चलो उब चलो ऐंसु घर…!रोपणियों की छुंई मेरे जुकुड़े।

चलो उब चलो ऐंसु घर…!रोपणियों की छुंई मेरे जुकुड़े।
प्रदीप रावत (रंवाल्टा)
रोपणी बि जाणुऊं र तुम कि ना जाणद। ना जाणद त मुंई दियूं बताई। सिंचाई वाले खेत जाणुऊं एतरा क छोरा। दी एणु पुछो कोइज किनी कि क्यारीक खथुले बोलूं। आदा किनी बोतड़ त बताई ना सकण्या। ओर दिनू रोपणियों की एणी करत लोक पैली बाटी सुजा कि सैयदा गांव ह तु कठु। एतरा एक कि रोपणी त भोल होइक की। मिली-जुली लगती रोपणी। जुमरिया आत ढोल ली किनी।

अब एणि बाजी गां फुंडी छुंई कि होइक कु पता ना चलदू कि फलाण की रोपणी कतरा लगी। पांणी ले भी मार बणाऊं आपस मा। त ना बाजनी बांजी। उंद्यार बाजण लगीं। ना कोई नैर बणांदु ना किछी, बस रोपण्या लाणली हों आगु। का पैली जमानु त मेरे जुकुड़े क्या लगतु रोपणियों कु तमास।

एतरा नैरी बाजीं। पैली जमाना लोक कुलण करत खोदी। जियुंक डोकर एक तिरां पड़त सबा ह त कठ, त बणात कुलण। अब कोई मौंण गोटण ली बि ना आंदु। एखुल्या पड़ सबा किछी करनु। रोपणी लगती त किछी बि ना त एक झण की रोपणी लाणली आदा गांव ह तु कठु। एका दिना देतु सबा डोखर रोपी। बलदू कि बी ना ती कमी। अब कोईक दारग बल्दै ना मिलद। हल अर मयोऊ जु कोखन हलु। रोपणियां लाणलि बल्दू की सिंगा तेल किनी करत छोयी। तेल पिलाई गाल त। खांकर लगाई गाल त। या गिदात डोखर फुंड बल्दू सजाई। देखण वाल देखदुई र त दुर बाटी। मयोऊ लाण किनी पैली मिठु रोट काटत। बड़ डोखर ह त कोईक तक दुदुई जोड़्या जुंडेती बल्दु की। एतरा सैयदा गां फुंडी ना मिलदी एक जोड़ी बल्दु कि। बिजाड़ी फंुडनी जंण्या बेसमाटा आती मयेरीं डोखर फुंडी त खाए ति दोफारी। गिलटी आति दारग नि भरी। ब्याया खाणली सबू बैदत। अब एंणु आई जमानु कि ब्यायी खाण कि छुई दुर, दोफारी बि ना ल्यादं कोई डोखर फंुडी। बेसमाटा रोपदु बेरा गीत लात कि दुर-दुर नि हेरत लोक। उंडां-फुंडा क डोखुरु फुंड ह त कोई त सिबी आत मदद करनी ले। जैइकि रोपणी पैली सकत लगाई, सु ओरुक सात न तु रोपणियों लाणली। अब ना कोई उंडु आंदु ना फुंडु नंदू। रोपणियों लाणली बैर गां नि पणुंऊ लोक बैदण। त ना डुबण लगीं। डोखर बांज पड़नी। क्यारीक लग बांज पड़नी। पैली लोक क्यारीक कत्यान छोड़त बांज। बजार्या बाजीं अब सबईं। मुंईं बि त्यूं मां करूं आपड़ी गणती। का करनु चिंता मुक्ति मंुई पर नौकरी क चक्कर मा बैर पड़ रंणु। पर येंणी आनी मन मा कि रोपणियों मा जरूर नौनु ऐंसु घर। तुम बि आयांण घर रोपणियों लाणली। आल कि ना आल…तण मुम जाण्यांण…मेरी पक्की गाणीं ऐंसु….।

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