जामिया मिलिया कालेज में गोल्डमेडल पाकर उत्तराखण्ड की बेटी ने बढाई शान।

(वरिष्ठ पत्रकार वेद विलास उनियाल की कलम से)
सृजन कला के क्षेत्र में भावना सती उभरता हुआ नाम है। उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण था जब जामिया मिलिया इस्लामी कालेज के बैचलर आफ फाइन आट्रर्स पेटिंग में उन्हें गोल्ड मैडल हासिल हुआ। भावना सती उत्तराखंड से है। प्रकृति और उसके बिंब रहस्यों के प्रति उनकी भी गहरा अनुराग और जिज्ञासा रही है। लेकिन उन्होंने प्रकृति के सौंदर्य, गूढता रहस्य को विषय न बनाकर सामाजिक सरोकारों को अपनी कला का केंद्र बनाया। उनके चित्रों में अभिव्यक्ति होती है कि किस तरह पहले बच्चे बड़ों से लोरियां सुनते थे , उनके बीच होते थे, मोबाइल कल्चर ने उनको परिवार से दूर कर दिया। चित्र में मोमबत्ती के बिंब से उन्होंने बताने की कोशिश की है कि किस तरह एक स्त्री दृढता से खडी होकर अपने परिवार को ऊंचा करती है उसे रोशनी देती है। ऐसे कई चित्रों को वह आकार और रंग दे चुकी हैं।

भावना में कला के शायद जन्मजात गुण थे। जब आठवीं में थी तो 26 जनवरी को ओखला में एक चित्र स्पर्द्धा में यूं ही भाग ले लिया। कई प्रतियोगियों के बीच जब भारत के आजादी के बाद के सफर को उसने दिखाया तो पहला पुरस्कार उसके ही नाम था। बस वो फिर रुकी नहीं। चित्रों रेखाओं रंगो की दुनिया में विचरण करने लगी। यह सफर और चमकता हुआ सफर और खिलते रंगों के साथ आगे जाना है।

मगर भावना का परिचय इतना ही नहीं। वह उभरते लोक गायक राहुल सती की पत्नी है। राहुल सती केवल उत्तराखंड के ही लोकगीत नहीं गाते हैं। बल्कि दिल्ली मुंबई सभी जगह उनके गाए पहाडी, पंजाबी, सूफी गीत पसंद किए जा रहे हैं। मी छोडीएग्यू माँजी गढ़देश . तेरे बिन नहीं जीना और रस्के कमर जैसे गीत सुने जा रहे हैं। मुंबई कौथिग में राहुल ने बाबू गोपाल गोस्वामी के गीतों को सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध किया था।
चित्रकला और संगीत में रमा यह परिवार सृजन में डूबा है। दिल्ली की व्यस्तताओं में उनके अपने कुछ सपने संजोए हैं। सफर सुरीला है, रंगो का अहसास है। भावनाएं कोमल है। उत्तराखंड का समाज राहुल भावना दोनों को अपनी शुभकामनाएं देता है।

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