जनरल विपिन रावत ने तलाशा अपना गाँव! बनायेंगे गाँव में अपना मकान…! खाली होते गाँवों के लिए आस की किरण!
जनरल विपिन रावत ने तलाशा अपना गाँव! बनायेंगे गाँव में अपना मकान…! खाली होते गाँवों के लिए आस की किरण!
(मनोज इष्टवाल)
थल सेना के आर्मी चीफ और 21वीं सदी में भी उनके गाँव पहुँचने के लिए सड़क नहीं! इस से बड़ा घोर आश्चर्य और हो ही क्या सकता है! यह आश्चर्य सिर्फ हमें ही नहीं हुआ बल्कि विगत दिन अपनी पत्नी के साथ अपने पुरखों की जमीन तलाशने व गाँव के खंडहरों में अपने पैत्रिक आवास को ढूँढने पहुंचे जनरल विपिन रावत को भी घोर आश्चर्य हुआ जब उन्हें अपने अपनी ग्राम पंचायत विरमोली तोक से अपने गाँव सैण पहुँचने के लिए 1 किमी. पैदल चलना पड़ा!
ज्ञात होकि विगत दिवस दिल्ली से लैंसडाउन आर्मी हैलीकॉप्टर से पहुंचे जनरल रावत यहाँ से कार से पौड़ी जिले के द्वारीखाल विकासखंड स्थित अपने गाँव पहुंचे जहाँ आस-पास के ग्रामीणों ने बेहद गर्मजोशी से उनका स्वागत किया!

(साभार- अमर उजाला फाइल फोटो)
लगभग डेढ़ बजे दोपहर अपनी धर्मपत्नी मधुलिका के साथ जब उबड-खाबड़ पगडंडियों से गुजरकर अपने गाँव पहुँचने में जनरल रावत कामयाब हुए तब उनकी पत्नी व स्वय जनरल रावत पसीने से लतपत नजर आये! उन्हें इस बात का सबसे बड़ा आश्चर्य था कि अभी तक उनके गाँव तक सडक नहीं पहुँच पाई है! उनके गाँव पहुँचने की खबर आग सी आस-पास के गाँव तक पहुंची तो सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष उन्हें देखने व मिलने वहां पहुँचने लगे!
कहाँ मकान बनाऊं कैसे गाँव बसाऊं इस उहापोह में आखिर विपिन रावत को राजस्व विभाग के एसडीएम राकेश तिवारी लैंसडाउन से सलाह मशविरा करते देखा गया! आखिर तय हुआ कि विपिन रावत अपने चाचा भरत सिंह रावत के घर के पास ही अपना आवास बनायेंगे!

(साभार- दैनिक जागरण फाइल फोटो)
जनरल रावत ने बातचीत के दौरान कहा कि आये दिन अखबारों की सुर्ख़ियों में जब वे यह पढ़ा करते थे कि पहाड़ से लोग तेजी से पलायन कर रहे हैं तब उन्होंने मन बना लिया कि वे जाकर अपना गाँव आबाद करेंगे व उसके लिए हर तरह की योजना क्रियान्वित करेंगे ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकें!

(जनरल रावत अपनी पत्नी मधुलिका के साथ अपने गांव में)
बहरहाल उनके लिए यह आश्चर्य की बात थी कि उनके गाँव तक अभी सडक नहीं पहुंची और अब यह गाँव वालों के लिए सुखद खबर होगी कि उनके आगमन के बाद अब सडक पहुँचने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे! द्वारीखाल विकास-खंड के गीन्ठीपानी गाँव के भुतवा होने की खबर हमारे द्वारा पूर्व में अपने न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से दी गयी थी! अब द्वारीखाल के दूसरे गाँव सैण में जनरल विपिन रावत के मकान बनाने की इच्छा ने यह तो तय कर दिया है कि उनके इस कदम से ऐसे कई मृत गाँव पुनः आबाद हो सकेंगे जो मानव शून्य होते जा रहे हैं! उम्मीद है प्रदेश सरकार ऐसे प्रकरणों पर हाथों-हाथ कार्यवाही कर लोगों की गाँव लौटने की आशा बलबती करे!
सही कहा मनोज जी …यहाँ हमें कुछ आशा की किरण दिख रही है ….! काश के हमारे घर गाँव फिर से आवड हो जाएँ …! जिसमे बचों की किलकारियां ..बड़े बुजुर्गों की चोपाले हरे भरे खेत खलिहान…! आह्हा कितना अविश्मरणीय होगा वो पल …!