जवानों से बदसुलूकी, जवाब जरूरी!

जवानों से बदसुलूकी, जवाब जरूरी!
(कैलाश विजयवर्गीय – नया इंडिया  )

देश की सीमाओं पर सुरक्षा के लिए तैनात सैनिक हर देश के लिए गौरव होते हैं। सीमाओं की सुरक्षा के लिए विपरीत मौसम में तैनात जवान देश की आन,बान, शान होते हैं। सैनिको की वीरता ही देश का गौरव बढ़ाती है। सुरक्षित देश ही तरक्की के रास्ते पर तेजी से बढ़ते हैं। कश्मीर घाटी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के साथ बदसुलूकी और भारत विरोधी नारों के साथ पिटाई पर हो रही राजनीति ने देश को शर्मसार किया है। जवानों ने पिटाई के बावजूद जवाब नहीं दिया, उसके कुछ कारण हो सकते हैं पर दुनिया में जवानों की सहनशीलता को वीरता नही कायरता के तौर पर देखा जा रहा है। जब देश की सीमाओँ पर तैनात जवानों का अपमान हो रहा है, तो कौन मां अपने बेटे को सेना में भेजने के लिए तैयार होगी? कौन पिता अपने फौजी बेटे का अपमान किस तरह सहन कर पाएगा?

जवानों के साथ ऐसी अपमानजनक घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है। कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों के जवानों को पीटने की घटना पर दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मनोज तिवारी एक टीवी कार्यक्रम में रो पड़े। कश्मीरी युवकों द्वारा सीआरपीएफ जवानों के साथ बदसलूकी की घटना का जिक्र करते हुए मनोज तिवारी ने कहा कि जब मैंने सैनिक के सिर पर थप्पड़ पड़ते देखा, हमें लगा इससे बेहतर हम मर गए होते। ये देश माफ नहीं करेगा, कभी माफ नहीं करेगा। तिवारी ने यह भी सही कहा कि हमारे जवान सीमा पर खड़े होते हैं तब हम चैन से सोते हैं।

यह गुस्सा केवल मनोज तिवारी का ही नहीं है। कश्मीर घाटी में केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल के जवानों के साथ कुछ लोगों द्वारा बदसुलूकी, मारपीट और गालीगलौज करने के कई वीडियो सामने आने के बाद देश की जनता विचलित है। देश की जनता गुस्से में हैं। देश के लोगों का गुस्सा इन वीडियो के बाद हो रही राजनीति को लेकर भी बढ़ा है। फिल्म और खेल जगत के सितारों ने भी सीआरपीएफ के जवानों को पीटने की घटनाओं की तीखी आलोचना की है। जवानों की पिटाई के ये वीडियो सोशल मीडिया पर छाये हुए हैं।
यह घटना 9 अप्रैल की है। वीडियो में दिखाया गया है कि श्रीनगर लोकसभा सीट के उपचुनाव के बाद लौट रहे सीआरपीएफ के जवानों को हिंसक भीड़ पीट रही है। सुरक्षाकर्मी हथियार होते हुए भी पिटाई सहन कर रहा है। किसी ने पिटते जवान को बचाने की कोशिश भी नहीं की। दूसरे वीडियो में कुछ लड़के सीआरपीएफ जवान को लातों से मार रहे हैं। इस जवान ने भी हथियार नहीं उठाया। एक अन्य वीडियो में चुनाव ड्यूटी से लौट रहे जवानों के साथ नारे लगाते लड़के चल रहे हैं। लड़के बार-बार जवानों को उकसाने के लिए नारे लगा रहे हैं ‘गो इंडिया गो, जालिमों हमारा कश्मीर छोड़ दो’। वीडियो में दिख रहा है कि कुछ लड़के जवानों की हेलमेट उतार रहे हैं तो कुछ लड़कों ने उनकी शील्ड तक छीन ली। एक लड़के ने एक जवान का स्लीपिंग बैग भी नीचे गिरा दिया। भीड़ में शामिल एक लड़का उत्तेजित होकर जवानों को गाली देते हुए मारपीट करने लगता है। इसी दौरान एक लड़का सुरक्षाकर्मी के हाथ पर जोर से किक मारता है और उसकी हेलमेट दूर दुकान के शटर के पास जा गिरती है। इन वीडियो की सच्चाई भी सामने आ गईं है। ये सभी वीडियो सही पाए गए हैं। हमें जवानों के धैर्य और संयम की प्रशंसा तो करनी चाहिए क्योंकि वीडियों में साफ दिख रहा है कि जवानों के हाथों में बंदूक होने के बावजूद उन्होंने गोलियां नहीं चलाईं। जवान उस समय चुनाव के बाद ईवीएम लेकर लौट रहे थे। जवानों की तरफ से जवाबी कार्रवाई होती तो क्या होता। जवानों ने अपनी सुरक्षा से बढ़कर ईवीएम की सुरक्षा को तरजीह दी और उन्हें सुरक्षित तय स्थान तक पहुंचाया।
जवानों के साथ बदसूलुकी की ऐसी घटनाओं के वीडियो सामने आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरु तो हुई है पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला और उनके साहबजादे उमर अबदुल्ला दूसरी कहानी गढ़ने में लगे हुए हैं। उमर अब्दुल्ला ने कुछ तस्वीरें और वीडियो ट्विटर पर जारी किए। वीडियो और तस्वीरों के जरिये यह बताने की कोशिश हो रही है कि जीप के बोनट पर एक कश्मीरी युवक को बांध कर सेना और सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने वालों को चेतावनी दी गई। अभी इस वीडियो की सच्चाई सामने नहीं आई है पर उमर अब्दुल्ला को यह वीडियो जारी करते हुए बहुत अफसोस हुआ। फारूख और उमर अबदुल्ला ने कभी सेना और सुरक्षाबलों के अफसरों तथा जवानों की कठिनाई का जिक्र नहीं किया। फारुख ने तो हमेशा पत्थरबाजों का साथ दिया है। फारुख अब्दुल्ला ने तो यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार पत्थरबाजों को पैसा देती है ताकि घाटी में अमन-चैन कायम न हो। फारुख की बात में दम तो है कि आखिर पत्थरबाजों को पैसा कौन दे रहा है, इसकी जांच भी जरूरी है।
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने फारुख अब्दुल्ला के आरोपों को बकवास करार दिया है पर फिर भी हो सकता है कि उमर अब्दुल्ला और उनके मुख्यमंत्री रहते हुए पाकिस्तान की शह पर पत्थर मारने वालों को पैसे सरकार के खाते से दिए गए हों। जिस कश्मीर की दुर्गति का रोना फारुख और उमर रो रहे हैं, उसके लिए जिम्मेदार कौन है? पिता-पुत्र दोनों जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे,केंद्र सरकार में मंत्री रहे। उन्हें बताना चाहिए कि कश्मीर के नौजवानों को दहशतगर्द बनाने से रोकने के लिए क्या-क्या किया गया? सही तो यही है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा की सरकार बनने के बाद फारुख और उमर हताशा में ऐसी बयानबाजी करते रहते हैं। यह भी सही है कि फारूक अब्दुल्ला व उनकी पार्टी के हालिया बयानों ने भी हालातों को खराब करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। सेना के जवानों द्वारा कश्मीरी युवाओं को घर से निकाल कर गोली मारने की तस्वीरे जारी करके भी माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। इस तरह की तस्वीरें पाकिस्तान से जारी की जा रही हैं। सेना ने साफ कर दिया है कि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है।
हमारे जवानों के साथ हिंसक घटनाओं के बाद जगह-जगह लोग नाराजगी जता रहे हैं। क्रिकेटर गौतम गंभीर के बयान से पूरे देश की पीड़ा सामने आई है। उनका कहना है कि “हमारे आर्मी जवान को मारे गए हर थप्पड़ के बदले 100 जिहादियों को मार देना चाहिए। जिसको भी आजादी चाहिए, वो देश छोड़कर चला जाए। कश्मीर तो सिर्फ हमारा है। भारत विरोधी हमारे तिरंगे के तीन रंग का मतलब भूल गए? भगवा यानी गुस्से की आग। सफेद यानी जिहादियों के लिए कफन और हरा यानी आतंकवाद से नफरत। गंभीर के साथ उनके लंबे वक्त के ओपनिंग पार्टनर रहे वीरेंद्र सहवाग ने भी जवानों से हुई नापाक हरकत पर उनका साथ दिया। सहवाग ने कहा है कि अब इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। फिल्म जगत भी में इन घटनाओं के खिलाफ भारी नाराजगी है। ये तो नाराजगी की कुछ बानगियां हैं। देश की जनता ऐसी घटनाओं के बाद अब पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहती है।
जवानों के साथ बदसुलूकी की घटनाओं के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस सख्त रवैया अपना रही है। अब सवाल यह उठता है कि मानव अधिकारों की दुहाई देने वाले लोग इस मसले पर चुप क्यों हैं। सुरक्षाबलों को कटघरे में खड़ा करने वाले मानव अधिकार कार्यकर्ता अब चुप क्यों हैं। तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से सेना और सुरक्षाबलों पर कश्मीरियों के मानवाधिकारों का हनन करने का आरोप लगाते रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि दहशतगर्द फैलाने वालों ने ही सीआरपीएफ के जवानों की पीटने और भारत विरोधी नारे लगाने के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में जारी किए। पाकिस्तान की शह पर दहशत फैलाने वाले शायद यह दिखाने की कोशिश रहे हैं कि उन्होंने सुरक्षाबलों को किस तरह हथियार न उठाने के लिए मजबूर कर रखा है। जम्मू-कश्मीर सरकार को ऐसे दहशतगर्दों के साथ ज्यादा सख्ती करने की जरूरत है। सुरक्षा बलों के मनोबल बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ बयान दिए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह के बयानों से साफ है कि केंद्र सरकार पत्थरबाजों के साथ सख्ती से निपटेगी। साथ ही हमें क्रिकेटर गौतम गंभीर के बयान पर अमल करने की जरूरत है कि जो लोग आजादी की मांग को लेकर पत्थर मार रहे हैं उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। (लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं और सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक विषयों पर बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं।)

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