तहसीलदार सहित चार राजस्व अधिकारियों को निलंबित करने की संस्तुति

तहसीलदार सहित चार राजस्व अधिकारियों को निलंबित करने की संस्तुति!
(जगदम्बा प्रसाद मैठाणी)
देहरादून 01 अप्रैल! (हि. डिस्कवर)
उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने देहरादून तहसीलदार मुकेश चंद रमोला, नायब तहसीलदार जसपाल सिंह राणा, लेखपाल (कानूनगो) हीरा सिंह बिष्ट और पटवारी विशंभर प्रसाद जोशी को निलंबित करने की संस्तुति राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव से की है। इन अधिकारियों पर हाईकोर्ट और कैबिनेट के फैसले का उल्लंघन करने का आरोप है।

इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता अमर एस धुंता की ओर से आयोग में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि प्रशासन के अधिकारी एक बिल्डर के दबाव में आकर युद्ध पीड़ित कर्नल सोबन सिंह को सरकार से आवंटित जमीन पर कब्जा नहीं दिला रहे हैं। 28मार्च को जारी निर्देशों में मानवाधिकार आयोग ने कहा कि हाईकोर्ट और प्रदेश की पहली कैबिनेट के फैसले के अनुसार कर्नल सोबन सिंह दानू को देहरादून में भूमि आवंटित की गई थी। कर्नल सोबन सिंह दानू कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। कर्नल सोबन सिंह का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था। आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि इन अधिकारियों ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया और कर्नल सोबन सिंह को आवंटित जमीन पर कब्जा दिलाने में कोई मदद उपलब्ध नहीं कराई। यही नहीं 22 मार्च 2017 को आयोग में सुनवाई के दौरान पटवारी विशंभर प्रसाद जोशी ने कैबिनेट और हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती दी थी।
आयोग ने अपने आदेश में जिक्र किया है कि 28 मार्च,2017 को कर्नल सोबन सिंह ने उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जगदीश भल्ला को बताया था कि  27 मार्च सोमवार को तहसीलदार ने उनको चुनौती देते हुए कहा था कि अगर मैं तुमको जमीन पर कब्जा भी दिला दूं तो तुम्हारी सात पीढ़ी भी इसका लाभ नहीं उठा पाएगी। आयोग ने इस मामले की 27 और 28 मार्च को सुनवाई करते हुए इन अधिकारियों को आदेश दिए कि कर्नल सोबन सिंह को आवंटित जमीन पर कब्जा दिलाया जाए। इस कार्य में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, पटवारी विशेष प्रयास करें और अपने प्रशासनिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए कर्नल सोबन सिंह को हर परिस्थिति में आवंटित जमीन पर कब्जा दिलाएं।
अपने आदेश में आयोग ने कहा कि अधिकारी अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते तो सौ मीटर की पगडंडी के माध्यम से कर्नल को आवंटित भूमि तक का रास्ता दे सकते थे। अगर एेसा संभव नहीं था तो वन विभाग को भी इस बारे में लिखा जा सकता था, लेकिन क्योंकि चारों राजस्व अधिकारी संभवतः कर्नल सोबन सिंह के विरोधी रहे और उन्होंने बिल्डर का साथ दिया। इस वजह से इन अधिकारियों ने हाईकोर्ट, कैबिनेट और यहां तक कि मानवाधिकार आयोग के आदेशों की अवहेलना की।
आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि प्रशासन के कर्मचारी कैबिनेट के आदेशों का पालन ही नहीं कर रहे हैं। जहां एक ओर राज्य सरकार युद्ध पीड़ित कर्नल सोबन सिंह को उनके सम्मान में जमीन दे रही है, वहीं उस राज्य के तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी और कानूनगो सरकार के आदेशों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। आयोग ने कहा कि इन अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू की जाए और इनको सस्पेंड कर दिया जाए, ताकि ये भविष्य में इस प्रकरण की जांच प्रक्रिया को प्रभावित न कर सकें। आयोग ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि पुनः संस्तुति की जाती है कि राज्य सरकार भविष्य में कर्नल सोबन सिंह को जमीन दिलवाने के लिए बनाई जाने वाली किसी भी टीम में इन चारों अधिकारियों को किसी भी हालत में शामिल न करे। इस आदेश की प्रति उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी भेजी गई है। 

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