घेस पर संजय चौहान की कमाल की रिपोर्टिंग। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी उनकी पत्रकारिता को सलाम।
(मनोज इष्टवाल)
वर्तमान जहां भौतिकता की चरम पर भागने के लिए हर क्षेत्र में अपना जमीर ईमान बेच चौराहे पर अपनी बोली आये दिन लगाता दिखाई दे रहा है वहीं इसी वर्तमान को छूते ऐसे बहुत कम सही लेकिन भीड़ में भी हीरे से चमकने वाले रत्न साफ दिखाई देते हैं।
विश्व के भौतिकवादी युग ने हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जाने कितने लोगों के गले में पैर रखा हो उस हर क्षेत्र का एक क्षेत्र मीडिया भी है जिसमें घुसे कई भेड़िये शेर दिखते हैं लेकिन हैं नम्बर एक के चोर।
एक नाम गढ़वाल की पत्रकारिता में नया उभर रहा है जो संसाधनों के अभाव के बावजूद भी ऐसे क्षेत्र की रिपोर्टिंग करता दिखाई देता है जिसे पढ़ने से पूर्व ही आप कह देते हैं वह…! ये हुई बात। और वह नाम है संजय चौहान। चमोली गढ़वाल के अंतर्गत घेस एक ऐसा गांव है जिसे आज से लगभग 20 -25 बर्ष तक लोग दूसरी दुनिया का गांव मानते थे। वहां के लोग सड़क तक पहुंचने में भी दो या तीन दिन पैदल यात्रा करते थे। हिमालयी भूभाग में बसे इस गांव के बारे में आज भी कहावत है कि घेस से आगे देश नहीं। संजय ने वहीं जाकर जो रिपोर्टिंग की है वह आप भी पढ़िए । आप भी इस युवा को दिल से सलाम करेंगे।
घेस से सीखेगा देश! घेस की मटर क्रांति! ग्रामीणों ने बंपर मटर उत्पादन कर पेश की मिशाल, डेढ़ करोड़ का मटर तैयार!
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक की घेस घाटी इन दिनों लोगों के मध्य चर्चा का विषय बनी हुई है। ग्रामीणों नें अब घेस से सीखेगा देश नया विजन दिया है। यहाँ के ग्रामीणों ने महज दो साल के अंतर्गत मटर की बम्पर पैदावार कर लोगों को हतप्रभ कर दिया है। पिछले साल ग्रामीणों ने 7 लाख की मटर का उत्पादन किया था और इस साल लगभग डेढ़ करोड़ की मटर की फसल तैयार है। ग्रामीणों नें मात्र तीन महीने में मटर तैयार कर हतप्रभ किया जिससे लोगों को अपने ही घर में रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहें हैं और पलायन रूक रहा है। घेस के ग्रामीणों की मटर क्रांति ने उन लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है जिन्हें पहाड़ आज भी पहाड़ लगता है। लेकिन पहाड़ के इन्हीं वाशिंदों के पहाड़ जैसे बुलंद होंसलों ने आज तरक्की की एक नई ईबादत लिखी है।
घेस गांव में मटर की बंपर पैदावार को देखते हुये आगामी १० अक्टूबर को सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के घेस गांव में मटर तोड़ने की शुरआत के दौरान किसानों के मध्य उपस्थित रहनें की संभवाना है–!! ९ अक्तूबर को मुख्यमंत्री का थराली दौरा प्रस्तावित है।
गौरतलब है की देवाल ब्लाक सीमांत जनपद चमोली का अतिदुर्गम ब्लॉक है। देवाल से कैल नदी के दायीं ओर विस्तारित है घेस घाटी। इस घाटी में घेस, हिमनी, भिरकुटी, बहत्तरा, सरमाटा, भात्तरा, पिनाऊं, गांव है। जहाँ ५०० से अधिक परिवार और २ हजार से अधिक जनसंख्या निवास करती है। इस घाटी के बारे में एक कहावत प्रचलित थी की घेस से आगे नहीं है कोई देश। ये कहावत शायद तत्कालीन विकट परस्तिथियों के कारण प्रचलित हो। क्योंकि उस समय लोगों को देवाल से घेस ५० किमी की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती थी। लोगों को अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं को पीठ पर लाधकर ले जाना पड़ता था। जबकि शिक्षा से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं देवाल जाकर ही मिल पाती थ। लेकिन अब घेस के ग्रामीणों ने उक्त कहावत को झुठला दिया है। और नई कहावत, घेस से सीखेगा देश – गढा है। अब घेस गांव से आगे हिमनी गांव से भी आगे तक तक सडक पहुँच चुकी है। जबकि बलाण गाँव भी सडक से जुड़ने वाला है। वहीं इसी साल घेस को हाईस्कूल से इंटर कॉलेज का दर्जा मिला है। परन्तु ६ महीने बीत जाने को है अभी तक इंटर की कक्षाओं को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं पहुंचे। यहाँ बिना शिक्षक के ही नौनिहाल पढ़ाई कर रहें हैं।
अलग राज्य बनने के बाद घेस के ग्रामीणों ने जडीबूटी उत्पादन शुरू किया। पूर्व प्रधानकेशर सिंह बिस्ट और गढ़वाल विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयासों से घेस गांव सूबे का पहला जड़ी बूटी उत्पादन गांव बना। यहाँ के ग्रामीणों ने अतीस, कुटकी, जटामासी, वन तुलसी, सहित कई बहुमूल्य जडी बूटीयों का उत्पादन किया और अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया। २०१३ में गांव में जड़ी बूटियों की संभावनाओं को देखते हुए इसे आयुष ग्राम बनाने की कायावाद शुरू हुई और इसका चयन आयुष ग्राम के लिए किया गया लेकिन ४ साल बीत जाने को है आयुष ग्राम बनाने की कार्यवाही फाइलों में ही चल रही है। जबकि गाँव वालों ने अपनी बेशकीमती ८० नाली जमीन २०१३ में ही विभाग को दे दी थी।
भले ही निति नियंताओं ने घेस गांव का चयन आयुष गांव के लिए कर गांव को भुला दिया हो लेकिन ग्रामीणों ने मटर की बम्पर पैदावार करके तन्त्र को आईना दिखाया है।
देवाल ब्लाक की ब्लाक प्रमुख उर्मिला बिष्ट कहतीं हैं की घेस गांव के ग्रामीणों ने देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है की यदि दृढ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम किया जाय तो पहाड़ों में भी सोना उगाया जा सकता है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बाद भी घेस के ग्रामीणों ने मटर की बम्पर पैदावर कर पूरे देवाल ब्लाक को गौरवान्वित किया है। देवाल ब्लाक में घेस घाटी के गांवो के अलावा सवाड, कुलिंग, दिदणा, हरनी, गांवो में भी किसान मटर की खेती कर रहें है। जिससे किसान स्वालम्बी तो बन ही रहे हैं बल्कि गांव से पलायन भी रुक रहा है। दूसरी ओर सरकार की उपेक्षा से किसानों को उसकी उपज का वास्तविक मूल्य नहीं मिल पा रहा है यदि सरकार द्वारा किसानों की उपज के लिए बाजार और देवाल में एक विणपन केंद्र खोला जाता है तो इससे किसानों को फायदा होगा। सरकार को चाहिए की अतिशीघ्र घेस को आयुष ग्राम बनाने हेतु धरातलीय कार्यवाही शुरू करें। साथ ही यहाँ के किसानों को समय समय पर उचित प्रशिक्षण दिया जाय और पूरे देवाल ब्लाक को जड़ी बूटी परियोजना के माॅडल रूप में विकसित करने की कयावद करें।
वास्तव में घेस के ग्रामीणों नें पूरे देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उम्मीद करते है कि अन्य लोग भी घेस गांव से प्रेरणा लेंगे।