ज्यूडिशियल नालसा योजना के तहत जजों ने दिया रिफ्रेशन प्रशिक्षण।
पौड़ी (हि. डिस्कवर)।

माननीय उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के निर्देशानुसार नालसा स्कीम के संबंध में आज जिला मुख्यालय दीवानी न्यायायल परिसर पौड़ी के सभागार में स्पेशल जुवेनाईल पुलिस यूनिट के सदस्यों, किशोर न्याय बोर्ड, सी.डब्ल्यू.सी., प्रभारी अधिकारी बाल सम्प्रेषण गृह आदि को सैंसिटाईज करने हेतु एक रिफ्रैशन ट्रेनिंग का आयोजन सिविल जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पौड़ी गढ़वाल संदीप कुमार तिवारी की अध्यक्षता में किया गया।
कार्यक्रम में सिविल जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पौड़ी गढ़वाल द्वारा उपस्थ्ति प्रतिभागीगणों को सैंसिटाईज करते हुए कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(1) के तहत राज्य के लिए कानून समान अवसर के आधार पर न्याय को बढ़ावा देता है। समान अवसर के आधार पर समाज के कमजोर वर्गों के लिए स्वतंत्र और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए विविध सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 संसद द्वारा अधिनियमित किया गया है, जिसके द्वारा एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करने के लिए प्राविधान है। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य कानूनी तौर पर समाज के कमजोर और बहिष्कृत समूहों को सशक्त करने के लिए प्रभावी कानूनी सहायता प्रतिनिधित्व प्रदान करना है। साथ ही कानूनी साक्षरता और जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजनों से लोग इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें, ऐसा प्रयास विधिक प्राधिकरण की ओर से किया जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागीगणों को प्रशिक्षित करते हुए बताया कि ऐसिड अर्थात् तेजाब अटैक के मामलों में भारतीय दंड संहिता में अपराध माना गया है। ऐसे अपराध के दंड के लिए कानून में दंडात्मक प्राविधान किये गये हैं। इसके तहत अपराधी को पांच साल से लेकर आजीवन कारावास के साथ-साथ अर्थदंड भी लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसिड अटैक से पीड़ितों को मुआवजा आदि के लिए भी कानून में प्राविधान किया गया है। यहां तक कि ऐसिड अटैक के मामलों में पीड़ित के उपचार करने हेतु कोई भी अस्पताल इनकार नहीं कर सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसिड अटैक की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बाजार में तेजाब को कानूनी रूप से बिल्कुल बंद कर दिया गया है, जब तक कि विक्रेता ऐसिड अर्थात तेजाब विक्रय के संबंध में सारा डाटा लिखते हुए, उसका एक अलग पंजिका न बना ले, उस पंजिका में ऐसिड/तेजाब किसे बेचा गया, कितनी मात्रा में बेचा गया, साथ ही यह भी दर्ज करना होगा कि ऐसिड/तेजाब क्रय करने वाले व्यक्ति का नाम/पता दर्ज कर लिया है तथा पहचान पत्र देख लिया है। इस बात को अवश्य सुनिश्चित करना है कि क्रय करने वाला 18 साल से नीचे का व्यक्ति न हो। उन्होंने कहा कि ऐसिड अटैक जैसी घटनाओं से बचने के लिए जन जागरूकता बेहद अहम है।
सिविल जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पौड़ी गढ़वाल द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 व संबंधित रेगुलेशन, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 ए, बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम, शिशु संरक्षण अधिकार अधिनियम 2005, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, बच्चों का निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009, यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम 2012 आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इस मौके पर सिविल जज न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी शमा परवीन, एसओ पाटीसैंण राजेंद्र सिंह, एसएचओ धुमाकोट प्रमोद उनियाल, एसआई थलीसैंण मनोज गैरोला, एसओ रिखणीखाल प्रमोद शाह, रीडर एसएसपी पौड़ी संतोष कुमार, एसआई कोटद्वार पूनम सिंह, एसआई कोटद्वार लक्ष्मी, अधीक्षिका सीडब्ल्यूसी मीना नेगी, रणजीत गुसाई, गंगोत्री नेगी, सोनी सौटियाल, ऋषि कुमार आदि उपस्थित रहे।