गढ़वाली मांगल गीतों में झूमे प्रधानमंत्री। चेक रिपब्लिक के राजदूत बनाते रहे वीडियो।

गढ़वाली मांगल गीतों में झूमे प्रधानमंत्री। चेक रिपब्लिक के राजदूत बनाते रहे वीडियो।
(मनोज जी इष्टवाल)
जब भी धर्म कला संस्कृति की वानगी की बात होती है तब उत्तराखण्ड पटल पर न दिखे ऐसा कैसे सम्भव हो सकता है। ऐसा ही कुछ तब हुआ जब उत्तराखण्ड निवेशक सम्मेलन-2018 (इन्वेस्टर मीट) के उद्घाटन के दौरान गढ़वाली मांगल गीत से शुरुआत की गई।

सूचना और संस्कृति विभाग के सौजन्य से आयोजित गढ़वाली मांगल गीतों को गाने के लिए उत्तराखण्ड के सभी चुनिंदा गायक/गायिकाएं स्टेज पर उतरी और ठेठ गढ़वाली लोक संगीत की धुन पर जैसे ही “दैणा हुइयाँ खोली का गणेशा। दैणा हुइंया बद्री केदारा” गीत के बोल फूटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाव भंगिमा में लोक समाज का रस पल्लवित दिखाई दिया।

ज्ञात होकि सिर्फ प्रधानमंत्री होने के नाते ही नहीं बल्कि गुजरात की धरती पर जन्म लेने के नाते भी प्रधानमंत्री मोदी आदिदेव महादेव के अनुनय भक्त हुए। बाबा केदार के प्रति उनके जहां भक्ति भाव आम रूप से दिखाई पड़ते हैं वहीं भगवान बद्रीश के प्रति भी उनकी अपार श्रद्धा दिखाई देती है।

उन्हें उत्तराखण्ड की लोक कला संस्कृति से इतना मोह व प्यार है कि वे मांगल गीत सुनते ही मंत्र मुग्ध होते दिखाई दिए। गीत के बोलों व लोकधुन पर अपनी एक हाथ की अंगुली दूसरे हाथ की मुट्ठी पर बजाते हुते दिखाई दिए। वहीं चेक रिपब्लिक के राजदूत इस दौरान अपने मोबाइल पर मांगल गीत रिकॉर्ड करते दिखाई दिए। गीत समाप्ति के बाद काफी देर तक तालियां बजाते रहे।

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