जन संघर्षों पर क्या अब खरा उतर पायेगा डोबरा-चांटी पुल!
जन संघर्षों पर क्या अब खरा उतर पायेगा डोबरा-चांटी पुल!
(मनोज इष्टवाल)
भागीरथी के इस पार टिहरी रियासत तो उस पार प्रताप नगर रियासत ! टिहरी सुमन सागर के नीचे लोप तो प्रताप नगर का महल आज भी अपनी बुलंदी पर खड़ा है! टिहरी में डोबरा तो प्रताप नगर क्षेत्र में चांटी ? और दोनों के समागम के लिए आतुर भागीरथी का वह पुल जिसने जाने कितने जनांदोलनों की इतिश्री की और अभी भी नहीं करेगा इस बात की कोई गारंटी भी नहीं है.
टिहरी के दोबाटा से उत्तरकाशी जाने वाले सड़क मार्ग पर लगभग 13 किमी. दूरी पर बन रहे डोबरा-चांटी पुल पर विगत बर्ष से पुन: कार्य प्रारम्भ हो गया है. उदयपुर परगने के जुआ पट्टी का यह पुल बन जाने के बाद जहाँ भागीरथी पार प्रताप नगर के सैकड़ों गॉव को मीलों लंबा सफ़र करने से निजात मिलेगी वहीँ इस क्षेत्र के विकास की गति भी उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगी.
कांग्रेस प्रवक्ता विजयपाल रावत कहते हैं कि यह पुल जिस दिन बनकर तैयार हो गया उस दिन समझो प्रताप नगर क्षेत्र के सैकड़ों गॉव दीवाली मनाएंगे क्योंकि यही एक मात्र साधन है जो हमें सरलता से मुख्य मार्ग से जोड़ेगा और जिला टिहरी व राजधानी देहरादून के लिए आना जाना बेहद सुगम हो जाएगा.
वे बताते हैं कि इसमें पूर्व में लगभग डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि ख़त्म हो चुकी है लेकिन पुल का ढांचा ज्यों का त्यों रहा लेकिन अब कुछ आसार तब से नजर आने लगे हैं जब से वी.के.गुप्ता एंड असोशियट चंढीगढ़ व एमबीजेड युक्रेन की कम्पनी हाथ मिलाकर काम करना प्रारम्भ किया.
ज्ञात हो कि ग्रामीण आधारभूत विकास निधि जिसे संक्षेप में आरआईडीएफ नाम से पुकारा जाता है ने लोक निर्माण विभाग ने इसे डोबरा चांटी परियोजना क्रियान्वयन इकाई लो.नि.वि. टिहरी को सौंपा और उसने यह कार्य उपरोक्त संस्थाओं को सौंप दिया. 440 मीटर का मुख्य स्पान (लम्बाई) के अतिरिक्त 260 मीटर पहुँच (पुल तक पहुँचने का मार्ग व लगभग 25 मीटर चौढ़ाई लिए इस पुल का निर्माण कार्य दुबारा 12 फरबरी 2016 को प्रारम्भ किया गया जिसकी अंतिम निर्माण तिथि 11 अगस्त 2017 आंकी गयी है. व इसका मरम्मत कार्यकाल 5 बर्ष आंका गया है. पुल पर चल रहा युद्ध स्तर के कार्य के बावजूद ऐसे आसार अभी लगते दिखाई नहीं दे रहे हैं कि यह पुल अगस्त माह तक बनकर तैयार हो जाएगा. जबकि इसकी वर्तमान लागता 14,995 लाख यानि लभग 1.4995 अरब आंकी गयी है जिसमें नाबार्ड 5,997.82 लाख और है जिसका सीधा सा अर्थ हुआ कि अभी भी इस पुल पर लभग डेढ़ अरब से अधिक धनराशी खर्च होने की उम्मीद है और अगर इसका समय और बढ़ा तो लगभग 30 करोड़ और अधिक लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
आपको बता दें कि फिक्वाल समुदाय द्वारा लगभग 11 बर्ष पूर्व इस पुल की मांग की गयी थी ताकि इसके बनने के बाद उनके क्षेत्र के लगभग 250 गॉव के 50 हजार लोगों को सडक सुविधा मिल सके. डोबरा चांटी संघर्ष समिति के राजेश्वर पैन्यूली, अनिता नौटियाल ही नहीं बल्कि वक्त बेवक्त कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसके निर्माण के लिए आवाज बुलंद की. आखिरकार बर्ष 2006 में इस पुल के निर्माण के लिए 89.20 करोड़ बजट स्वीकृत हुआ और कार्य आरम्भ भी हुआ. जिसे 31 अक्टूबर 2008 तक पूरा होना था लेकिन इसकी तारीख बढ़ते बढ़ते 2010 हुई तब तक लगभग 131 करोड़ तक पुल की लागत पहुँच गयी लेकिन दोनों छोर पर पुल के दो स्तम्भ से आगे बात नहीं बढ़ी. फिर जनान्दोलन प्रारम्भ हुए राजेश्वर पैन्यूली ही नहीं भाजपा कार्यकाल में कांग्रेसी नेताओं की जमात भी डोबरा चांटी पहुँचने लगी और तो और लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भी इस पुल निर्माण के लिए फिक्वाल समुदाय का समर्थन करना शुरू किया.
आईआईती रूडकी द्वारा डिजाईन किये गए इस पुल की लागात बर्ष 2016 तक लगभग डेढ़ अरब पार कर गयी लेकिन तब भी कार्य जस का तस था आखिरकार हरीश रावत की कांग्रेस सरकार ने बड़ा निर्णय लेकर इसे पुन: प्रारम्भ करना शुरू किया और वर्तमान में इस पर युद्ध स्तर से कार्य शुरू हो चुका है. यह तो तय है कि यह पुल वर्तमान हालात को देखते हुए किसी भी सूरत में अगस्त माह तक पूरा नहीं हो पायेगा लेकिन इतना अवश्य तय है कि यह पुल जिस हिसाब से बन रहा है वह इस बर्ष के अंत तक जरुर बनकर तैयार हो जाएगा. यह यहाँ के जन साधारण का मानना है.
foto- manoj istwal