ढाकर.. दूसरा पड़ाव- महाबगढ़ से कांडाखाल…..!
(मनोज इष्टवाल)
हिमालय दिग्दर्शन यात्रा…!
16वीं सदी के महाबगढ़ व उसके गढ़पति भंधौ असवाल की वीरगाथा को नमन कर हम हमारा अगला पड़ाव 19 मार्च 2020 को महाबगढ़ से कांडाखाल होगा! अब इस क्षेत्र में सड़क का जाल बिछ गया है! सडक मार्ग से अगर हम महाबगढ़ से कांडाखाल तक की दूरी मापेंगे तो यह लगभग 35किमी. के आस-पास है! रतन सिंह असवाल कहते हैं- हम उस ट्रैक रूट की तलाश में उन बुनियादों की तरफ लौटने का यत्न करेंगे जिनके लिए हमारे द्वारा हिमालय दिग्दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया है! इससे दो काम होंगे एक महत्वपूर्ण काम यह कि हम दर्जनों गाँवों की संस्कृति व समाज व उनकी सरहदों को लांघते हुए विभिन्न आवोहवा से रूबरू होंगे दूसरा यह ट्रैक रूट हमारे लिए सिर्फ एक तिहाई ही रह जाएगा!

हम सड़क मार्ग की जगह अगर पुराना ढाकर मार्ग या पैदल मार्ग से महाबगढ़ से कांडाखाल आयेंगे तो यह मार्ग हमें मात्र 10 किमी. के आस-पास पडेगा! सुबह चाय नाश्ता कर हमारा अगला लक्ष्य शाम तक कांडाखाल पहुँचने का होगा! ऐसे में हमारी टीम हंसते खेलते गाते झूमते बहुत ही आनन्दमय वातावरण में शाम तक कांडाखाल पड़ाव में पहुंचेगी! यह उच्च हिमालयी भू-भाग नहीं है कि जहाँ आपको ऑक्सीजन की कमी के कारण चिडचिडापन होगा! यह क्षेत्र निम्न हिमालयी क्षेत्र आता है जिसके पश्चात मैदान शुरू हो जाते हैं!
हमारे अगले पड़ाव कांडाखाल के लिए सम्भवतः हमें महाबगढ़-नालीखाल-गड़सेरा (कठुड)-बागी बड़ी के गदन (नदी) को लांघकर चढ़ाई चढ़ते हुए पौखाल जाना होगा! पौखाल से गूम-कठूडधार-अहसान नगर-बागी-बडेथ होकर हम कांडाखाल पहुंचेंगे! जहाँ तक मेरा सोचना है यही मार्ग हिमालय दिग्दर्शन यात्रा के लिए उपयुक्त होगा लेकिन यह भी सम्भव है कि पलायन की जद में आये गाँव के सारे रास्तों में अब झाड़ियाँ उग आई हों इसलिए कांडाखाल की रोडमैपिंग में कुछ हल्के से बदलाव के साथ आगे बढ़ा जा सकता है!
इस निम्न हिमालयी क्षेत्र की यह हिमालय दिग्दर्शन यात्रा पर हमारे साथ अभी तक सबसे बुजुर्ग 65 बर्षीय दिनेश कंडवाल भी रहेंगे जिनके हर्ट के दो-दो ऑपरेशन हुए हैं लेकिन फिर भी वे उच्च हिमालयी क्षेत्र की कई यात्राएं कर चुके हैं व अपने रिटायरमेंट का पूरा आनन्द ले रहे हैं! वे कहते हैं- इष्टवाल जी, जिस दिन मैं बैठ गया तो समझो बैठ ही गया क्योंकि मेरे साथ के ज्यादात्तर मित्रों की जीवन शैली देखने के बाद ही मैं यह सोचता हूँ कि पैंसा व्यक्ति इसलिए नहीं कमाता कि वह उस कमाई को अपनी बिमारी पर खर्च करे! लक्ष्मी चलती रहनी चाहिए इसलिए अपने को भी चलायमान रखो व दुनिया को अपनी नजरों से देखो! और यह तभी सम्भव है जब हमारी यात्राएं निरंतर जारी रहेंगी!
क्रमश: