जखोल के सोमेश्वर मंदिर प्रांगण में मिला पर्वत क्षेत्र का नायाब सम्मान!
जखोल के सोमेश्वर मंदिर प्रांगण में मिला पर्वत क्षेत्र का नायाब सम्मान!
07/06/2017
(जखोल गाँव में यह सम्मान)
खुशियाँ कब आपका बांहे फैलाए स्वागत करें यह कहना अक्सर कठिन ही होता है क्योंकि आज के युग में धन सम्पनता भले ही आपके अम्बार भर दे लेकिन ख़ुशी आकर चली जाती हैं और दुःख साथ निभाने के लिए हमेशा तत्पर दिखाई देते हैं.
12 बर्ष बाद पर्वत क्षेत्र (उत्तरकाशी जनपद के मोरी नैटवाड़ से आगे का क्षेत्र) के जखोल गाँव द्वारा अपने देवता सोमेश्वर महाराज की देवक्यार डोली यात्रा निकाली गयी जिसमें मुझे क्षेत्रीय समाज सेवी व जखोल गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्ति गंगा सिंह रावतजी व भजन सिंह रावतजी का बिशेष आमंत्रण दिया गया था साथ ही क्षेत्रीय विधायक राज कुमार जी द्वारा भी पत्र द्वारा मुझे आमंत्रित करना मेरे लिए गौरव की बात थी. वहीँ दूसरी ओर सोमेश्वर मंदिर समिति द्वारा भी निमंत्रण पत्र पर्यटन व धर्मस्व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज जी के मुख्य निजी सचिव विक्रम सिंह चौहान जी के माध्यम से प्राप्त हुआ. उन्होंने मुझे कहा- इष्टवाल जी धर्म पर्यटन लोकसंस्कृति इत्यादि पर आम अच्छा काम करते आ रहे हैं मंदिर समिति के लोग यह पत्र व निमंत्रण आपके लिए सौंप गए हैं अत: आपको इस पुनीत कार्य में शामिल होकर पूए प्रदेश कि धर्म संस्कृति के लिए एक अच्छा सा आलेख तो मिलेगा ही लेकिन उस से हम सब लाभान्वित होंगे यह हमारा विश्वास है.
8 जून से एक ओर विधान सभा सत्र की गहमागहमी और दूसरी ओर 12 साल बाद निकलने वाली सोमेश्वर देवता की डोली यात्रा ? दोनों ही महत्वपूर्ण होने के कारण बेहद असमजंस बना रहा कई मीतों को साथ चलने का आमंत्रण दिया भी लेकिन आखिरी समय में सबके अपने अपने काम निकल गए. सूचना एवं लोक जनसंपर्क विभाग को यात्रा की महत्तता बतायी और पात्र में लिखा भी कि लगभग 6 राष्ट्रीय पत्रकार इस को कवर करने जाना चाहते हैं तो एक गाडी दे दीजियेगा. भला सूचना विभाग यह कैसे उपलब्ध करवाता जवाब मिला अभी पोलिसी बन रही है फाइल आगे गयी है! मैं भी मुस्कराया और वापस आ गया.
(जखोल गाँव पर्वत क्षेत्र की लोक संस्कृति/धर्म संस्कृति की एक झलक)
6 तारीख एक कार लेकर निकला जो डामटा से पहले खराब हो गयी वो तो शुक्र हुआ कि पीछे से रोडवेज की बस मिल गयी और देर शाम जखोल जा पहुंचा. अगले दिन सुबह घनघोर बारिश ने मिजाज खराब कर दिया लेकिन मंदिर प्रांगण में इकट्ठा हुई अपार भीड़ ने बेहद उत्साहित कर दिया. जब देव डोली बाहर निकली और माइक से स्वर गूंजा कि देहरादून से पहुंचे संस्कृतिकर्मी व वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल का यह पर्वत क्षेत्र ऋणी है कि उन्होंने हिमालयी भू-भाग व धर्म संस्कृति व उत्तराखंड की लोक परम्पराओं पर जो कार्य अब तक किया वह इस क्षेत्र के लिए सौभाग्य की बात है. इसलिए सोमेश्वर मंदिर समिति उन्हें पर्वत सम्मान से सम्मानित करती है.
(जखोल गाँव के इस दोहरे सम्मान ने सचमुच अचम्भित कर दिया)
यह सुनकर मैं बेहद आवाक रह गया क्योंकि वहां सिर्फ दो व्यक्तियों से मेरा अब तक परिचय था जबकि इस प्रांगण के आस-पास लगभग साढे तीन हजार से अधिक महिला पुरुषों की भीड़ थी. भीड़ को चीरता में जब सोमेश्वर महाराज की डोली के पास- पहुंचा तब मुझे शाल ओडाने वाले महानुभाव ने जब मेरे सिर पर किनौरी टोपी रखी और कहा कि इस क्षेत्र की यह टोपी ही ह्म सबका पर्वत शिरोमणि सम्मान है तो मैं सचमुच गदगद हो गया. शायद घबरा भी गया था कि अब और अधिक जिम्मेदारियां बढ़ गयी हैं.
सोमेश्वर महाराज जखोल मंदिर समिति के साथ 22 गाँव पर्वत के लोगों की हर मनोकामना पूर्ण करे. मैं यह सम्मान हमेशा अपने सिर माथे सजाये रखूंगा. साथ ही गाँव के गणमान्य समाजसेवी भजन सिंह रावत व गंगा सिंह रावत जी द्वारा एक और टोपी पहनाकर मुझे मेरे कर्तब्य का बोध करवाया. आप सभी का ह्रदय से आभार !
बधाई।आप वास्तव में सम्मान के काबिल हैं।आगे भी उत्तराखंड को आपसे बहुत उम्मीदें हैं।अतिशय मंगल कामनाये।अपनी संस्कृति के अन छुए पहलुओ की जानकारी पाकर सुखद अनुभूति हो रही है।?
धन्यवाद…आपके ये शक्तिबर्धक शब्द मेरी ऊर्जापुंज बने रहेंगे.
दीदा ऐसी दूरस्थ जगह आप जैसे बुद्धिजीवी का जाना उस पिछड़े क्षेत्र के लिए आपने आप में गर्व की बात है ।
आभार!
इष्टवाल जी आपको बहुत-बहुत बधाई ।फेसबुक पर आपके द्वारा सोमेश्वर महादेव की देवकयार यात्रा पर जो लेख लिखे गये वो बहुत काबिले तारीफ है। इस बार मैं इस भव्य यात्रा में किसी कारणवश शामिल ना हो सका;आशा करता हूँ कि अगले १२ वर्ष बाद जब इस भव्य यात्रा का आयोजन होगा तब मैं इस में प्रतिभाग कर सकूँ ओर आप से भी मिल सकूँ।
प्रवीण सिंह रावत ग्राम -जखोल
वाह ..ये मेरे लिए सुखद होगा कि आपसे मिल सकूँ! अभी तो मैंने उस क्षेत्र पर लिखना शुरू किया है आप को आश्चर्य होगा कि मैं कहाँ कहाँ से क्या क्या बटोरकर लाया हूँ ..देखते जाईये