यूसर्क द्वारा जल स्रोतों की दशा और दिशा एवं विज्ञान शिक्षण के नए आयाम विषय पर दो दिवसीय सेमिनार आयोजित!

देहरादून 23 फरवरी 2018 (हि. डिस्कवर)
यूसर्क उत्तराखण्ड द्वारा ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में उत्तराखण्ड राज्य के जल स्रोतों की दशा और दिशा एवं विज्ञान शिक्षण के नए आयाम विषय पर दो दिवसीय सेमिनार में प्रतिभाग किया। बैठक के प्रथम सत्र में सामान्य उद्घाटन और परिचय का दौर चला तदोपरान्त तकनीकी सेशन में कुमाउं विश्व विद्यालय के अल्मोड़ा एस.एस.जे. परिसर के जियोलाॅजी विभागाध्यक्ष प्रो0 जे0एस0 रावत का बेहद जानकारीपूर्ण और ज्ञानवर्धक, नदियों के बारे में समझ विकसित करने वाला शानदार प्रस्तुतिकरण देखा और नदियों के बारे में बहुत कुछ नया सीखा। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा के निकट बहने वाली कोसी नदी को कौशल्या गंगा भी कहते हैं। 2003 में नदी के जलस्तर के लगातार कम होने से इसको गैर हिमानी नदी से मौसमी नदी का दर्जा दे दिया गया। वे 27 वर्ष से कोसी नदी का अध्ययन और अब वर्तमान में उसके पुनर्जीवन के कार्यों में जुटे हुए हैं। तदोपरान्त नैनीताल के डाॅ0 सी0सी0 पंत जी ने नैनीताल झील के इतिहास पूर्व के छायाचित्र और वर्तमान की स्थिति पर शानदार प्रस्तुतिकरण दिया। जिससे ये पता चला कि नैनीताल झील के लिए समय पर कुछ किया जाना चाहिए। वाडिया इंस्टीट्यूट के डाॅ0 हरीश बहुगुणा ने हिमालय को वाॅटर बंैक बताते हुए हिमालय के 1880 वर्ग किमी0 में विस्तारित हिम जल स्रोतों की जानकारी दी।
दूसरी ओर नैशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हाइड्रोलाॅजी के वैज्ञानिक एवं वरिष्ठ इंजीनियर श्री आर0पी0 पाण्डे ने बताया कि 1917 के भयंकर सूखे में भारत के 13 लाख लोग मारे गये थे। सूखे की स्थिति भारत में बढ़ती जा रही है इसके लिए आज से ही जुटना होगा। उन्होंने यह बताया कि सिर्फ पेड़ पौधे लगाने से पानी नहीं लाया जा सकता है। स्वयं पेड़ पौधों को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है ऐसे में यह कहा जाना कि पेड़ पौधे ही पानी लाते हैं या बढ़ाते हैं उचित नहीं है। पेड़ों को जीवन पानी से ही रहता है। और यही तर्क उन्होंने रिस्पना नदी के बारे में दिया। मैड संस्था के अभिजय नेगी ने मैड के प्रयासों पर प्रस्तुतिकरण दिया। और उनकी टीम द्वारा जो सामूहिक प्रयास किये जा रहे हैं उन पर अपने विचार रखे। इको टास्क फोर्स के कर्नल हरि राज सिंह राणा जी ने रिस्पना नदीं की ड्राॅन द्वारा बनायी गयी फिल्म दिखाई और यह भी बताया कि सम्पूर्ण भारत में नदियों की सेहत ठीक नहीं है। इसलिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। रिस्पना को फिर से बहते हुए देखना उनका एक बड़ा सपना है। जो जनसहभागिता से पूरा होगी। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की महिला वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया। हैस्को की डाॅ किरन नेगी रावत, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आॅफ इण्डिया की डाॅ0 रूचि बडोला के अलावा 2 महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन यूसर्क ने किया।

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