ढाकर….तीसरा पड़ाव! कांडाखाल से बुरांसी!

(मनोज इष्टवाल)

कांडाखाल…! अर्थात हिमालय दिग्दर्शन यात्रा का दूसरा पड़ाव! तीसरे पड़ाव के लिए 20 मार्च 2020 को हम सुबह यहीं से अपने अगले बुरांसी के लिए निकलेंगे! यहाँ से हमें सडक-मार्ग व पैदलमार्ग दोनों ही इस्तेमाल में लाने होंगे क्योंकि पैदल मार्ग ज्यादात्तर अब समाप्त हो गए हैं और सडक कटते समय भी कई स्थानों में पुराने पैदल राजपथ के निशान तक मिट चुके हैं! कांडाखाल व आस-पास की जानकारियों सम्बन्धी दस्तावेज हम अपनी ढाकर यात्रा ट्रेवलाग में शामिल करेंगे ताकि उस पर विस्तार दे सकें! फिलहाल हमारा तीसरे दिन की ढ़ाकर यात्रा का मकसद दुगड्डा -डाडामंडी ढाकर रूट में शामिल होना है! हम डाडामंडी में इस यात्रा मार्ग को अपने हिमालय दिग्दर्शन ढाकर यात्रा से जोड़कर आगे बढ़ेंगे!

डाडामंडी से हम बनालीडांडा पर्वत शिखर छोड़कर असवालों के महाबगढ़ की पर्वत शिखर छोड़कर फिर से असवालों के ही पर्वत शिखर भैरों/लंगूर/हनुमंतगढ़ी की शिखरों का मध्यमार्ग चुनकर द्वारीखाल की चढ़ाई चढ़ेंगे!

अपने पीछे बनालीडांडा क्षेत्र को छोड़कर हम वहां की आवोहवा के साथ कुछ जरुरी जानकारियाँ इकठ्ठा कर ही आगे बढ़ेंगे जैसे यहां पर असलदेव महादेव के नाम से मन्दिर है। साथ ही चोटी से आघा कि0मी0 नीचे पहाड़ के पठार में भैरव गुफा है। बनालीडांडा के पश्चिमी खड़ी ढ़़लान की चट्टानी गुफाओं में मघुमक्खियों के अनेक छत्ते होते है। जो स्थानीय जनमानस के लिए देव स्वरूप है। अतः इन से शहद नहीं निकाला जाता।

बनालीडांडा की श्रृंखला में ही पौखाल कस्बा है। यह छोटा सा बाजार है परन्तु आवश्यकता की हर वस्तु यहाँं पर उपलब्घ है। पौखाल से तीन कि0मी0 उत्तर में ह्ंयूलनदी बहती है । इसके किनारे बहुत पुराना आश्रम है जिसे वशिष्ठाश्रम कहा जाता है। इस स्थान को त्रिपणी या त्रिवेणी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यहाँ परं तीन नदियों का संगम है। बैसाखी के दिन हर साल यहां बैसाखी मेला लगता है और लोग संगम में स्नान कर पुण्य करते है।

डाड़ामंडी अर्थात नदी तट पर बसी एक हाट..! जिसका ब्रिटिश काल में बड़ा इतिहास रहा है! उदयपुर अजमेर पट्टी के लोग आज भी यहाँ गिंदीमेला आयोजित करते हैं! यहाँ से हम देविखेत-राजगढ़-ग्वीन-बकरोट गाँव वाले ढाकरी रूट को पार कर इस क्षेत्र के विकास खंड द्वारीखाल में पहुंचेंगे जो कभी ढाकरियों का मुख्य पड़ाव हुआ करता था! काश….कि इस पड़ाव में हम भी उन स्मृतियों-विस्मृतियों को ताजा कर पाते जिन्हें हमारे पूर्वजों ने बर्षों अपने साथ ज़िंदा रखा।

हिमालय दिग्दर्शन यात्रा के संयोजक ठाकुर रतन सिंह असवाल का कहना है कि हमारा तीसरा पडाव बुरांसी होगा! अगर स्च्कुच ऐसा है तो यह बेहद थका देने वाला पड़ाव होगा क्योंकि यह तीसरे पड़ाव की यात्रा लगभग 25से 30 किमी. की होगी! क्योंकि हमें कांडाखाल से बनकंडी- हथनूड -बौंठा-मटियाली-वेल्डा-धारियालसार पार कर पैदल पथ मार्ग लगभग 10 से15 किमी नापकर डाडामंडी पहुंचना होगा व डाडामंडी से द्वारीखाल 6 मील अर्थात लगभग 9-10 किमी. व वहां से बुरांसी लगभग 4 मील अर्थात लगभग 5-6 किमी. चलना होगा! बहरहाल..यात्रा की उलटी गिनती शुरू है। जितने भी हिमालय दिग्दर्शन यात्रा में ढाकरी बन रहे हैं सभी से गुजारिश की वे मौसम का मिजाज देखते हुए दवाई व रेनकोट जरुर साथ रखें! जिन्हें पैदल चलने में ज्यादा दिक्कत होगी वे ऑप्शनल अपने लिए लोकल ट्रांसपोर्ट का सहारा भी ले सकते हैं क्योंकि अब ये मार्ग सड़क मार्ग से भी जुड़ चुके हैं! यात्रा रोमंचक होगी इस बात की पूरी उम्मीद है।

क्रमशः….

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