गढ़वाली सिनेमा में मेरे 25 साल। उम्र गुजर गई और हम आरजू करते रहे..!
(मनोज इष्टवाल की कलम से)
सिने फ्लैश बैक की कुछ पुरानी तस्वीरें आज घर सुव्यवस्थित करते समय मिली। सच पूछिये तब से काम करना ही छोड़ दिया । 1994 से लेकर 2003 तक का यह पड़ाव दूरदर्शन लखनऊ के लिए तैयार ” शकुंतला नृत्य नाटिका” व “खैरी का आंसू” ।
(Photo shoot with Laxmi Gusain)
शकुंतला की शूटिंग कण्वाश्रम कोटद्वार जबकि खैरी का आंसू की शूटिंग दुग्गड्डा लैंसडाउन ताड़केश्वर के आस पास की।
फिर फीचर फिल्म ” ब्वारी हो त इनि” फ़िल्म का मुहूर्त कोटद्वार सिद्धबली व बाकी सम्पूर्ण फ़िल्म बिलखेत दैसण गाँव में हुई।
(shooting unit part of feature film “GARH RAMI BAURANI”
तत्पश्चात फीचर फिल्म ” गढ़ रामी बौराणी” का पूरा शूट सीकू गांव व उसके आस पास की लोकेशन में। इसी दौर में उस दौर की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री लक्ष्मी गुसाईं के साथ फोटो शूट। हिचकी अल्बम की रिकॉर्डिंग, अज्वाळ पार्ट 1 से पार्ट 3 तक ऑडियो कैसेट रिकॉर्डिंग और अंत में जौनसार में vedio प्रचलन हेतु जौनसार बावर का पहला vedio अल्बम जो बाजार में उतरा ” तेरी जवानी फुलुटे जोसी” फिर साथिया भाग 1 भाग 2 की शूटिंग। कोटि कानासर, रामताल गार्डन (चौली थात), पुरोड़ी टॉप, ठाणा डांडा, बिरमौऊ, बैराट खाई इत्यादि। ये सब दृश्य आंखों के आगे ऐसे घूमे मानों कल की बात हो लेकिन जब सन गिने तो पूरे 23 -24 साल यूँहीं निकल गए पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे।
(muhurt shot in sidhbali, feature film “BWARI HOT INI”)
आज इक्यूपमेंट मोडिफाई हो गया है लेकिन सिने लाइन बहुत बदल गयी है । न स्टूडियो में कोई सीनियर जूनियर रहा न इज्जत लेने देने में। हाँ इस दौर की तकनीक ने पहाड़ी सिनेमा को जरूर ऊंचाइयां देनी शुरू की हैं इसमें कोई दोराय नहीं क्योंकि जहां इक्यूपमेंट में डिजिटलाइजेशन हो गया है वहीं इस सदी ने पैंसे की भी भरमार दे दी है। जो भी आप शूट कर रहे हैं ठीक नहीं हुआ तो उसी समय देखकर डिलीट कर दो । वही हाल रिकॉर्डिंग का भी है ट्रेक बना दो संगीतज्ञों की जरूरत नहीं आपको सारे राग ताल मशीन बजाकर दे देगी।
(BACK SIDE OF CAMERA IN FEATURE FILM “BWARI HOT INI”)
उस दौर में मेरी शुरुआत 35 व 70 एमएम कैमरे के पीछे जबकि स्टिल कैमरे की एक चरकी के 36 फोटो । यानी दोनों ही चलित व स्थिर छायांकन रील में कैद। किसने कैसा किया और कौन सा शॉट ok है उसके लिए डायरेक्टर के साथ तीन सहायक निर्देशक जिनमें टाइमिंग, शॉट, कास्टयूम, डायलॉग इत्यादि के तकनीकी पार्ट की समझ। एक नागरा मैन, कम से कम 6 से 10 लाइटिंग अटेंडेंट सहित पूरी फिल्म यूनिट यानी 30 से 50 आदमी रोज।
(“KHAIRI KA ANSU” MUHURT SHOT IN KOTDWAR SIGADDI FOREST TEMPLE)
खर्चे बेहिसाब। कई दिन लाइट घट बढ़ गयी तो सेम टेम्परेचर न मिला तो शूटिंग कैंसिल या फिर लोकेशन शिफ्ट। अब आज के डायरेक्टर जब उस काल से अपनी फिल्मों की तुलना करते हैं और नुक्ताचीनी करते हैं तब सिर्फ मुस्कराने के सिवाय कुछ होता नहीं है ।
FILM “GARH RAMI BAURANI” SHOOT IN SEEKU VILLAGE
सच मानिए अगर इस दौर में भी वही तकनीक जिंदा रहती तो इन्हें यह कहते हुए हम सुनते कि कितने महान रहे होंगे वे लोग जिन्होंने इतने अभाव झेलने के बाद इतनी सुंदर फिल्में दी।
“SHAKUNTLA NRITY NATIKA” PLAY SHOOT IN KANWASHRAM KOTDWAR
लगभग 25 बर्ष इस इंडस्ट्री में रहकर आज भी लगता है कि अभी भी बहुत कुछ सीखना है मुझे। आज भी शॉर्टकट चलने की आदत से डर लगता है। फिर भी कोशिश रहती है कि जो करुं बेहतर करूँ।चाहे डायरेक्शन की बात हो या स्क्रिप्ट गीत लिखने की या फिर अभिनय की बात हो। या फिर अपने प्रोडक्शन हाउस की इन 25 सालों तक मैने सिर्फ और सिर्फ प्रयोग किये हैं।
DAKU SULTANA PLAY IN KASHIPUR AREA
मित्रों ने धन सम्पति जोड़ी और मेरे पहाड़ प्रेम ने डुबोई। लेकिन फिर भी संतुष्ट इस बात से हूं कि जब भी गढ़वाली सिने जगत का इतिहास लिखा जाएगा कहीं न कहीं किसी पन्ने के एक आखर में मनोज इष्टवाल दर्ज अवश्य मिलेगा।
1-हिचकी अलबम रिकॉर्डिंग के पल रमा स्टूडियो दिल्ली,2- जौनसारी अलबम “साथिया पार्ट-2”
(1-गढ़ रामी बौराणी के शूट का एक दृश्य सीकु गाँव)
1- जौनसारी अलबम “तेरी जवानी फुलूटे जशी” 2- गढ़ रामी बौराणी की यादें सीकु गाँव
1- यादें सीकु गाँव 2- गढ़ रामी बौराणी शूट सीकु
1- जौनसारी अलबम “साथिया” 2- लघु फिल्म “किसान”
1- अभिनेत्री लक्ष्मी गुसाईं भावपूर्ण अभिनय, 2- जौनसारी अलबम सोंग डांडैकी चल कुड़िये तू…”
गढ़ रामी बौराणी फीचर फिल्म