जम्मू-कश्मीर अब केन्द्रशासित राज्य बनेगा! आर्टिकल 370 व आर्टिकल 35A को हटाने फैसला!

(मनोज इष्टवाल)

*जम्मू कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर लिया गया।

*प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लगा दी गई है! इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ स्कूल-कॉलेज भी बंद

*भारत की कार्यवाही से बौखलाया पाक! इमरान ने ट्रम्प से लगाईं गुहार!

आखिर तमाम अटकलों को विराम मिल ही गया क्योंकि जैसे ही गृह मंत्री ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश का प्रस्ताव आज लोकसभा में किया पूरे देश में ख़ुशी का जश्न सा दिखाई देने लगा है! सोशल मीडिया, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तमाम सरगर्मियां इसी पर केन्द्रित हो गयी हैं!

गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को लेकर सोमवार को बड़ा फैसला किया है। विगत शाम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल व रक्षा सचिव के साथ चली वार्ता के बाद ही यह अनुमान लगाया जाना शुरू हो गया था कि कल कुछ अलग होने वाला है।  शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश करने के साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने का प्रस्ताव किया।  गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया। शाह के इस प्रस्ताव पर राज्यसभा में विपक्ष ने हंगामा कर दिया जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। 

यह श्रावण मास जोकि मूलतः शिब भक्तों का पर्व माना जाता है भाजपा की कार्यप्रणति का नया इतिहास रच रहा है! प्रथम सोमवार में जहाँ चन्द्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण हुआ है वहीँ दूसरे सोमवार में तलाक बिल पास! आज तीसरा सोमवार है और यह पूरे देश के इतिहास की नयी पहल के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर अब केंद्रशासित राज्य में गिना जाएगा!

कश्मीर का जिक्र आए और धारा 370 और 35ए की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता, इसको लेकर अक्सर ही विरोध के सुर उठते रहे हैं, दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है। कश्‍मीर में पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच पाकिस्‍तान भी बेचैन नजर आ रहा है। हाल ही में अमेरिका दौरे से लौटे पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस मुद्दे पर देश के शीर्ष अधिकारियों की बैठक बुलाई तो अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की मदद भी मांगी, जिन्होंने हाल में कई बार कहा कि वह कश्‍मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्‍तान के बीच मध्‍यस्‍थता करने के लिए तैयार हैं।

जम्मू कश्मीर को लेकर हलचल तेज हो गई है। आतंकवादी हमले की आशंका और नियंत्रण रेखा पर तनातनी बढ़ने के बीच कश्मीर घाटी में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षाबलों की तैनाती और बढ़ा दी गई है। जम्मू में सोमवार को ऐहतियातन स्कूल और कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया गया है और घाटी में इंटरनेट तथा मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

कश्मीर हालात पर बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने बड़ा बयान दिया है। कश्मीर के ताजा हालातों पर बयान देते हुए अनुपम खेर ने सोमवार को कहा कि कश्मीर समाधान शुरू हो चुका है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा के मुद्देनजर धारा 144 लागू कर दी गई है साथ ही घाटी में मोबाइल व इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। इसके साथ ही अगले आदेश तक स्कूल व कॉलेज बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं।

कश्मीर का जिक्र आए और धारा 370 और 35 ए की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता, इसको लेकर अक्सर ही विरोध के सुर उठते रहे हैं, दरअसल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता दी गई है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा लेख है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है।

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।

विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता। इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते। भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।

आर्टिकल 370 में ऐसा क्या है?
*कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है।
*कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।
*धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
*धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।
*धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते है।
*जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।
*जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
*जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
*जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
*भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।
भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
*जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।

अनुच्छेद 35A के अधिकार:-
*35A से जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय होते हैं
*14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे वही स्थायी निवासी माना जाएगा
वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, राज्य में सम्पत्ति नहीं खरीद सकता।
*वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, जम्मू और कश्मीर सरकार की नौकरियों के लिये आवेदन नहीं कर सकता।

*वह व्यक्ति जो जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, जम्मू और कश्मीर सरकार के विश्विद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकता, न ही राज्य सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है।


हालांकि धारा 370 में समय के साथ-साथ कई बदलाव भी किए गए हैं। 1965 तक वहां राज्यपाल और मुख्यमंत्री नहीं होता था। उनकी जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री हुआ करता था, जिसे बाद में बदला गया। इसके अलावा पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिक के जाने पर उसे अपने साथ पहचान-पत्र रखना जरूरी होता था, लेकिन बाद में विरोध के बाद इस प्रावधान को हटा दिया गया था।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस संवैधानिक प्रावधान के पूरी तरह ख़िलाफ़ थे। उन्होंने कहा था कि इससे भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट रहा है। हाल ही में घाटी में इस आशंका की खबरें तैर रही हैं कि शायद सरकार राज्य से इसे हटा सकती है और इसको लेकर पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ और उमर अब्दुल्ला सभी एकजुट होकर इस हालात पर चिंता जताते दिख रहे हैं।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वैसे तो इस्लाम में हाथ जोड़ने की मनाही है। लेकिन वो पीएम मोदी से हाथ जोड़कर अपील करती हैं कि जम्मू-कश्मीर को जो संवैधानिक आजादी मिली है उसमें वो किसी तरह की छेड़छाड़ न करें। उन्होंने कहा कि मोदी जी आप बहुत बड़ा जनमत लेकर आए हैं। आप से अपील है कि आप हमारी खास पहचान को बरकरार रखें। जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी किये जाने के बाद अफरातफरी का माहौल है। 

बहरहाल विगत दिनों से चल रहे लगातार घटनाक्रम की तमाम अटकलों को आज बिराम मिल गया है क्योंकि जिस अंदेशे से जम्मू-कश्मीर के सियासतदार अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंककर यहाँ आतंकवाद की फसल लहलहा रहे थे वह फसल आज श्रावण के तीसरे सोमवार को गृह मंत्री द्वारा लोकसभा में प्रस्ताव लाते ही पूरे विश्व की नजरें भारतीय टीवी चैनल्स पर गढ़ चुकी हैं! पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री की अमेरिकी राष्ट्रपति से गुहार लगाना इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान इस फैसले से किस तरह बिलबिला रहा है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *