तड़ाग ताल (निजमुला घाटी)! — देश और दुनिया की नजरों से दूर प्रकृति की अनमोल नेमत, नैसर्गिक सौन्दर्य का है खजाना….।

निजमुला घाटी में सप्तकुंड और तडाग ताल कुदरत की अनमोल नेमत है।

(ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!)

सीमांत जनपद चमोली की निजमुला घाटी की प्राकृतिक सुंदरता बरसों से बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। भले ही देश की आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी इस घाटी के लोंगो को मूलभूत सुविधाओं मय्यसर नहीं हो पाई हो परंतु प्रकृति नें इस घाटी पर बेपनाह सुंदरता की दौलत लुटाई है। आज भी इस घाटी के कई जगह देश दुनिया की नजरों से दूर है। निजमुला घाटी में मौजूद बेपनाह सुंदरता की बानगी सप्तकुंड, तडाग ताल, दुर्मी ताल, पीपलकोटी-किरूली – गौणा- तडाग ताल- रामणी पर्यटन सर्किट से लेकर रामणी- झींझी- पाणा- ईराणी- कुआरी पास -तपोवन पर्यटन सर्किट, बिरही- निजमुला- पगना- झींझी- बालपाटा पर्यटन सर्किट आज भी देश दुनिया के पर्यटकों की नजरों से दूर है। जबकि यहाँ पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं।

स्थानीय निवासी मोहन सिंह नेगी बताते हैं कि निजमुला घाटी में सप्तकुंड और तडाग ताल कुदरत की अनमोल नेमत है। जहां पर आकर हर कोई इनकी प्राकृतिक सुंदरता को देखकर अभिभूत हो जायेगा। कई मर्तबा तडाग ताल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने को लेकर ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से भी गुहार लगाई है। यदि तडाग ताल को प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिले और इसको विकसित करने की कार्ययोजना तैयार कर धरातलीय अमलीजामा पहनाया जाय तो न केवल इससे साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। प्रत्येक साल आयोजित होने वाली ऐतिहासिक नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में कुरूड दशोली की नंदा देवी की डोली और बंड भूमियाल की छंतोली भी इसी घाटी से उच्च हिमालयी बुग्याल बालपाटा और नरेला बुग्याल को प्रस्थान करती है।

वहीं बर्ड वाचिंग, माउनटेनिंग, योग ध्यान के लिए भी ये घाटी पर्यटकों के लिए मुफीद है। सरकार और पर्यटन विभाग को चाहिए की तडाग ताल को विकसित करने की ठोस कार्रवाई अमल में लाये।

ऐसे पहुंचा जा सकता है यहाँ!

ऋषिकेश से चमोली तक वाहन द्वारा ।
चमोली से बिरही -निजमुला तक वाहन द्वारा ।
निजमुला से तडाग ताल पैदल 8 किमी।
तडाग ताल से रामणी 5 किमी पैदल।
रामणी से घाट- नंदप्रयाग वाहन द्वारा ।
नंदप्रयाग से ऋषिकेश वाहन द्वारा ।

वास्तव में देखा जाए तो उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन के लिए असीमित संभावनाएं हैं। यहाँ सप्तकुंड और तडाग ताल जैसे अनगिनत गुमनाम स्थल है जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि ऐसे स्थानों को साहसिक पर्यटन से जोडने को लेकर सरकार और पर्यटन विभाग धरातलीय योजनाओं को अमलीजामा पहनाना का कार्य करें तो जरूर यहाँ के लोगों के भी अच्छे दिन आयेंगे।

आशा और उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में निजमुला घाटी का तडाग ताल पर्यटन के मानचित्र पर होगा और ये घाटी पर्यटकों के लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं होगी।

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