ग्रामीण पर्यटन के लिए स्वर्ग है रतगॉव, ट्रेकर्स इसी रास्ते सफ़र करते हैं भेकल ताल व ब्रह्मताल का…! फिर भी उपेक्षा के दंश को झेल रहा है ताल गैर…?

ग्रामीण पर्यटन के लिए स्वर्ग है रतगॉव, ट्रेकर्स इसी रास्ते सफ़र करते हैं भेकल ताल व ब्रह्मताल का…! फिर भी उपेक्षा के दंश को झेल रहा है ताल गैर…?
(मनोज इष्टवाल)
अब ये मत कहना मित्रों कि मैंने भेकल ताल ब्रहमताल रतगॉव व ताल गैर सबकी खिचड़ी एक साथ पका दी.
दरअसल जिला चमोली के विकास खंड थराली का रतगॉव है ही इतना खूबसूरत कि आप उसके ताल गैर में पहुँचते ही भौंचक रह जायेंगे. दूर-दूर तक फैले बाँझ बुरांस काफल के डेंस फारेस्ट के मध्य जब आप रतगॉव के ताल गैर नामक इस समतल मैदान में पहुँचते हैं तो आपकी सारी थकान छुमंतर हो जाती है. एक हजार परिवार की आबादी वाला यह गॉव ग्रामीण पर्यटन की दिर्ष्टि से सोया हुआ सा लगता है. सरकारी प्रयासों से अब गॉव तक सड़क पहुँचने की कवायद शुरू हो गयी है. गॉव से मात्र दो किमी. दूर तक सड़क पहुँच भी गयी है और आगे युद्धस्तर पर काम भी चल रहा है.

रतगॉव का ताल गैर मैदान जहाँ गर्मियों में सुंदर बुग्याल में तब्दील हो जाता है वहीँ सर्दियों में बर्फ की चादर इसे अपने आगोश में समा लेती है. यह इतना बड़ा मैदान है कि इसमें एक साथ चार छ: हैलीकाप्टर उड़ व बैठ सकते हैं. ताल गैर के एक चोर पर इंटरकॉलेज व भेकल नाग मंदिर भी है. वहीँ मैदान में खडा सुराई का पेड़ जैसे इस पूरे मैदान की चौकीदारी कर रहा हो. लेकिन अब सुनने में आ रहा है कि मैदान के किनारे ढाबे खुलने लगे हैं और अवैध कब्जा भी शुरू हो गया है.
यहाँ के लोगों का कहना है कि जब भी क्षेत्र में भारी बर्षा या ओला वृष्टि या बर्फ़बारी होती है तो लोग भेकल नाग के मन्दिओर में इकट्ठा होकर इसे बंद करने की गुहार लगाते हैं और भेकल नाग की कृपा से वह बंद भी हो जाती है यही उपक्रम बारिश न होने पर भी किया जाता है.
यहाँ से भेकल ताल या ब्रह्मताल के लिए करीबी तीन या चार किमी. कड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है..जिसे ट्रेकर्स पृथ्वी में स्वर्ग जैसा मानते हैं. जिस तरह प्रदेश सरकार ग्रामीण पर्यटन के बढावे की बात कर रही है अगर रतगॉव को पर्यटन गॉव के रूप में विकसित किया जाय तो कई लोगों को न सिर्फ रोजगार मिलेगा बल्कि पलायन भी रुकेगा. वहीं इसी माह आगामी 15-16 जुलाई को यहाँ तालगैर नामक स्थान पर स्थानीय लोग नागदेवता का बहुत बड़ा मेला आयोजित कर रहे हैं। जिसकी वानगी देखते ही बनती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *