चार धाम तक पहुँचने वाला रेलमार्ग होगा 327 किमी. लंबा, खर्च होंगे 43 हजार 292 करोड़!

  •  सतपाल महाराज को तबज्जो न दिए जाने से जनता में जा रहा है गलत सन्देश.
  • सतपाल महाराज को उत्तराखंड की जनता कहने लगे है रेल पुरुष!
  • 21 रेलवे स्टेशन, 57 पुल और 61 सुरंगों से गुजरेगी रेल!
  • ऋषिकेश कर्णप्रयाग तक सन 2022तक रेल पहुंचाने का लक्ष्य जबकि चार धाम तक 2024 तक पहुँच जायेगी रेल.

(मनोज इष्टवाल)
लगता है उत्तराखंड में चुनाव के दौरान देश के प्रधानमन्त्री द्वारा की गयी चुनावी घोषणाएं अब बलबती होती हुई सचमुच डबल इंजन की तरह काम करने लगी हैं. क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार अपने वायदों को अमल में लाने का हर संभव प्रयास पर लगी हुई है. अब देखना यह है कि उत्तराखंड की प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में डबल इंजन को कितनी इमानदारी के साथ आगे बढ़ाती है.

13 मई को जहाँ केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन जी जोशीमठ के कोटि में कृषि विज्ञान केंद्र का शिलान्यास करेंगे वहीँ चार धाम के रेल संपर्क हेतु फाइनल सर्वेक्षण को निर्देशित करने केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु बदरीनाथ पहुंचेंगे.
यहाँ चौंकाने वाली बात यह है कि विगत दो दशक से वर्तमान में राज्य के पर्यटन मंत्री जोकि पूर्व में केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री रहे सतपाल महाराज ने ब्रिटिश समय के सारे रेलवे रिकॉर्ड खंगालकर जिस तरह लोक सभा से लेकर हर मंच पर उत्तराखंड के पहाड़ी जनपद में रेल मार्ग हेतु वकालत की और उनकी इसी वकालत की बदौलत ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग को स्वीकृति भी मिली को इस मौके पर प्रदेश सरकार द्वारा दूर रखा गया है. यह बात जहाँ राजनीतिक हलकों में चर्चा का बिषय है वहीँ जनमानस में नाराजगी का सबब भी बना हुआ है.

सूत्रों की मानें तो ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह सब जांबूझकर किया जा रहा है ताकि जनता के बीच सतपाल महाराज का कद घटाया जा सके और राजनीतिज्ञ स्वार्थ पूरे किये जा सकें लेकिन हो बिलकुल इस से उलट रहा है. जितना ही सतपाल महाराज को ढकाने छुपाने की बात हो रही है उतने ही वे सोशल साईट पर और चर्चित हो रहे हैं और आम जनता की नजर में हीरो बनते जा रहे हैं.
कूटनीतिज्ञ यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सतपाल महाराज को पीछे धकेलने की उनकी रणनीति जनता की नजर में पूरी पार्टी की छवि खराब कर रही है. वहीँ जनता उन्हें तभी से रेल-पुरुष कहकर पुकारने लगी थी जब ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग का सर्वे कार्य चल रहक था.

बहरहाल प्रदेश की राजनीति जो भी हो लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने बेहद उदार दिल के साथ रेलवे लाइन चार धाम तक पहुँचाने की मंजूरी दे दी है. कुल 327 किमी. बनने वाली इस रेल लाइन के निर्माण पर 43 हजार 292 करोड़ की धनराशी  खर्च होनी है जबकि इसके अंतिम सर्वे के लिए 120 की धनराशी केंद्र सरकार द्वारा जारी की जानी है जो मुखत: केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु बदरीनाथ में घोषणा कर देंगे.

अंतिम सर्वे का कार्य उत्तर रेलवे द्वारा रेल विकास निगम को सौंपा है. सिंगल ब्राड गेज रेललाइन निर्माण का फाइनल सर्वे होने के बाद ही इसका कार्य प्रारम्भ किया जाएगा. इस रेल लाइन में 21 रेलवे स्टेशन, 57 रेलवे पुल व 61 रेलवे सुरंगे पड़ेंगी. देहरादून के डोईवाला रेलवे स्टेशन से गंगोत्री धाम तक रेल लाइन की लम्बाई 137 किमी. आंकी गयी है जो उत्तरकाशी मनेरी भाली होकर जायेगी वहीँ यमनोत्री के लिए पालर स्टेशन से रेललाइन बिछाई जायेगी जिसकी दूरी 22 किमी होगी. केदार धाम के लिए नन्दप्रयाग के समीप स्थित सैकोट स्टेशन से सोनप्रयाग तक रेल लाइन की लम्बाई 99 किमी जबकि बदरीनाथ के लिए कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक 75 किमी की लम्बी रेललाइन बिछाई जायेगी.
रेल मार्ग से जुड़ने के बाद यह तो तय है कि उत्तराखंड का गढ़वाल रीजन जहाँ धार्मिक पर्यटन से जुड़ेगा वहीँ यह साहसिक पर्यटन  व सामाजिक पर्यटन से जुड़कर विका सके कई मार्ग खोलेगा.
 

4 thoughts on “चार धाम तक पहुँचने वाला रेलमार्ग होगा 327 किमी. लंबा, खर्च होंगे 43 हजार 292 करोड़!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *