है।  दासों के मध्य पट्टिकाओं जो स्तम्भ शीर्ष या तोरण शीर्ष पट्टिकाओं से मिलते हैं में भी floral motifs /वानस्पतिक कला उकेरी गयी है।  तोरणों के trefoil से एक दो जगह काष्ठ आकृति लटक रही दीखती है जो आभाष तो चिड़िया की देती हैं। 

चिड़िया आभाष को छोड़ दें तो कह सकते हैं बल तैड़ी में सुरेश चंद्र -रमेश चंद्र  रियाल की तिबारी में ज्यामितीय व प्राकृतिक चित्रकारी ( floral  and geometrical motifs ) व आध्यात्मिक प्रतीक की चित्रकारी हुयी है और   प्रशंसनीय है। 

तिबारी संभवतया 1947 से पहले (1937 के करीब ) की लग रही है।  

भूतकाल में तैड़ी जैसे गंगा तटीय गाँव में मकान निर्माण मिस्त्री व जटिल कार्य के बढ़ई अधिकतर टिहरी गढ़वाल (गंगपुर्या ) से ही बुलाये जाते थे तो  संभवतया सुरेश चंद्र -रमेश चंद्र की तिबारी के कलाकार भी टिहरी गढ़वाल से ही भट्याये गए हों।  

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