जैनी प्रकरण के बाद 27 विधायक तैयार थे तिवारी सरकार गिराने को! डॉ हरक सिंह रावत का सदन में खुलासा कोई संकेत तो नहीं।

देहरादून 4 दिसम्बर 2018 (हि. डिस्कवर)
विधान सभा के शीत कालीन सत्र के शुरुआती दिन पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी को श्रंद्धांजलि अर्पित करते हुए वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने जैनी प्रकरण को ताजा करते हुए तब सनसनी फैला दी जब उन्होंने कहा कि जैनी प्रकरण में मुझे लपेटने के बाद 27 विधायक लामबंद होकर नारायणदत्त तिवारी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार को गिराने के लिए तैयार हो गए थे।
उन्होंने पटाक्षेप करते हुए कहा कि इस सम्बंध में हम सबकी बात प्रमोद महाजन, राजनाथ सिंह व भगत सिंह कोशियारी से हो चुकी थी। किसी तरह यह बात विजय बहुगुणा तक पहुंच गई और उन्होंने मध्यस्तता करते हुए नारायण दत्त तिवारी से मेरी बात करवाई गिले-शिकवे दूर किये गए और तब जाकर सरकार बच पाई।

डॉ हरक सिंह रावत का यह बयान भले ही स्व. नारायण दत्त तिवारी से जुड़े संस्मरणों का एक अंग हो लेकिन वर्तमान में प्रदेश सरकार के अंदरखाने की खींचतान और हाल ही में कोटद्वार में मेयर की हार के बाद आये उनके बयान से अगर जोड़कर देखा जाय तो यह एक चेतावनी भी कही जा सकती है।
ज्ञात हो कि डॉ हरक सिंह रावत वर्तमान सरकार में असहज सा महसूस कर रहे हैं और यही स्थिति उस हर मंत्री विधायक की है जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं क्योंकि वर्तमान सरकार में सभी उनके द्वारा भेजी गई विकास की फाइलों को पांचवें तल के बड़े अधिकारियों की मेज में रेंगता पा रहे हैं। यहां तक कि उनकी नाराजगी कभी कभार सार्वजनिक तौर पर जनता के बीच भी पहुंच रही है।
डॉ हरक सिंह रावत ने अपनी विधान सभा कोटद्वार में मेयर की हार होने के बाद नाराजगी भरे अंदाज में वक्तब्य दिया था कि वे इतने बर्षों से मंत्री विधायक रहे हैं इसलिए अब यह उनके वश में नहीं कि वे छोटे बड़े चुनाव लड़ाने के लिए अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए आगे गिड़गिड़ाते रहे।
आज विधान सभा सत्र के दौरान आये उनके इस बयान का बाजार मीडिया व विधान सभा में मौजूद सभी लोगों के बीच गर्म है। सब इसे आम बयान न समझ कर खास तौर पर सरकार के लियर एक चेतावनी समझ रहे हैं। बहरहाल बयान पूर्व केंद्रीय मंत्री व उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी से जुड़े संस्मरणों से जोड़कर ही देखा जाना चाहिए क्योंकि यह संस्मरण मात्र हैं लेकिन यह भी तय है कि डॉ हरक सिंह रावत अपनी हर बात कुछ यूँही नहीं कह देते।

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